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हिन्दी साहित्य

तंत्र, मंत्र और तत्व ज्ञान में अंतर।

Kmsraj51 की कलम से…..

Difference between Tantra, Mantra and Tatva Gyan | तंत्र, मंत्र और तत्व ज्ञान में अंतर।

एक अध्यात्मिक विश्लेषण 

बहुतायत लोगों की यह धारणा होती है कि तंत्र, मंत्र और तत्व ज्ञान — ये तीनों एक ही विषय के अलग- अलग नाम हैं पर विषय एक ही है। किंतु वास्तव में ऐसा नहीं है। अध्यात्म-विज्ञान की दृष्टि से देखें तो ये तीनों अलग-अलग पड़ाव हैं। प्रत्येक का अपना क्षेत्र, उद्देश्य और लक्ष्य है। इन्हें क्रमवार समझना आवश्यक है :-

1. तंत्र विज्ञान — भौतिकता का कौशल

तंत्र प्राचीन भारत की भौतिक सामग्रियों के संतुलित संयोजन का विज्ञान था। यह शरीर, औषधि, धातु, रस, दिशा और समय जैसे भौतिक तत्त्वों के प्रयोग से चमत्कार उत्पन्न करने की कला थी।
तंत्र को समझने के लिए कठोर अभ्यास की आवश्यकता होती थी, जिसे आज के युग में “ट्रेनिंग” कहा जाता है। आधुनिक विज्ञान के विकास के साथ-साथ तंत्र अब भौतिक, रासायनिक और जैव विज्ञान का अंग बन चुका है।
तंत्र वस्तुतः बौद्धिक विलास का विज्ञान था — आज यह सार्वजनिक हो चुका है और आधुनिक प्रयोगशालाओं में इसके सिद्धांत विज्ञान के रूप में आत्मसात हो चुके हैं।

2. मंत्र विज्ञान — मानसिक साधना का विज्ञान

मंत्र विद्या वस्तुतः बौद्धिक विलास का विज्ञान है । यह तंत्र से एक कदम आगे की कड़ी थी। इसमें शब्द-साधना और ध्वनि-ऊर्जा के माध्यम से मानसिक जगत को साधा जाता था।
मंत्रों से प्रत्यक्ष भौतिक चमत्कार नहीं होते थे, किंतु सूक्ष्म शरीर शक्तिशाली बनता था।
तंत्र जहाँ भौतिक शरीर को सशक्त करता था, वहीं मंत्र विज्ञान मन और चेतना को सशक्त करता था।

मंत्र-साधना से साधक को मानसिक सिद्धि और वाक्-सिद्धि प्राप्त होती थी —

  • मानसिक सिद्धि से वह दूसरों के मन के भाव पढ़ सकता था।
  • वाक्-सिद्धि से उसके शब्द वरदान या शाप का प्रभाव धारण करते थे।

आज का मनोविज्ञान इसी विद्या के कुछ अंशों को आधुनिक रूप में समझाने का प्रयास करता है। परंतु इस विद्या का मूल तर्क से नहीं,  कल्पना शक्ति से संचालित होता है, और यही कारण है कि आधुनिक तर्कशील समाज में यह विद्या लुप्तप्राय हो गई है। जो मंत्र विज्ञान आज प्रयोग होता भी है,  वह एक तो बहुत कम होता है और फिर वह सिद्ध पुरुषों के अभाव में प्रयोग होता है,जिससे समाज को भ्रम में तो डाला जा रहा है पर राहत नहीं पहुंच रही है। मंत्र विज्ञान मन की ताकत को बढ़ाने का एक सशक्त माध्यम था और है। पर शर्त यह है कि इसकी भी सिद्धि शास्त्र में बताए अनुसार किसी सिद्ध के सानिध्यम में कर लेनी होती है। मात्र किताबों से पढ़ने से कोई खास प्रभाव मंत्र विज्ञान का नहीं होता है। मंत्रों की यूं तो आज भरमार है। परन्तु मंत्र विद्या लगभग लुप्तप्राय हो गई है।

3. तत्व ज्ञान — आत्मा और परमात्मा का संयोग है

तत्व ज्ञान इन दोनों से बिल्कुल भिन्न है। यह न तो तंत्र की भौतिकता से जुड़ा है, न मंत्र की मानसिकता से।
यह ज्ञान आत्मा के उस मूल स्रोत की खोज है, जिससे समस्त ऊर्जा प्रवाहित होती है —
वह कहाँ से आती है, कहाँ जाती है, और कौन-सा तत्व उसे संचालित करता है? इन सब घटनाओं का विधिवत ज्ञान ही तत्व ज्ञान है।

तत्व ज्ञान किसी चमत्कार या देव-सिद्धि का विज्ञान नहीं है।
यह आत्मिक अनुभूति का मार्ग है — आत्मा और परमात्मा के मिलन की यात्रा।
जो व्यक्ति इस ज्ञान को जानकर व्याख्या सहित लोक में प्रकट कर सके, वही तत्वज्ञानी कहलाता है।

