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बिखरे पत्तों सी जिन्दगी।

Kmsraj51 की कलम से…..

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    • ♦ बिखरे पत्तों सी जिन्दगी। ♦
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♦ बिखरे पत्तों सी जिन्दगी। ♦

ये जिंदगी ताश के बिखरे पत्तों जैसी,
खेल की तरह ही जीतती हारती है वैसी।

कभी बादशाह जैसी अपनी हुकूमत दिखाती,
कभी रानी बन सुंदरता का आईना दर्शाती।

कभी जोकर बन सभी को हंसाए, रुलाए,
आंखों में आंसू, होठों पर कभी मुस्कान लाए।

बावन पत्तों सा रिश्तों का बना संसार,
एक भी गुम हो जाए तो जीवन लगे निराधार।

सभी भावनाऐं इस कदर इन पत्तों में समाई,
कभी ईंट, कभी हुकुम का इक्का ले आई।

कभी पान के पत्ते सी, कभी चिड़ी जैसे पंख लगाए,
भावनाएं ले ऐसी, ये जिंदगी सरसाये।

जो रंगीन पत्तों की बात करें, उल्टे या सीधे एक समान,
बावन के ढेर में छुपे जो, रंगीन ताश दिखाए रंगीन जहान।

अलग-अलग करीने से लगाने पर, ये खेल में खूब रंग लगाए,
इसमें ही खोने पर, ताश के पत्तों जैसी जिंदगी बिखर जाए।

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — जिंदगी के उतार-चढ़ाव उस दिमागी खेल की तरह हैं जिसमें कभी हार होती है तो कभी जीत। यदि हम खेल को कुशलतापूर्वक और ध्यान से खेलते हैं तो विजय मिलती है और ध्यान चूकने पर हार का सामना करना पड़ता है। जिंदगी में परेशानियों व विपत्तियों का आगमन व्यक्ति को हताश कर देता है और उसके जीवन में अंधकार भर देता है। लेकिन मानव जीवन का यही वो समय होता है जब उसे पूर्ण धैर्य से कार्य करना चाहिए और शांत मन से उचित निर्णय लेकर आगे बढ़ना चाहिए। मानव जीवन में परेशानियों व विपत्तियों का आगमन मनुष्य को मानसिक रूप से मज़बूत बनाने के लिए आते है।

—————

यह कविता (बिखरे पत्तों सी जिन्दगी।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Reader Interactions

Comments

  1. Kusum Gaur says

    January 20, 2023 at 10:41 am

    बहुत ही सुंदर और सच्ची कविता ।💐💐💐💐👏👏👏👏✍️✍️

    Reply
    • kmsraj51 says

      January 20, 2023 at 1:28 pm

      Tahedilse Thanks Ji

      Reply
  2. Ram kanwar Rathi says

    January 21, 2023 at 1:31 pm

    Very nice 👌👌👍👍

    Reply
    • kmsraj51 says

      January 21, 2023 at 2:59 pm

      Tahedilse Thanks Ji

      Reply

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