Kmsraj51 की कलम से…..
♦ अब डटकर लड़ना होगा। ♦
गदा तीर तलवार उठा लो,
अब डटकर लड़ना होगा।
बहुत पढ़े हम पाठ प्रेम का,
अब प्रतिशोध पढ़ना होगा।
बहन बेटियों की आबरू,
कब तक हम गंवाएंगे।
हाथ सिरहाने रख कर यूं ही,
कब तक सोते जाएंगे।
उठो चलो संग्राम करो,
अब प्रहार करना होगा।
गदा तीर तलवार उठा लो,
अब डटकर लड़ना होगा।
नीच निराधम असुरों की,
ऐसे मन बढ़ते जाएगी।
कभी बेटियां तेरी तो,
बहनें बली चढ़ती जाएगी।
कर दो नाश निशाचर का,
दूजा न कोई पैदा होगा।
गदा तीर तलवार उठा लो,
अब डटकर लड़ना होगा।
दरबार यहां अंधों का है,
क्या? रक्त हमारा देखेगा!
प्रलय ला दो प्रचंड बनकर,
कि रोष वक्त भी देखेगा।
खाल खींच ले क़ातिल का,
ये बल सब में भरना होगा।
गदा तीर तलवार उठा लो,
अब डटकर लड़ना होगा।
नोट: झारखण्ड, दुमका की बेटी अंकिता सिंह हत्याकांड पर अमित प्रेमशंकर की एक कविता।
♦ अमित प्रेमशंकर जी — एदला-सिमरिया, जिला–चतरा, झारखण्ड ♦
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Conclusion
- “अमित प्रेमशंकर“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — प्राचीन काल से ही नारी बहुत शक्तिशाली है, नारी हर एक विद्या में माहिर होती थी, अपनी रक्षा स्वयं करने में पूर्ण सक्षम थी। फिर आज की नारी अपने आपको इतना लाचार क्यों समझती है? अब नारी को अपनी शक्ति को पहचान कर अपनी रक्षा स्वयं करनी होगी। ब्रह्माण्ड के निर्माण के समय से ही नारी के अंदर सहनशीलता, प्रेम, धैर्य, स्नेह, करुणा व ममता और मधुर वाणी जैसे बहुत से गुण विद्यमान है जो कि नारी की असली शक्ति है। यदि कोई नारी कुछ भी करने का निश्चय कर ले (दिल से ठान ले) तो वह उस कार्य को करे बिना पीछे नहीं हटती है और वह बहुत से क्षेत्रों में पुरूषों से बेहतरीन कर अपनी शक्ति का परिचय देती भी है।
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यह कविता (अब डटकर लड़ना होगा।) “अमित प्रेमशंकर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। आपकी ज्यादातर कविताएं युवा पीढ़ी को जागृत करने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
नाम: अमित प्रेमशंकर
पिता: श्री द्वारिका प्रजापति
माता: श्रीमती रेखा देवी
पत्नी: श्रीमती संजू प्रेमशंकर
जन्मतिथि: १० मार्च १९९३
पता: ग्राम+पोस्ट – एदला
प्रखण्ड: सिमरिया
जिला: चतरा (झारखण्ड)
पिन: ८२५१०३
शिक्षा: स्नातक (हिंदी) विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग
सम्प्रति: कवि, गीतकार व ढोलक वादक।
प्रकाशित पुस्तकें: मन की धारा(एकल),आत्म सृजन, काव्य श्री, एक नई मधुशाला १, एक नई मधुशाला २, भावों के मोती, हमारी शान तिरंगा है व अक्षर पुरूष
प्रकाशित रचनाएं: देश के अलग-अलग पत्र पत्रिकाओं में लगभग दो सौ रचनाएं प्रकाशित व समय समय पर सामाचार पत्रों के माध्यम से पत्राचार।
विशेष: कविता “सीता माता सी कोई नहीं” तथा “आज राम जी आएंगे” महाराष्ट्र के वरिष्ठ साहित्यकार श्री ओ. सी. पटले द्वारा पोवारी भाषा में अनुवाद व दर्जनों हिन्दी, भोजपुरी गीत यूट्यूब पर मौजूद हैं जिसे अलग अलग गायक और गायिकाओं ने अपने स्वर से सजाया है।
प्राप्त सम्मान: काव्य श्री साहित्य सम्मान, आत्म सृजन साहित्य सम्मान, भावोन्नती साहित्य सम्मान, सरदार भगतसिंह काव्य लेखन सम्मान, सुमित्रानंदन पंत स्मृति सम्मान, साहित्य कर्नल सम्मान दो बार, रैदास साहित्य सम्मान,द फेस ऑफ इंडिया साहित्य सम्मान, राष्ट्र प्रेमी साहित्य सम्मान तथा दिल्ली साहित्य रत्न सहित अनेकों आनलाईन काव्य पाठ द्वारा ई-सम्मान पत्र शामिल है।
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