गीता और संत-मत दोनों ही कहते हैं —

“जिसे आत्मा और परमात्मा का वास्तविक ज्ञान हो वही ज्ञानी है, शेष सब ज्ञापक मात्र हैं।”

इस ज्ञान की प्राप्ति सद्गुरु की कृपा से ही संभव है —
चाहे वह दर्शन कृपा हो,  स्पर्श-कृपा हो, दृष्टि-कृपा हो या शब्द-कृपा हो। परन्तु कृपा सदगुरु से ही इनमें से किसी एक माध्यम से या सभी माध्यमों से व्यक्ति को प्राप्त होती है।
यह ज्ञान गुरु-मुख से प्राप्त होता है; इसे केवल पढ़ने, जपने या तर्क से नहीं पाया जा सकता।

यह गूढ़, गोपनीय और रूहानी साधना है — जो मन से प्रारंभ होकर आत्मा में विलीन होती है।
यहीं से आत्मा का परमात्मा से समीप्य आरंभ होता है।
भौतिकता से मोह छूटता है, दिखावा समाप्त होता है और मन शांति को प्राप्त होता है।आत्मा प्रफुल्लित होती है। यह असल में आत्म विलास का विषय है।

4. उदाहरण — सिद्धि बनाम मुक्ति

मंत्र और तंत्र से सिद्धियां मिल सकती हैं — आठ सिद्धि, नौ निधि, 24 प्रकार की शक्तियाँ — पर वे मुक्ति नहीं देतीं।
कुन्ती के पास मंत्र-सिद्धि थी, पर क्या वह दुख-मुक्त हुईं? नहीं न।
स्वामी रामकृष्ण परमहंस के गुरु तोतापुरी के ज्ञान बारे सब जानते हैं कि उन्होंने स्वामी जी को क्या ज्ञान दिया था? स्वामी जी मां काली को सिद्ध भी कर चुके थे। परन्तु फिर भी स्वामी जी को अपनी तत्व-साधना से देवी-सिद्धि के बंधन को तोड़ना पड़ा था।

भगवान राम और कृष्ण तक सांसारिक पीड़ा से मुक्त नहीं रहे।
अतः सिद्धि मुक्ति का मार्ग नहीं है — केवल तत्व-ज्ञान ही परम मुक्ति का द्वार है।

5. निष्कर्ष — सत्य की ओर मार्ग

आज के युग में तंत्र और मंत्र के साधक तो मिल जाएंगे, पर तत्वज्ञानी दुर्लभ हैं।
जो सत्य की खोज करना चाहता है, उसे चमत्कारों से नहीं, सद्गुरु की शरण से आरंभ करना होगा।
तभी वह उस आनंद-भाव को प्राप्त करेगा जिसके लिए सूरदास ने कहा था —

“यह गूंगे के गुड़ समान है — स्वाद तो है, पर कहा नहीं जा सकता।”

तत्व-ज्ञान की वही स्थिति है — जो समुद्री जहाज के ऊपर बैठे पंछी की होती है। वह पंछी विशाल सागर में दसों दिशाओं में जी भर कर उड़ लेता है पर अंततः जब उसे थकान महसूस होती है तो,उसे विश्राम करने के लिए कोई सहारा या आधार न मिलने के कारण; वह पुनः उसी जहाज पर लौट कर आता है। ऐसी ही सच्चे तत्व ज्ञान की प्राप्ति की लालसा वाले साधक की स्थिति अंततः होती है ।
जहाँ साधक का मन हर दिशा में भटकने के बाद उसी “जहाज” में लौट आता है, जो उसका सच्चा आश्रय है — परमात्मा।

तंत्र शरीर का, मंत्र मन का, और तत्व ज्ञान आत्मा का विज्ञान है।
सिद्धियाँ तंत्र और मंत्र से मिल सकती हैं, पर सच्ची मुक्ति केवल तत्व ज्ञान से ही संभव है।

♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦

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  • “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस Article के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — तंत्र, मंत्र और तत्व ज्ञान—ये तीनों शब्द अक्सर एक ही अर्थ में उपयोग किए जाते हैं, परंतु वास्तव में ये अध्यात्म के तीन अलग-अलग चरण हैं। इनका क्षेत्र, उद्देश्य और साधना-मार्ग भिन्न है।

    तंत्र विज्ञान भौतिक जगत से जुड़ा हुआ है। यह शरीर, औषधि, धातु, दिशा, समय और अन्य तत्वों के संयोजन का विज्ञान है। प्राचीन काल में इसे भौतिक चमत्कारों का स्रोत माना जाता था। तंत्र साधक अपने अभ्यास से शरीर और पदार्थों की शक्तियों को नियंत्रित करता था। आज के समय में इसका वैज्ञानिक रूप भौतिक, रासायनिक और जैविक विज्ञान के रूप में विकसित हो चुका है।

