Kmsraj51 की कलम से…..
♦ पढ़ ले भाई – अब वक़्त हो गया। ♦
पढ़ ले भाई, अब वक़्त हो गया।
रोयेगा फिर और कहेगा ये क्यों, क्या और कब हो गया?
बन्द कर दे ये आलसपना, नही तो हो जायेगा मजबूर।
निकल जायेगी सारी तेरी हेकड़ी और रोयेगा भरपूर॥
कितने सपने संजो के तुझ को तेरे अभिभावक पढ़ाते।
उन सपनो को तुम अपने अय्याशियों से यूँ ही कुचलते जाते।
याद आएगी वो बात जब मैं तुमको ये समझाता।
‘बस कर भाई, पढ़ ले यार’ ये शब्द कानो में जब गूंजते जाता॥
पढ़ता हूँ मैं जब भी भाई एक बात समझ नही आती है।
क्यों नही पढ़ता है मेरे मित्र ये बात मुझे तड़पाती है।
डेढ़ लाख से ज्यादा रुपए देकर तू यहां पढ़ने आया है।
और उन रूपयो की महत्वता न समझ कर,
तू यहां अय्याशियों में समाया है॥
खेलकूद और मनोरंजन माना कि होती है जरूरी,
पर इस सब की आड़ में तू बना मत पढ़ाई से दूरी।
टीवी, इंटरनेट, शॉपिंग और सोना ये जीवन का आधार नही।
सब ने कहा, सब ने माना कि पढ़ाई ही जीवन का आधार सही॥
है तू मेरा रूममेट, मित्र और भाई भी मैंने तुझे बना लिया।
नही लग जाये ये आरोप की मैंने ही इसको फेल करा दिया।
है तेरे काफी दोस्त मगर पर उनमे सच्चे दोस्त शायद ही होंगे।
सभी तेरे रूपये, स्टेट्स पर या चाटुकार ही घूमते होंगे॥
किसी ने भी तुझे पढ़ाई करने के लिए कभी प्रोत्साहित नही किया।
सब मौज मस्ती या घूमने पर ही तुझको हमेशा परेशान किया।
बीबी की वाईन्स हो या फिर अन्य कोई भी वीडियो।
नही पास करा पाएंगे तू बस ये बात याद रख लिजियो॥
है तू अच्छा भी दिखने में और आर्थिक स्थिति भी तेरी अच्छी है।
नही है तेरी पढ़ाई में कोई रुकावट,
फिर नही पढ़ना ये बात मुझे नही जँचती है।
क्या करु जिससे तू समझे कि तू कितना सौभाग्य-शाली है।
आरक्षण और मेहनत के दम पर नौकरी तेरी राह ताकती है॥
माना है कि घर पर तुझे तेरी माँ सम्भाला करती थी।
अच्छे संस्कार और अनुशासन से वो तुझे पढ़वाया करती थी।
पर तेरी जिद्द के कारण तू यहां घर से हॉस्टल आया है।
जो भी है, जैसा है बस अब तेरा घर संसार यही समाया है॥
कॉलेज के टीचर हो या मैं और तेरे अभिभावक।
सब देते तुझको एक ही सीख, पढ़ ले बस मन लगाकर।
रख थोड़ा आत्मसयंम और कर एकाग्रता का प्रयास।
आलस्य, लालच और चाटुकारो को कर दे जीवन से निकास॥
हो सकता है भविष्य में हम न हो फिर से साथ।
इसीलिए तुझको हूँ कहता कि पढ़ले मेरे साथ।
पढ़कर फायदे है अनेक पर सर्वोत्तम है उसमे एक बात।
मित्र बनेगी तेरी ‘शिक्षा’ जो है पाठन की सौगात॥
इस मित्रता को निभाना हो तो शर्त और नियम है बड़े ही निराले।
निरन्तर अध्ययन और पढ़ाई है जरूरी बस यही करना है मेरे प्यारे॥
♥ सारांश सागर। – नोएडा, उत्तर प्रदेश ♥
यह कविता “सारांश सागर जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। हम दिल से आभारी हैं सारांश सागर जी के प्रेरणादायक हिन्दी कविता साझा करने के लिए। हम आपके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं।
About Yourself – आपके ही शब्दों में —
- नाम: सारांश सागर।
- व्यवसाय: Social Worker, Blogger, Vlogger, Digital Marketer, Web-Developer, Content Writer.
- अनुभव: 5+ Years in Social Work, Digital Marketing and Web Development.
Blog: https://www.gyansagar999.com/
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Kuldeep Singh says
Excellent 🙁
On Feb 7, 2016 4:44 PM, “KMSRAJ51-Always Positive Thinker” wrote:
> Kmsraj51 posted: “Kmsraj51 की कलम से….. ϒ पढ़ ले भाई – अब वक़्त हो गया। ϒ पढ़
> ले भाई, अब वक़्त हो गया। रोयेगा फिर और कहेगा ये क्यों, क्या और कब हो गया?
> बन्द कर दे ये आलसपना, नही तो हो जायेगा मजबूर। निकल जायेगी सारी तेरी हेकड़ी
> और रोयेगा भरपूर। कितने सपने संजो के तुझ क”
>
Kmsraj51 says
thanks
garvit says
nice poem saransh sagar ji
Kmsraj51 says
thanks