Kmsraj51 की कलम से…..
Baj Gaya Jeet Ka Danka | बज गया जीत का डंका।
बज गया, आज जीत का डंका,
जलने वाली है, भ्रष्टाचार की लंका।
फिर हुआ कलयुग में कृष्णावतार,
बंशी की धुन से तिरहुत का हुआ नैया पार।
शिक्षकों की बात अब सड़क से सदन तक,
पहुंचाने आए सूबे के कर्णधार रखकर सबकुछ ताक।
जीत नहीं स्वाभिमान की जंग छिड़ी है,
जुल्म ढाने वालों की होनी किरकिरी है।
कहा जाता शिक्षक समाज का दर्पण होता,
मगर यहां उसे ही है सताया जाता।
याद कीजिए वो दिन जब हम शिक्षामित्र हुआ करते थे,
वेतन के लिए मुखिया जी की जी हुजूरी किया करते थे।
उस दौर में उदय हुआ मड़वन से एक तारणहार,
डूबते को मिला तिनके का साथ हुआ बेड़ा पार।
शिक्षामित्र से नियोजित बने लिए हाथ में हाथ,
संघर्ष का कारवां आगे बढ़ा।
जुझारू अग्रदर्शी बंशी की बजी धुन,
मिला चाइनीज वेतनमान ताना बाना बुन।
जिसके बारे में सोचा न था उसे दिलाया,
शिक्षकों को वेतनमान का स्वाद चखाया।
पूर्ण वेतनमान की चली लंबी लड़ाई के थे सूत्रधार,
मोगैंबो के खौफ से सब थे सन्न लगाई दहाड़ पाया पार।
विखंडित शिक्षक समाज को लाया एक मंच,
शिक्षकों की एकता पर जिसने कसा तंज,
बंशीधर का पड़ा उसपर तगड़ा पंच।
ये मात्र जीत नहीं आगाज है,
अभी तो शुरुआत है अंजाम का इंतजार है।
ये जीत नहीं मिशाल है आलाधिकारियों के लिए काल है,
बज गया आज जीत का डंका,
जलने वाली है भ्रष्टाचार की लंका।
♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦
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• Conclusion •
- “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है —कविता में शिक्षक समाज के संघर्ष और उनकी जीत का वर्णन किया गया है। भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ लड़ाई को रावण की लंका के जलने से तुलना की गई है। शिक्षक समुदाय को जागरूक और संगठित करने में एक नेता, जिसे “मड़वन से तारणहार” कहा गया है, की भूमिका महत्वपूर्ण मानी गई है। इस संघर्ष में शिक्षकों को उनकी मेहनत का उचित वेतनमान और सम्मान दिलाने की दिशा में कई सफलताएं हासिल की गईं। कविता शिक्षक समुदाय की एकता, उनकी संघर्षशीलता और उनके अधिकारों की प्राप्ति की कहानी बयां करती है। यह जीत सिर्फ एक शुरुआत है, और इसे अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक बताया गया है। कविता अंततः यह संदेश देती है कि शिक्षक समाज जब संगठित होकर प्रयास करता है, तो वह बदलाव और जीत का परचम लहरा सकता है।
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यह कविता (बज गया जीत का डंका।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मैं एक शिक्षक हूं। मुजफ्फरपुर जिला, बिहार राज्य का निवासी हूं। भोला सिंह हाई स्कूल पुरुषोत्तम, कुरहानी में अभी एक शिक्षक के रूप में कार्यरत हूँ। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।
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