    मंत्र विज्ञान मानसिक शक्ति का विज्ञान है। इसमें ध्वनि, शब्द और उच्चारण के माध्यम से मन तथा चेतना को नियंत्रित किया जाता है। मंत्र-साधना से साधक को मानसिक सिद्धि (दूसरों के विचारों को जानने की शक्ति) और वाक्-सिद्धि (शब्दों से प्रभाव डालने की शक्ति) प्राप्त होती है। तंत्र जहाँ शरीर को सशक्त करता है, वहीं मंत्र मन को। किंतु यह विद्या आज लुप्तप्राय है क्योंकि इसे गुरु के सानिध्य में ही साधा जा सकता है, मात्र पुस्तकीय ज्ञान से नहीं।

    तत्व ज्ञान इन दोनों से कहीं ऊँचा है। यह आत्मा और परमात्मा के मिलन की साधना है। इसमें कोई चमत्कार नहीं, बल्कि आत्मिक अनुभूति और मुक्ति का मार्ग है। तत्वज्ञानी वह होता है जो आत्मा के मूल स्रोत को पहचान लेता है। यह ज्ञान गुरु की कृपा से ही प्राप्त होता है—तर्क या अध्ययन से नहीं।

    तंत्र और मंत्र साधक को सिद्धियाँ तो दे सकते हैं, परंतु सच्ची मुक्ति केवल तत्व ज्ञान से ही मिलती है। यही वह मार्ग है जो मनुष्य को भौतिक और मानसिक बंधनों से मुक्त कर सच्चे आनंद, शांति और परमात्मा से एकत्व की अनुभूति कराता है। यही अध्यात्म का परम लक्ष्य है।

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यह Article (तंत्र, मंत्र और तत्व ज्ञान में अंतर।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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नरेंद्र मोदी के कार्यकाल और उनके कार्य पर प्रकाश।

Kmsraj51 की कलम से…..

Narendra Modi’s Tenure And His Work | नरेंद्र मोदी के कार्यकाल और उनके कार्य पर प्रकाश।

नरेंद्र मोदी जी की उपयोगिता को समझने के लिए, हमें उनके कार्यकाल के दौरान किए गए कार्यों और योजनाओं पर ध्यान देना होगा। वह भारत के 15 वें प्रधानमंत्री हैं और अपने कार्यकाल में उन्होंने कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं।

⇒ मोदी जी के उपयोगी कार्य

स्वच्छ भारत अभियान : देशभर में स्वच्छता और ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों शौचालय का निर्माण करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।

प्रधानमंत्री जन धन योजना : देश के किसानों के हित के लिए शुरू की गई थी, जिसके तहत देशभर के लाखों किसानों का मुफ्त में खाता खुलवाया गया था।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना : गरीब महिलाओं को मुफ्त में एलपीजी गैस सिलेंडर प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी।

आयुष्मान भारत योजना : 50 करोड़ से अधिक भारतीयों को कवर करते हुए, गरीब और नव-मध्यम वर्ग को उच्च गुणवत्ता और सस्ती स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित कर रही है।

मेक इन इंडिया : भारत को अंतर्राष्ट्रीय विनिर्माण पावरहाउस में बदलने के लिए शुरू की गई पहल।

डिजिटल इंडिया : देश में डिजिटल तकनीक को बढ़ावा देने और इसके माध्यम से नागरिकों को विभिन्न सेवाएं प्रदान करने के लिए शुरू की गई पहल।

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⇒ मोदी जी की विदेश नीति
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अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस : संयुक्त राष्ट्र में ‘अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस’ मनाने के लिए प्रस्ताव पारित किया गया।
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विदेश दौरे : नेपाल, ऑस्ट्रेलिया, फिजी, सेशेल्स और यूएई के द्विपक्षीय दौरे पर जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री बने।
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अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार : सऊदी अरब के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘किंग अब्दुलअजीज सैश’, रूस के ‘द ऑर्डर ऑफ द होली एपोस्टल एंड्रयू द फर्स्ट’, और अन्य कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 11 साल के कार्यकाल में कई ऐतिहासिक काम हुए हैं। उनकी सरकार ने गरीब कल्याण, महिलाओं का सशक्तिकरण, युवाओं को अवसर देने और किसानों को सम्मान दिलाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं।

⇒ मोदी सरकार की प्रमुख उपलब्धियां

गरीब कल्याण : 27 करोड़ गरीबों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने का काम किया गया है। 5 करोड़ घर बनाने, 12 करोड़ शौचालय बनवाने और मुफ्त में राशन और दवा उपलब्ध कराने जैसी योजनाएं शुरू की गई हैं।

आर्थिक विकास : भारत की GDP 162% बढ़ी है और विदेशी मुद्रा भंडार 290 अरब डॉलर से बढ़कर 620 अरब डॉलर हो गया है।

डिजिटल भारत : UPI के चलन को तेज गति मिली है और डिजिटल ट्रांजेक्शन 2071 करोड़ से बढ़कर 9500 करोड़ हो गए हैं।

स्वास्थ्य सेवाएं : आयुष्मान भारत योजना के तहत 6.5 करोड़ लोगों को 81,979 करोड़ रुपये का इलाज मिला है।

किसानों के लिए : प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 11 करोड़ से अधिक किसानों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान की गई है।

