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Aakhir Kyon | आखिर क्यों।
“मां-बाप की सेवा: संतान का सर्वोच्च कर्तव्य | एक भावनात्मक कविता और जीवन संदेश”

पहले संतान होने के लिए रोते
होने पर उन्हें पाल पोस कर बड़ा करते।
अपना पेट भूखा रख लेते
संतान की ख्वाहिशें पूरी करते।
संस्कार भी उनमें खूब भरते
पर समय के साथ उन्हें भी वे है हरते।
मां बाप जैसे जैसे बुढ़ापे की ओर चलते
संतान के तेवर भी हौले हौले हैं बदलते।
कोई अपने को संभाल लेते
मां बाप को अपने साथ है रखते।
कईयों ने खुद को बदला इस क़दर
मां बाप ठोकरें खाने लगे दर दर।
बुढ़ापे से दुखी कोई आत्महत्या कर लेते
तो कोई वृद्धाश्रम को चले जाते।
पूत कपूत हो गया तो क्या
लक्ष्मी रुपी बहू ने अपना फर्ज क्यों नहीं निभाया।
बहू भी तो उन्हें मम्मी पापा है बोलती
फिर उन्हें वृद्धाश्रम जाने से क्यों नहीं रोकती।
मां बाप जीवन में मिलते हैं एक बार
इनकी सेवा बिन नहीं होगा कभी उद्धार।
♦ विनोद वर्मा जी / (मझियाठ बलदवाड़ा) जिला – मंडी – हिमाचल प्रदेश ♦
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- “विनोद वर्मा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — माता-पिता हमारे जीवन के सबसे बड़े वरदान होते हैं। उन्होंने हमें न केवल जन्म दिया, बल्कि जीवन की हर मुश्किल में हमारा साथ निभाया। आज जब वे बुढ़ापे में सहारे की उम्मीद करते हैं, तो हमारा कर्तव्य है कि हम उनका सम्मान और सेवा करें। आधुनिक जीवन की व्यस्तता और स्वार्थ ने जहां रिश्तों की गहराई को कमजोर किया है, वहीं यह याद रखना जरूरी है कि मां-बाप की सेवा ही सच्ची भक्ति है। वृद्धाश्रम उनका स्थान नहीं, बल्कि उनके बच्चों के हृदय होने चाहिए। अगर हर संतान यह सोच ले कि अपने माता-पिता की देखभाल करना उसका सबसे बड़ा धर्म है, तो समाज में प्रेम, संस्कार और मानवीयता कभी खत्म नहीं होगी।
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यह कविता (आखिर क्यों।) “विनोद वर्मा जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम विनोद कुमार है, रचनाकार के रुप में विनोद वर्मा। माता का नाम श्री मती सत्या देवी और पिता का नाम श्री माघु राम है। पत्नी श्री मती प्रवीना कुमारी, बेटे सुशांत वर्मा, आयुष वर्मा। शिक्षा – बी. एस. सी., बी.एड., एम.काम., व्यवसाय – प्राध्यापक वाणिज्य, लेखन भाषाएँ – हिंदी, पहाड़ी तथा अंग्रेजी। लिखित रचनाएँ – कविता 20, लेख 08, पदभार – सहायक सचिव हिमाचल प्रदेश स्कूल प्रवक्ता संघ मंडी हिमाचल प्रदेश।
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