Kmsraj51 की कलम से…..
Aahat | आहट।
हल्की सी आहट कदमों की,
पाकर बदन थिरकने लगते।
उद्विग्न प्रत्याशा जगे नयनों में,
तन पारिजात महकने लगते।
अनिमेष ही नैनों से नैना मिलते,
चक्षु अरुणित से होने लगते।
मधुर मिलन की मादक चाहत,
प्रणय – स्वप्न में खोने लगते।
उत्कंठित अँखियों की आसक्त सी छुवन,
मृदुल-मृदुल अंग-गात दहकने लगते।
आश्वासों में मकरन्द धीरे से घुल कर,
मुखड़े पर लालिमा खिलने लगते।
प्रभात का पद्मराग गालों पर खिलता,
लालिमा बिखराती आभा मंद – मंद।
लाल मणि रुख़ पर किरण बिखराती,
रक्तिम छटा छलकती छंद – छंद।
हृदय – हृदय में सरगम बजती,
तृष्णा बंधती आलिंगन में।
श्वांसों की थापों में खो जाती,
तनु खो जाता दहकते बदन में।
हठ करती हृदय की धड़कन,
इन्द्रियजय तोड़ बहकने लगते।
तमस तरंगों के आँचल में,
सुलगते तन पिघलने लगते।
♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦
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यह कविता (आहट।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख/दोहे सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।
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