अंतरिक्ष अनुसंधान : चंद्रयान-3 की सफल लॉन्चिंग और सूर्य की खोज के लिए पहला मिशन लॉन्च किया गया है।

इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास : नेशनल हाईवे में 60% की बढ़त और 31000 किमी का नया रेल नेटवर्क बिछाया गया है।

इन उपलब्धियों के अलावा, मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने, राम मंदिर का निर्माण और अन्य कई महत्वपूर्ण फैसले भी लिए हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व के सबसे लोकप्रिय नेता हैं, जिन्हें 75% लोगों की अप्रूवल रेटिंग मिली है। यह जानकारी अमेरिका की बिजनेस इंटेलिजेंस कंपनी मॉर्निंग कन्सल्ट की ओर से जारी जुलाई 2025 की सर्वे रिपोर्ट में दी गई है।

विश्व के सबसे लोकप्रिय नेताओं की सूची

  1. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी : 75% अप्रूवल रेटिंग के साथ पहले स्थान पर हैं।
  2. ली जे म्युंग (दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति) : 59% अप्रूवल रेटिंग के साथ दूसरे स्थान पर हैं।
  3. जेवियर मिलेई (अर्जेंटीना के राष्ट्रपति) : 57% अप्रूवल रेटिंग के साथ तीसरे स्थान पर हैं।
  4. मार्क कार्नी (कनाडा के नए प्रधानमंत्री) : 56% अप्रूवल रेटिंग के साथ चौथे स्थान पर हैं।
  5. एंथोनी अल्बानीस (ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री) : 54% अप्रूवल रेटिंग के साथ पांचवें स्थान पर हैं।

मोदी की लोकप्रियता का कारण उनकी मजबूत नेतृत्व क्षमता और विश्व स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाने में उनकी भूमिका हो सकती है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व क्षमता और उनकी लोकप्रियता के पीछे कई कारण हैं। उनकी सफलता का श्रेय उनके अद्वितीय नेतृत्व शैली, उनकी संचार कौशल और उनकी दूरदर्शिता को दिया जा सकता है। आइए जानते हैं कि मोदी कैसे एक सफल नेता बने :

मोदी की नेतृत्व शैली

निर्णायक नेतृत्व : मोदी अपने निर्णयों में स्पष्ट और दृढ़ होते हैं। उन्होंने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं, जैसे कि नोट बंदी और जीएसटी लागू करना।

दूरदर्शिता : मोदी की नीतियां और योजनाएं देश के भविष्य को ध्यान में रखकर बनाई जाती हैं। उन्होंने डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाएं शुरू की हैं जो देश के विकास को बढ़ावा दे रही हैं।

संचार कौशल : मोदी एक अच्छे संचारक हैं और वे लोगों से जुड़ने की क्षमता रखते हैं। वे अपनी बातों को प्रभावी ढंग से लोगों तक पहुंचाने में सक्षम हैं।

⇒ मोदी की लोकप्रियता

जनसमर्थन : मोदी को जनता का व्यापक समर्थन प्राप्त है। उनकी योजनाएं और नीतियां लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रही हैं।

अंतरराष्ट्रीय पहचान : मोदी की नेतृत्व क्षमता और उनकी नीतियों ने देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान दिलाई है। वे विश्व के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं।

आर्थिक विकास : मोदी की आर्थिक नीतियों ने देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद की है। देश की GDP में वृद्धि हुई है और विदेशी निवेश में बढ़ोतरी हुई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने सीमा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। उनके विचारों और नीतियों का उद्देश्य देश की सीमाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना और पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को मजबूत करना है।

⇒ सीमा सुरक्षा के प्रमुख पहलू 

BSF की भूमिका : मोदी सरकार ने सीमा सुरक्षा बल (BSF) की भूमिका को मजबूत किया है, जो देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है। BSF ने अपनी वीरता और मारक क्षमता का प्रदर्शन किया है, खासकर ऑपरेशन सिंदूर में।

वाइब्रेंट विलेजेज प्रोग्राम : इस कार्यक्रम का उद्देश्य सीमावर्ती गांवों को मजबूत करना है, जिससे वे देश की सुरक्षा में योगदान कर सकें। इसके तहत गांवों में बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं और रोजगार के अवसर पैदा किए जा रहे हैं।

पड़ोसी देशों के साथ संबंध : मोदी सरकार ने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने के प्रयास किए हैं, जैसे कि क्षेत्रीय व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना।

आंतरिक सुरक्षा : सरकार ने आंतरिक सुरक्षा के मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया है, जैसे कि नक्सलवाद और आतंकवाद का मुकाबला करना।

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⇒ सीमा सुरक्षा के लिए मोदी सरकार की रणनीति 

सीमा बुनियादी ढांचे का विकास : सरकार ने सीमा क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित किया है, जैसे कि सड़कों और पुलों का निर्माण।

सुरक्षा बलों को मजबूत करना : सरकार ने सुरक्षा बलों को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे कि आधुनिक हथियारों और उपकरणों की आपूर्ति।

