Kmsraj51 की कलम से…..
Adipurush | आदिपुरुष।
कथा, पात्र, संवाद नहीं,
ना भाव भंगिमा दिखती है।
सौम्य सरल सीता मैया,
अर्धनग्न दशा में दिखती है।
क्या यही हनुमत की वाणी है?
क्या यही दशानन उस युग के?
क्या कर दिया रामायण को,
रे रावण तुम इस कलयुग के॥
मर्यादा पुरुषोत्तम को तुम,
शिष्टाचार रहित किया।
खून धर्म का कर तुमने,
संतों का खूब अहित किया।
निज स्वार्थ के खातिर सत्य को,
चले मिटाने सतयुग के।
क्या कर दिया रामायण को,
रे रावण तुम इस कलयुग के॥
हो अपराधी श्रीराम के,
क्षमा मांग लो सब होगा।
गर निकला तीर जो तरकस से तो,
निश्चित तेरा वध होगा।
कालनेमि क्यों बनने चले हो,
राघव के उस त्रेतायुग के।
क्या कर दिया रामायण को,
रे रावण तुम इस कलयुग के॥
♦ अमित प्रेमशंकर जी — एदला-सिमरिया, जिला–चतरा, झारखण्ड ♦
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Conclusion
- “अमित प्रेमशंकर“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इजिस रामायण की कहानी को हम सब बचपन से सुनते आ रहे हैं उसका भद्दा मजाक आप फिल्म में देख पाएंगे। फिल्म में सबसे खराब हैं इसके डायलॉग। फिल्म में हनुमान जी भगवान राम का मैसेज लेकर लंका गए। मेघनाद उनकी पूछ में आग लगा कर पूछता है ‘जली!’ हनुमान जवाब देते हुए कहते हैं, ‘तेल तेरे बाप का, कपड़ा तेरे बाप का, और जलेगी भी तेरे बाप की’। इसके अलावा जब हनुमान लंका से वापस राम के पास पहुंचते हैं तो राम उनसे वहां के बारे में पूछते हैं। इसके जवाब में हनुमान कहते हैं- ‘बोल दिया, जो हमारी बहनों को हाथ लगाएंगे, उनकी लंका लगा देंगे।’
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यह कविता (आदिपुरुष।) “अमित प्रेमशंकर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। आपकी ज्यादातर कविताएं युवा पीढ़ी को जागृत करने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
नाम: अमित प्रेमशंकर
पिता: श्री द्वारिका प्रजापति
माता: श्रीमती रेखा देवी
पत्नी: श्रीमती संजू प्रेमशंकर
जन्मतिथि: १० मार्च १९९३
पता: ग्राम+पोस्ट – एदला
प्रखण्ड: सिमरिया
जिला: चतरा (झारखण्ड)
पिन: ८२५१०३
शिक्षा: स्नातक (हिंदी) विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग
सम्प्रति: कवि, गीतकार व ढोलक वादक।
प्रकाशित पुस्तकें: मन की धारा(एकल),आत्म सृजन, काव्य श्री, एक नई मधुशाला १, एक नई मधुशाला २, भावों के मोती, हमारी शान तिरंगा है व अक्षर पुरूष
प्रकाशित रचनाएं: देश के अलग-अलग पत्र पत्रिकाओं में लगभग दो सौ रचनाएं प्रकाशित व समय समय पर सामाचार पत्रों के माध्यम से पत्राचार।
विशेष: कविता “सीता माता सी कोई नहीं” तथा “आज राम जी आएंगे” महाराष्ट्र के वरिष्ठ साहित्यकार श्री ओ. सी. पटले द्वारा पोवारी भाषा में अनुवाद व दर्जनों हिन्दी, भोजपुरी गीत यूट्यूब पर मौजूद हैं जिसे अलग अलग गायक और गायिकाओं ने अपने स्वर से सजाया है।
प्राप्त सम्मान: काव्य श्री साहित्य सम्मान, आत्म सृजन साहित्य सम्मान, भावोन्नती साहित्य सम्मान, सरदार भगतसिंह काव्य लेखन सम्मान, सुमित्रानंदन पंत स्मृति सम्मान, साहित्य कर्नल सम्मान दो बार, रैदास साहित्य सम्मान,द फेस ऑफ इंडिया साहित्य सम्मान, राष्ट्र प्रेमी साहित्य सम्मान तथा दिल्ली साहित्य रत्न सहित अनेकों आनलाईन काव्य पाठ द्वारा ई-सम्मान पत्र शामिल है।
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