Kmsraj51 की कलम से…..
♦ भीमराव अंबेडकर। ♦
गूंज उठा आर्यव्रत का जन जन,
उनके पद चिन्हों पर बढा कदम।
अंबेडकर का हम करें स्मरण,
बाबा भीमराव जी को करें नमन।
जिसने किया रांची में था अनशन,
मराठों जैसे लगने वाले थे एकदम।
भाव भरा था हिंदू का उनके तन मन,
हम हिंदुस्तानी हैं करें उन्हें नमन।
रमा और सविता ने निभाया साथ,
अंबेडकर ने किया दो था व्याह।
75 बरसो में हम सब पढ़ लिए पाठ,
छुआछूत पर हुआ कुठाराघात।
दारू वाला क्यों नहीं पीता उनकी बात,
जिससे होने वाला देश का उद्धार।
एक पीढी तक ही चाहते थे आरक्षण,
दूसरी बार सभी हो जाएंगे सवर्ण?
वेद उपनिषद हिंदुत्व का हिस्सा माना,
मनुस्मृति में उलझ कर बौद्ध के बाना।
प्रजातंत्र में बौद्ध की ले ली सौगात,
भीमराव का साथ दिए साहू महाराज।
उच्च शिक्षा ग्रहण करने साहू भेजे,
महाराज कोल्हापुर के से सम्राट।
गरीबों को ऊपर उठाना सरकारी काम,
मोदी और योगी ने दिया अन्न दान।
कांग्रेसी, गांधी दियो अछूत को हरिजन नाम,
विरोध में उतरे भीमराव अंबेडकर नंगे पांव।
कांग्रेस उन्हें रक्षा कमेटी में सलाहकार बनाया,
फिर भी अंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपनाया।
सुदेश कानून व्यवस्था के बनाए गए प्रथम मंत्री,
कानून का पालन कराने के लिए उतरे मानों संत्री।
कानून बनाने के उद्देश्य पर राजेंद्र बाबू का साथ,
भीमराव अंबेडकर ने भी अपने स्तर से किया प्रयास।
हम सभी हिंदुस्तानी हैं करें उन्हें हमेशा याद,
गूंज उठा है आर्यावर्त में कानून का राज।
मध्य प्रदेश की धरती पर कीचड़ से खिला गुलाब,
पूरा देश बाबा अंबेडकर को कह रहा सावास।
♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦
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— Conclusion —
- “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए साहू जी महाराज कोल्हापुर के सम्राट ने विदेश भेजे। गरीबों को ऊपर उठाना सरकारी काम, मोदी और योगी ने दिया अन्न दान। सत्ता के लोभ में नेताओं ने जात पात की रूढ़ भावना को अभी तक खींचते आ रहे है। जिस कारण अमीर और अमीर व गरीब और गरीब होता चला जा रहा हैं। इस जातिगत आरक्षण के कारण एकता और भाईचारा ख़त्म हो गया हैं। संविधान में तो इस भेद भाव को मिटाने की बात की गई है। जबकि संविधान में आरक्षण का प्रावधान मात्र 10 साल तक प्रभावी रखने के निर्देश संविधान निर्माताओं ने दिए थे। लेखक का मानना है कि संसार में मात्र दो ही जातियां हैं, एक स्त्री और दूसरी पुरुष। जो प्रकृति ने सृष्टि संचालन के उद्देश्य से अपना सहयोग करने के लिए बनाई है। बाकी सब मानव मस्तिष्क की खुराफत है।
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यह कविता (भीमराव अंबेडकर।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।
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