प्रौद्योगिकी का उपयोग : सरकार ने सीमा सुरक्षा में प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के प्रयास किए हैं, जैसे कि सीसीटीवी कैमरे और सेंसर का उपयोग।

सीमा रक्षकों के लिए कई महत्वपूर्ण उपाय हैं जो सीमा सुरक्षा को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं। ये उपाय निम्नलिखित हैं :

⇒ सीमा सुरक्षा के लिए तकनीकी उपाय

उन्नत निगरानी प्रणाली : सीमा पर निगरानी के लिए सेंसर, डिटेक्टर, कैमरे और जमीन-आधारित रडार सिस्टम का उपयोग किया जा सकता है।

सी आई बी एम एस (व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली) : यह एक मजबूत और एकीकृत प्रणाली है जो मानव संसाधनों, हथियारों और हाईटेक निगरानी उपकरणों को समेकित रूप से एकीकृत करके सीमा सुरक्षा को बढ़ाती है।

नाइट विजन डिवाइस और थर्मल इमेज : ये उपकरण रात के समय या कम प्रकाश में भी सीमा पर गतिविधियों को देखने में मदद करते हैं।

⇒ सीमा सुरक्षा के लिए बुनियादी ढांचे के उपाय

सीमा बाड़ : सीमा पर बाड़ लगाने से अवैध प्रवेश को रोकने में मदद मिलती है।

फ्लड लाइटिंग : सीमा पर फ्लडलाइटिंग करने से रात के समय भी सीमा पर गतिविधियों को देखने में मदद मिलती है।

सीमा चौकियां : सीमा पर चौकियां बनाने से सीमा रक्षकों को सीमा पर नजर रखने में मदद मिलती है।

⇒ सीमा सुरक्षा के लिए संगठनात्मक उपाय

सीमा सुरक्षा बल : सीमा सुरक्षा बल को मजबूत बनाने और उन्हें आधुनिक हथियारों और उपकरणों से लैस करने से सीमा सुरक्षा में मदद मिलती है।

प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण : सीमा रक्षकों को नियमित प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के माध्यम से उनके कौशल में सुधार करने से सीमा सुरक्षा में मदद मिलती है।

द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग : पड़ोसी देशों के साथ द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग से सीमा सुरक्षा में मदद मिलती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने विभिन्न देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख देश और समझौते निम्नलिखित हैं:

⇒ प्रधानमंत्री मोदी के प्रमुख विदेश दौरों और समझौतों की सूची

अमेरिका : भारत और अमेरिका के बीच रक्षा सहयोग, व्यापार और निवेश, और तकनीकी सहयोग जैसे क्षेत्रों में समझौते हुए हैं। इनमें BECA, LEMOA और COMCASA जैसे महत्वपूर्ण समझौते शामिल हैं।

रूस : भारत और रूस के बीच पारंपरिक रूप से घनिष्ठ संबंध रहे हैं। दोनों देशों ने रक्षा, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग किया है। हाल ही में, प्रधानमंत्री मोदी ने रूस की यात्रा की और वहां ऊर्जा क्षेत्र में समझौते किए।

चीन : भारत और चीन के बीच व्यापार और आर्थिक संबंध मजबूत हुए हैं। हालांकि, सीमा विवाद और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के कारण संबंधों में तनाव भी देखा गया है।

जापान और ऑस्ट्रेलिया : भारत ने जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर QUAD (Quadrilateral Security Dialogue) का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखना है।

यूरोपीय संघ : भारत और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार और निवेश सहयोग मजबूत हुआ है। दोनों पक्ष जलवायु परिवर्तन और नवीकरणीय ऊर्जा पर मिलकर कार्य कर रहे हैं।

दक्षिण पूर्व एशियाई देश : भारत ने दक्षिण पूर्व एशियाई देशों जैसे इंडोनेशिया, वियतनाम, म्यांमार, थाईलैंड और सिंगापुर के साथ व्यापार और रक्षा संबंध मजबूत किए हैं।

⇒ इन देशों के साथ समझौतों के प्रमुख क्षेत्र

रक्षा सहयोग : भारत ने विभिन्न देशों के साथ रक्षा समझौते किए हैं, जैसे कि अमेरिका के साथ BECA और LEMOA।

व्यापार और निवेश : भारत ने विभिन्न देशों के साथ व्यापार और निवेश समझौते किए हैं, जैसे कि यूरोपीय संघ और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ।

ऊर्जा सहयोग : भारत ने रूस के साथ ऊर्जा क्षेत्र में समझौते किए हैं।

तकनीकी सहयोग : भारत ने अमेरिका के साथ तकनीकी सहयोग समझौता किया है, जिसमें नासा और इसरो के बीच अंतरिक्ष अनुसंधान में सहयोग शामिल है।

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मेड इन इंडिया हथियारों की मांग दुनिया भर में बढ़ रही है। भारत ने हाल ही में कई देशों को अपने हथियार निर्यात किए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख देश हैं:

