::- Krishna Mohan Singh(kmsraj51) …..
कैसे चुका पायेंगे तुम्हारा ऋण
रात जिसने दिखाये थे
हमें सुनहरे सपने
किसी अजनबी प्रदेश के
कैसे लौटा पायेंगे
उसकी स्वर्णिम रोशनीकैसे लौटा पायेंगे
चॉंद- सूरज को उनकी चमक
समय की बीती हुई उम्र
फूलों को खुशबू
झरनों को पानी और
लोगों को उनका प्यारकैसे लौटा पायेंगे
खेतों को फसल
मिट्टी को स्वाद
पौधों को उनके फलए धरती तुम्हीं बता
कैसे चुका पायेंगे
तुम्हारा इतना सारा ऋण ।
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