भाग्य रेखा
नीले आकाश के बीच
बादलों ने खींची है
मेरी भाग्य रेखा
बादलों से झॉंकते हैं
टिमटिमाते तारे
जिनमें बसी हैं
मेरी शुभ और अशुभ घडिय़ॉं
तिनका हूं अभी मैं
हवा में उड़ता हुआ
धूल हूं पृथ्वी की
क्या पता कल बन जाऊँ
माथे का तिलक किसी का
फिर भी तो ऐ मिट्टी
तेरी ही अंश हूं
न जाने कब
पॉंव तले रौंद दिया जाऊँ ।
Sohan Gour says
Great line Sir ,
Jivan ko paltane vali ….. mood fresh karne vali poem.