कभी अपना था – बेगाना ……..
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दिल के हर कोने में बसा, बस तेरा ही आकार था I
तू ही खवाबों की हकीकत, तू ही दिल की पुकार था I
मेरी जिन्दगी की कहानी था, तू ही कहानी का सार था,
भूले थे हम दुनिया जहाँ, बस तेरी मोहब्बत का खुमार था II
दिल को तुझसे ही थी उमीदें, तुझसे ही सरोकार था I
सभी को ठुकराया हमने, बस तुझसे ही प्यार था I
तुम्ही तुम थे हमारे लिए तो, बाकी सब बेकार था,
तुझसे ही था उजाला मन का, वर्ना सब अन्धकार था II
लगता था जैसे मैं मीरा, तू कृष्ण का कोई अवतार था I
जिन्दगी के हंसी लम्हों में, तू पल पल का हिस्सेदार था I
दूर रहना तो दूर, तेरे बिन एक पल भी जीना दुशवार था,
तेरा इंतज़ार तेरी ही बाते, सब कुछ तुझी पर निसार था II
वो प्यार नहीं आकर्षण था, जब इश्क का भूत सवार था I
जिसे समझाते रहे हम गर्व, वो वास्तव में अहंकार था I
तेरे तन मन में था धोखा, तुझे कहाँ किसी से प्यार था,
न मालुम था कि दिल लेना-देना, तेरा लिए बस व्यापार था II
खुशियों से टूटी यारी, गम से अब दोस्ताना हो गया I
कुछ इस तरह तोडा मेरा दिल, कि सब वीराना हो गया I
जिसकी खातिर छोड़ा था हमने, अपनों को गैर जानकार,
देखो आज वही रिश्ता हमसे, किस कदर बेगाना हो गया II
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