यात्रा … By kmsraj51 ….
कैसी होगी वो भूमि मालूम नहीं
न ही कि कैसी होगी वहां की जलवायु
और किस तरह के पेड़ और पक्षी हमारी राह देखते हुए
जब तक हमारी सांसें हैं
तब तक ऐसी इंतजार करती चीजों तक पहुंचेंगे हम।
दिन और रात को किसी तरह
काट लेते हैं हम,
आंखें हमेशा उन सुनहरे दिनों की खोज में
हर दिन हमारा एक तैयारी में बदलता हुआ
एक राह देखते रहते हैं हम
कब एक उड़ान हो और उन तक पहुंच जाएं
क्या-क्या है यहां सबसे पूछते हैं हम,
दूसरे के बताये चित्रों से संतोष नहीं है हमें
सारे चित्र हमारे
उनकी जड़ें हमेशा मौजूद हमारे मस्तिष्क में
मत पूछो पसीना क्यों आने लगता है चलने पर
अनदेखा कर दो थकान को
देखो कि अभी भी हम क्या-क्या खोज रहे हैं
कितना कुछ देखना अभी बाकी है।
Hitesh Singh says
A real friend. Always provide Motivational Positive Thought`s.