::- Krishna Mohan Singh(kmsraj51) …..
कुछ कहना मुश्किल है
जिनसे मिले नहीं कभी हम
उनसे भी नये संबंध बन जाते हैं
जहां विश्वास हो आंखें जुड़ जाती हैं
और जहां नहीं हो, आदमी दूर भागता रहता हैसारी कुर्सियां मित्रवत् स्थान देती है सबों को
कुछ देर बैठे, बातें की, फिर चले गए
फिर कोई दूसरा आकर बैठ गया
हालांकि सामने वाली कुर्सी परसिर्फ एक आदमी का हक है
उसका व्यक्तित्व हम पर हमेशा हावी
यह रहस्य है कौन किस तरह से जीता है
मुलाकात सफलता में बदल जाए तो प्यारी बात है
अब पता नहीं कब मिलेंगे उनसे हमअगली बार भी वे इसी तरह से पेश आयेंगे या नहीं
यह कहना बिल्कुल मुश्किल है।
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