भगवान बुद्ध की जीवन-यात्रा वास्तव में खुद की और सामान्य जनों की दुखमुक्ति के दो लक्ष्यों को अपने भीतर लेकर की गई यात्रा है, इसीलिए बुद्ध के दो रूप स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। वे खुद की मुक्ति के लिए किन अग्निपरीक्षाओं से गुजरे, इसका वर्णन आश्चर्यचकित करने वाला है। उनकी निर्वाण-प्राप्ति उनकी खुद की मुक्ति थी, इसीलिए उनका एक रूप स्वयं के मुक्तिदाता का है। निर्वाण-प्राप्ति के बाद आगे के पैंतालीस वर्षो की उनकी यात्रा वास्तव में अंत:करणपूर्वक सामान्यजनों को दुख-मुक्त करने के लिए किया गया श्रम है। उनके जीवन का यह कालखंड मार्गदाता का है।
खुद का मुक्तिदाता हुए बगैर अन्य जनों के मार्गदाता की भूमिका निभाना आत्मवंचना होती है, यह बुद्ध का जीवन-चरित्र कहता है। इन दोनों भूमिकाओं में एक प्रामाणिक रिश्ता होता है, इसका ज्ञान अगर नहीं रहा तो ‘व्यक्ति-मुक्ति या समाज-मुक्ति’ जैसे विवादग्रस्त विकल्पों की भारी-भरकम चर्चा शुरू हो जाती है। ऐसी चर्चा बौद्ध-दर्शन के बाद के विकास-काल में हुई। बुद्ध-चरित्र व्यक्ति-मुक्ति के साथ ही मार्गदाता के स्वरूप को भी महत्व देने वाला जीवन है। इसीलिए तो बुद्ध ने पैंतालीस वर्ष घुमक्कड़ी की। स्वयं मुक्त हुए बगैर औरों को मुक्ति का मार्ग बतलाया नहीं जा सकता, यह उनके जीवन द्वारा प्रस्तुत किया गया आदर्श है। मुक्ति कोई क्षणिक बात नहीं है। वह एक जीवन अनुभव होती है और उसे बार-बार अनुभव करना पड़ता है।
जिन्हें मुक्त होने की इच्छा है, वे पहले स्वयं को जानें और वहीं से शुरुआत करें। स्वयं के मन को जानें — बौद्ध-साहित्य की यह पहली शिक्षा है। यही इस साहित्य की विशेषता है। इस साहित्य ने मनुष्य मन के बारे में विविध स्तरों पर विचार किया है। चौथी शती में असंग और वसुबंधु ने भारत में और छठी शती में प्रसिद्ध चीनी बौद्ध दार्शनिक चिह-ही (Chih-hi) ने चीन में मन संबंधी जो विचार किया है, वह आश्चर्यचकित करने वाला है। मनोविज्ञान की मनोविश्लेषण शाखा के सिग्मंड फ्रॉयड का स्थान असाधारण है। उनका यह स्थान मान्य करते हुए भी अवचेतन का (Sub-Conscious) विचार बौद्ध-दर्शन ने अत्यंत शक्ति के साथ विकसित किया था — इसे भी स्वीकार करना चाहिए। मनुष्य के एहसास (Conciousness) के नीचे के स्तर पर अवचेतन का अस्तित्व और उसका सूक्ष्मता से विचार सच्चे अर्थो में भारत में असंग और वसुबंधु ने किया है। प्राचीन बौद्ध-साहित्य में मन के विविध रूपों का जो प्रतिबिंब दिखलाई देता है, अब हम उस पर विस्तार से विचार करेंगे।
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