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Andaze Bayan Part-4 | अंदाजे बयां — पार्ट – 4
खुद के ही भाव हैं, है अपनी ही अनुभूति,
निज अभिव्यक्ति में कहीं, अपने मन की बात।
भूल – चूक से हो गई, छोड़ो वो बात,
लिखा-पढ़ी रात्रि की, बीत गई उसके साथ।
छोटी – छोटी बात पर, भिड़ने को हो तैयार,
जैसा अधम आदमी, वैसी दुराशय वार।
जो उपजा रोड पर, वही उसका अधिवास,
आश्रय की आध्या वो करे, हो आलय जिसके पास।
‘परिमल’ की ऐसी परम्परा, मिलने को कतराय,
अपनों से बोले नहीं, दूसरे से बतियाय।
यथार्थ सिद्ध हो, दु:ख में भी सुख पाय,
पवित्र निर्मल बात पर, सबका मन मैला हो जाय।
♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦
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यह दोहे (अंदाजे बयां — पार्ट – 4) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख/दोहे सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।
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