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जनसंख्या कानून।

Kmsraj51 की कलम से…..

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    • ♦ जनसंख्या कानून। ♦
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♦ जनसंख्या कानून। ♦

जनसंख्या तेजी से बढ़ रही,
लोग प्रकृति को देते दोष।
साधन सीमित देश विदेश के,
आपस में ही लड़ते हैं लोग।

भूखे व्याकुल दुनिया में बच्चे,
लच्छेदार भाषण देते हैं लोग।
घोटाला करने वाले भी विरले,
दोष शासन को देते हैं लोग।

बड़े – बड़े महलों में रहने वाले,
गरीब देखकर हंसते हैं लोग।
सुखिया राशन गरीब का खाते?
दुखिया को ठग रहे हैं लोग।

विधवा पेंशन अमीर खा जाते!
गरीबों को पूछ सकते हैं लोग?
प्रधानमंत्री आवास योजना चली,
किस गरीब को मिलती सोच?

छात्रवृत्ति अल्पसंख्यक – मिलती,
कौन यहां अल्पसंख्यक हैं बोल।
सरकारी कर्मचारी भी लाभ उठाएं,
कौन करेगा अब इस पर खोज।

हम दो हमारे दो पुराना है नारा,
कानून लागू करेगा कौन सोच।
गरीब दुनियां में क्यों पिछड़ रहा,
जनसंख्या का हो रहा विस्फोट।

सरकारी सुविधा का लाभ ले रहे।
बोलते हैं शासन सत्ता में खोट।
अपनी ही मन की करते हैं लोग।
लोग प्रकृति को ही देते हैं दोष।

जनसंख्या विस्फोट हो रही है।
सब्सिडी वाले झगड़ते हैं लोग।
जिससे नौकरियां घटती रही।
आतंकी संगठन के बढ़ते लोग।

जमीन की आवश्यकता बढ़ती।
छप्पर फाड़ पर लड़ते लोग।
कपड़ों की कमी से बच्चे जूझते।
कुदरत बच्चा दिया कहते लोग।

मीठा पानी पीने योग्य घटाता।
दोष सरकार को तुरंत देते सोच।
बीमार पड़ जाता जब भी बच्चा,
प्रकृति को कोसते रहते लोग।

जनसँख्या वृद्धि पर रोक लगाओ, सबको तुम जागरूक बनाओ।
अपने घर को खुशहाल बनाओ, शिक्षित नागरिक होने का फर्ज निभाओ॥

♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

—————

  • “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से, कविता के माध्यम से बखूबी समझाने की कोशिश की है – इस कविता में कवि ने बहुत तेजी से जनसंख्या बढ़ने से क्या क्या परेशानियां हो रही है बताया है। लोगों के क्या क्या बहाने है जनसंख्या को बढ़ाने को लेकर यह भी बताया हैं। जब जनसंख्या कंट्रोल में होगा तभी सभी सुखी और संपन्न होंगे।

—————

sukhmangal-singh-ji-kmsraj51.png

यह कविता (जनसंख्या कानून।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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Comments

  1. सुख मंगल सिंह says

    July 17, 2021 at 5:31 am

    आदरणीय प्रकाशक मंडल का स्वागत आभार
    आपने बहुत खूबसूरती के साथ र चना को प्रकाशित किया।
    आपको और आपके सहयोगियों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!

    Reply

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