आज का ईश्वर….
हे ईश्वर, हम सब तेरे ही रूप,
इस जग में कहीं छाँव है, कहीं धूप,
हमारा भी थोडा, उद्धार कर दो,
नैयाँ हमारी, उस पार कर दो |
हे ईश्वर …….. रूप |
बैठें हैं हम, एक आस लेकर,
तू देगा दर्शन, हमें पास आकर,
गरीबों की विनती , कभी सुन तो लेना,
तेरे दार तक न, हो जिनका पहुंचना |
हे ईश्वर …….. रूप |
पत्थर की मूरत बन, मंदिरों में बंद है ,
अमीरों की सूरत , देखने को रजामंद है,
मंदिरों से निकलकर, खुली हवा में जो आओगे,
दुःख- दर्द दीन दुखियों के, तब जान पाओगे,
हे ईश्वर …….. रूप |
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