अमेरिका : भारत अमेरिका को हथियारों के पार्ट्स और सब-सिस्टम बेच रहा है, जैसे कि बोइंग और लॉकहीड मार्टिन जैसी कंपनियों के लिए विमान और हेलीकॉप्टर पार्ट्स।

फ्रांस : भारत फ्रांस को सॉफ्टवेयर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बेच रहा है।

आर्मेनिया : आर्मेनिया ने भारत से आकाश वायु रक्षा मिसाइल सिस्टम, पिनाका मल्टी-लॉन्च रॉकेट सिस्टम और 155 मिमी आर्टिलरी गन जैसे हथियार खरीदे हैं।

फिलीपींस : भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें बेची हैं।

म्यांमार : म्यांमार भारत से मिसाइलें और अन्य हथियार खरीदता है।

श्रीलंका : श्रीलंका भी भारत से हथियार खरीदता है।

मॉरीशस : मॉरीशस भारत से हथियार खरीदता है।

सेशेल्स : सेशेल्स भी भारत से हथियार खरीदता है।

मालदीव : मालदीव भारत से हथियार खरीदता है।

वियतनाम : वियतनाम भी भारत से हथियार खरीदता है।

इक्वाडोर : इक्वाडोर ने भी भारत से हथियार खरीदे हैं।

अफगानिस्तान : अफगानिस्तान भी भारत से हथियार खरीदता है।

ऑस्ट्रेलिया : ऑस्ट्रेलिया ने भारत से बुलेटप्रूफ जैकेट खरीदे हैं।

जापान : जापान भी भारत से हथियार खरीदता है।

इजरायल : इजरायल ने भी भारत से बुलेटप्रूफ जैकेट खरीदे हैं।

ब्राजील : ब्राजील भी भारत से बुलेटप्रूफ जैकेट खरीदता है।

UAE : UAE ने भारत से गोला-बारूद खरीदा है।

मिस्र : मिस्र भी भारत से गोला-बारूद खरीदता है।

इंडोनेशिया : इंडोनेशिया ने भी भारत से गोला-बारूद खरीदा है।

थाईलैंड : थाईलैंड भी भारत से गोला-बारूद खरीदता है।

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भारत ने कोरोना महामारी के दौरान कई देशों को वैक्सीन की आपूर्ति की है। इनमें से कुछ प्रमुख देश हैं :

बांग्लादेश : भारत ने बांग्लादेश को बड़ी मात्रा में वैक्सीन प्रदान की है।

कनाडा और यूरोप : भारत ने कनाडा और यूरोप के कई देशों को भी वैक्सीन भेजी है।

अन्य देश : इसके अलावा, भारत ने दुनिया भर के कई अन्य देशों को भी वैक्सीन की आपूर्ति की है, जिनमें पड़ोसी देश और अन्य विकासशील देश शामिल हैं।

भारत में निर्मित वैक्सीन, जैसे कि कोवीशील्ड और कोवैक्सीन, को विदेशों में भेजा गया है। भारत की वैक्सीन आपूर्ति ने दुनिया भर में कोरोना से लड़ने के प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

⇒ विशेष रूप से उल्लेखनीय है :

कोवीशील्ड : ऑक्सफोर्ड – एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन, जिसे भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने बनाया है।

कोवैक्सीन : भारत बायोटेक द्वारा विकसित और निर्मित वैक्सीन।

इन वैक्सीनों का उपयोग न केवल भारत में किया गया, बल्कि विदेशों में भी किया गया है। भारत की वैक्सीन आपूर्ति ने दुनिया भर में कोरोना से लड़ने के प्रयासों को मजबूत किया है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इन पहलों का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच, सामर्थ्य और गुणवत्ता में सुधार करना है। कुछ प्रमुख योगदान इस प्रकार हैं:

आयुष्मान भारत : प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM -JAY) : इस योजना के तहत 10 करोड़ से अधिक परिवारों को प्रति वर्ष प्रति परिवार 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान किया जाता है, जिससे गरीब परिवारों को चिकित्सा आपात स्थिति में वित्तीय बोझ से बचाया जा सकता है। अब तक 5 करोड़+ अस्पताल दाखिलों के साथ भारतीय नागरिकों के सेविंग ब्रैकेट के तहत ₹87,000 करोड़ से अधिक बचाए गए हैं।

हेल्थ और वेलनेस सेंटर्स का विस्तार : मौजूदा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को हेल्थ और वेलनेस सेंटर्स में बदलने की दिशा में काम किया जा रहा है, जो व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करते हैं।

जेनेरिक दवाओं का प्रचार : प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (PMBJP) के माध्यम से सस्ती जेनेरिक दवाएं प्रदान की जा रही हैं, जिससे रोगियों पर वित्तीय बोझ कम हो रहा है। 2014 के बाद से, जनऔषधि केंद्रों में 100 गुना वृद्धि हुई है, जो अब 10,000 से अधिक हो गई है।

⇒ चिकित्सा शिक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार

चिकित्सा शिक्षा और इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार : नए मेडिकल कॉलेजों और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) की स्थापना के माध्यम से चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया गया है। MBBS सीटों की संख्या 2014 में 51,348 से बढ़कर 2023 में 105,163 हो गई है, जबकि PG सीटों की संख्या 31,185 से बढ़कर 66,898 हो गई है।

