तुम पाओगी की प्रत्येक व्यक्ति में एक तरह की बैचेनी होती है। चाहे वह पैसे कमाने की हो, यात्रा पर जाने की हो, सुन्दर चीजें खरीदने की हो, घर बनाने या सजाने की हो, प्रेम पाने या देने की हो, पढ़ने की हो या पढ़ा हुआ दूसरों के बताने की हो, पौधे लगाने, चित्र बनाने, कलाकार बनने, डाक्टर बनने, ताकत हासिल करने की आदि-आदि। अनगिनत उदाहरण हो सकते हैं इसके।
इन्हीं में से एक या कुछ बेचैनी को लिए हुए मनुष्य जीता है और तुम्हारी यह बेचैनी जिस दिशा में जितनी प्रबल होगी, आदमी उसी दिशा में अधिक काम करेगा। इस बेचैनी की अधिकता ही तुम्हें पढ़ने-लिखने में अधिक सक्रिय बनाती और तुम इनके प्रति महत्वकांक्षी हो जाती हो। यह बेचैनी जैसे ही कम हुई, तुम्हारी इच्छा शक्ति भी कम हो जाती है। तुम देखोगी की एक अच्छा चित्रकार हमेशा कुछ न कुछ बनाने के लिए परेशान रहता है और एक अच्छा गायक हमेशा गाने के साज की ओर दौड़ता है जबकि पढ़ने वाले बच्चों की अंगुलियां पन्ने ही पन्ने पलटती रहती है।
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