Kmsraj51 की कलम से…..
सर्व श्रेष्ठ सम्पत्तिवान काैन?
किसी के पास अगर सिर्फ स्थूल सम्पत्ति है तो भी सदा सन्तुष्ट नहीं रह सकते। स्थूल सम्पत्ति के साथ अगर सर्व गुणों की सम्पत्ति, सर्व शक्तियों की सम्पत्ति और ज्ञान की श्रेष्ठ सम्पत्ति नहीं है तो सन्तुष्टता सदा नहीं रह सकती। दुनिया वाले सिर्फ स्थूल सम्पत्ति वाले को सम्पत्तिवान समझते हैं।
सर्व श्रेष्ठ सम्पत्तिवान वह हैं जिसके पास स्थूल सम्पत्ति के साथ अगर सर्व गुणों की सम्पत्ति, सर्व शक्तियों की सम्पत्ति और ज्ञान की श्रेष्ठ सम्पत्ति है
वाे ही सर्व श्रेष्ठ सम्पत्तिवान है।
किसी भी मनुष्य की तीन मुख्य-सम्पत्ति (Property)
- गुणों की सम्पत्ति,
- ज्ञान की श्रेष्ठ सम्पत्ति,
- आत्मिक शक्तियों की सम्पत्ति,
ये तीनाे शक्तिया जिस मनुष्य के पास “न” हाे, सिर्फ स्थूल सम्पत्ति है तो भी सदा सन्तुष्ट नहीं रह सकता।
कर्म-अकर्म-विकर्म की गति को जान विकर्मों से बचना ही ज्ञान हाेने का बाेध कराता है।
साभार-
“तू ना हो निराश कभी मन से” किताब से
Note::-
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Coming soon book (जल्द ही आ रहा किताब)…..
“तू ना हो निराश कभी मन से”
“अपने लक्ष्य को इतना महान बना दो, की व्यर्थ के लीये समय ही ना बचे” -Kmsraj51
खुद को साबित करने के लिए मौका मिलने के आप हकदार हैं। सफलता की नींव आप खुद हैं।
दूसरे क्या सोच रहे हैं, इस बारे में अनुमान लगाते रहना नकारात्मक सोच की निशानी है।
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