टेलीमेडिसिन और डिजिटल स्वास्थ्य : टेलीमेडिसिन और डिजिटल स्वास्थ्य प्लेटफार्मों जैसी पहलों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा में प्रौद्योगिकी का एकीकरण किया गया है, जिससे रोगियों को दूरस्थ रूप से चिकित्सा परामर्श तक पहुंचने की अनुमति मिलती है।

COVID-19 टीकाकरण अभियान : सरकार के टीकाकरण अभियान ने आबादी के एक महत्वपूर्ण हिस्से को मुफ्त में टीका लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे गंभीर बीमारी को रोकने और वायरस से संबंधित स्वास्थ्य देखभाल खर्चों को कम करने में मदद मिली है। लगभग 97% लाभार्थियों को कोविड-19 वैक्सीन की कम-से-कम एक खुराक मिल चुकी है और लगभग 90% को दोनों खुराक मिल चुकी हैं।

इन पहलों के माध्यम से, भारत सरकार ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में एक आदर्श बदलाव लाने का प्रयास किया है, जो निवारक स्वास्थ्य सेवा, मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास और नवीनतम प्रौद्योगिकी के एकीकरण पर केंद्रित है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने आम जनमानस के लिए राशन कार्ड की व्यवस्था में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इन पहलों का उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद परिवारों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करना और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करना है। कुछ प्रमुख पहलें इस प्रकार हैं:

राशन कार्ड के लिए ई-केवाईसी अनिवार्य : सरकार ने राशन कार्ड धारकों के लिए ई-केवाईसी कराना अनिवार्य कर दिया है, जिससे धोखाधड़ी को रोका जा सके और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके। आप अपने नजदीकी राशन दुकान, जन सेवा केंद्र या पंचायत कार्यालय में जाकर ई-केवाईसी करा सकते हैं।

मुफ्त राशन योजना : सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत देश के 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन प्रदान करने का लक्ष्य रखा है। इस योजना के तहत, पात्र परिवारों को हर महीने 5 किलो मुफ्त राशन मिलेगा।

नकद सहायता : सरकार ने राशन कार्ड धारकों को नकद सहायता प्रदान करने की भी योजना बनाई है। पात्र परिवारों को हर महीने 1000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी, जो उनके मौजूदा राशन लाभों के अतिरिक्त होगी।

राशन वितरण प्रणाली में बदलाव : सरकार ने राशन वितरण प्रणाली में बदलाव करते हुए नए नियम और शर्तें लागू की हैं। शहरी इलाकों में अगर आपके पास 100 वर्ग मीटर से बड़ा फ्लैट या चार पहिया गाड़ी है, तो आप इस योजना के लिए योग्य नहीं होंगे। गांवों में रहने वाले लोगों के लिए भी यही नियम है, यदि आपके पास 100 वर्ग मीटर से बड़ी जमीन या ट्रैक्टर है, तो आप योजना का लाभ नहीं ले पाएंगे।

⇒ पात्रता मानदंड

इस योजना का लाभ लेने के लिए लाभार्थियों को निम्नलिखित पात्रता मानदंडों को पूरा करना होगा:

  • लाभार्थी के पास राशन कार्ड होना अनिवार्य है।
  • वार्षिक आय एक लाख रुपये से कम होनी चाहिए।
  • राशन कार्ड धारक परिवार में कोई सरकारी कर्मचारी नहीं होना चाहिए।
  • बीपीएल या अंत्योदय अन्न योजना कार्ड धारक होना चाहिए।
  • राशन कार्ड का ई-केवाईसी पूरा होना चाहिए।

इन पहलों के माध्यम से, सरकार गरीब और जरूरतमंद परिवारों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करने का प्रयास कर रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने प्रधानमंत्री जनधन योजना की शुरुआत की, जिसका उद्देश्य गरीब और जरूरतमंद परिवारों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ना था। इस योजना के तहत, 2014 से 2024 तक लगभग 519.5 मिलियन बैंक खाते खोले गए, जिनमें से 33 मिलियन खाते वित्त वर्ष 2024 में ही खोले गए। इन खातों में सेविंग्स डिपाजिट में 197% की वृद्धि हुई है। इस योजना का उद्देश्य न केवल लोगों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ना है, बल्कि उन्हें सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ भी प्रदान करना है।

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⇒ प्रधानमंत्री जनधन योजना की विशेषताएं

जीरो बैलेंस खाते : इस योजना के तहत खोले जाने वाले खाते जीरो बैलेंस पर खोले जा सकते हैं।

ओवरड्राफ्ट सुविधा : खाताधारकों को ओवरड्राफ्ट की सुविधा भी प्रदान की जाती है, जिससे वे अपने खाते में जमा राशि से अधिक धन निकाल सकते हैं।

बीमा और पेंशन : इस योजना के तहत खाताधारकों को बीमा और पेंशन की सुविधा भी प्रदान की जाती है।

