तेरे इंतज़ार का ये, कमाल हुआ है …!
जीतने का हुनर, हम भूलने लगे
हारने का भी न कोई, मलाल हुआ है
कत्ल हुआ है कहीं, अफवाह सुनी थी
मालूम हुआ, मेरा दिल हलाल हुआ है
पत्थरों के ढेर लग गए थे भीड़ में
काँच के दिलों से, कुछ ज़लाल हुआ है
जाँ निकल गयी बस, आँखों के रास्ते
तेरे इंतज़ार का ये, कमाल हुआ है
क़रीब थे ‘अदा’ मगर इक फासला तो था
इस एहतियात पर भी अब, सवाल हुआ है
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