Kmsraj51 की कलम से…..
♦ अपनी नज़रों पे बे-वज़ह ना इतना बल दो। ♦
अपनी नज़रों पे बे-वज़ह ना इतना बल दो।
हो सके तो अपने घर का आईना बदल दो॥
ना काटो मुझे मैं शज़र हूँ परिन्दों का घर हूँ।
दूंगा मैं बादल बहुत तुम मुझे थोड़ा जल दो॥
माना कि फूलों के शौक़ीन हैं चमन में बहुत।
लेकिन ये शौक़ कैसा जी भरे और मसल दो॥
लो हम हैं गुस्ताख़, हर सज़ा है कबूल हमको।
मगर इन बे-कुसूरों पे लगी तोहमतें बदल दो॥
उफ़ान सवालों का बना दिल में सैलाब “शशि”।
ऐ मेरी आँखों, इन्हें हल दो या मुझे ग़ज़ल दो॥
♦– डाॅ सच्चितानन्द चौधरी “शशि”♦
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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)
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