सरकारी योजनाओं का लाभ : इस योजना के तहत खाताधारकों को सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ प्रदान किया जाता है।

इस योजना के माध्यम से, सरकार ने गरीब और जरूरतमंद परिवारों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ने और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने का प्रयास किया है।

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मोदी सरकार ने महिलाओं के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू की हैं जो उनके सशक्तिकरण और आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में मदद करती हैं। इनमें से कुछ प्रमुख योजनाएं इस प्रकार हैं:

उज्जवला योजना : इस योजना के तहत गरीब परिवारों की महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन प्रदान किया जाता है, जिससे वे चूल्हे के धुएं से मुक्ति पा सकें और उनके स्वास्थ्य में सुधार हो सके।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना : इस योजना का उद्देश्य बालिका लिंग अनुपात में सुधार करना और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है। यह योजना घरेलू हिंसा के मामलों में भी महिलाओं की मदद करती है।

महिला शक्ति केंद्र योजना : इस योजना के तहत गांव-गांव की महिलाओं को सामाजिक भागीदारी के माध्यम से सशक्त बनाने और उनकी क्षमता का अनुभव कराने का काम किया जाता है।

सुकन्या समृद्धि योजना : इस योजना के तहत 10 वर्ष से कम उम्र की बालिकाओं के नाम पर बैंक खाते खोले जा सकते हैं, जिसमें आकर्षक ब्याज दर मिलती है।

प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना : इस योजना के तहत पहली बार मां बनने वाली महिलाओं को 5,000 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।

महिला ई-हाट योजना : इस योजना के तहत महिलाओं को अपने उत्पादों को ऑनलाइन बेचने के लिए एक मंच प्रदान किया जाता है, जिससे वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकें।

स्टैंड अप इंडिया स्कीम : इस योजना के तहत महिलाओं को व्यवसाय शुरू करने के लिए लोन प्रदान किया जाता है, जिससे वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकें।

नारी शक्ति पुरस्कार : इस पुरस्कार के तहत महिलाओं को उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया जाता है, जिससे वे प्रेरित हो सकें और समाज में अपनी भूमिका निभा सकें।

वन स्टॉप सेंटर योजना : इस योजना के तहत हिंसा से प्रभावित महिलाओं को सहायता और मार्गदर्शन प्रदान किया जाता है, जिससे वे अपने जीवन को फिर से खड़ा कर सकें।

सुरक्षित मातृत्व आश्वासन सुमन योजना : इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं और उनके नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाता है, जिससे उनकी मृत्यु दर में कमी लाई जा सके।

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मोदी सरकार के कार्यकाल का विस्तृत वर्णन इस प्रकार है:

⇒ मोदी सरकार की प्रमुख योजनाएं और उपलब्धियां

गरीब कल्याण : मोदी सरकार ने गरीबों के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, और आयुष्मान भारत योजना शामिल हैं। उज्ज्वला योजना के तहत 10 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को धुआं मुक्त रसोई प्रदान की गई है, जबकि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 4.2 करोड़ से अधिक घरों को मंजूरी दी गई है।

किसानों का कल्याण : सरकार ने किसानों के लिए पीएम किसान सम्मान निधि योजना शुरू की है, जिसमें 9.2 करोड़ से अधिक किसानों को 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ मिला है। इसके अलावा, सरकार ने खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि की है और रोग-मुक्त पौधों के लिए क्लीन प्लांट कार्यक्रम शुरू किया है।

महिला सशक्तिकरण : मोदी सरकार ने महिलाओं के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना, महिला शक्ति केंद्र योजना, और सुकन्या समृद्धि योजना शामिल हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना और उनके स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार करना है।

स्वास्थ्य सेवाएं : सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें आयुष्मान भारत योजना, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, और स्वास्थ्य बीमा योजना शामिल हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य गरीबों और जरूरतमंदों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है।

अवसंरचना विकास : मोदी सरकार ने अवसंरचना विकास पर विशेष ध्यान दिया है, जिसमें सड़क, रेलवे, और हवाई अड्डों का विकास शामिल है। सरकार ने 3 लाख करोड़ से अधिक के प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है, जिसमें वधावन मेगा पोर्ट और कई अन्य परियोजनाएं शामिल हैं।

⇒ मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की प्रमुख पहलें

किसानों के लिए खुला खजाना : मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल में किसानों पर विशेष ध्यान दिया है, जिसमें उनकी आमदनी बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।

आवास योजना का विस्तार : सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 3 करोड़ अतिरिक्त घर बनाने का ऐलान किया है, जिससे गरीबों और जरूरतमंदों को पक्का घर मिल सके।

इंफ्रा पुश : सरकार ने अवसंरचना विकास पर विशेष ध्यान दिया है, जिसमें सड़क, रेलवे, और हवाई अड्डों का विकास शामिल है। मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में बहुत आयामी विकास किया है। सड़क, रेल, हवाई जहाज, दूरदर्शन, शिक्षा उद्योग, कानून व्यवस्था में सुधार, कानूनो में संशोधन, सेवा सुरक्षा रक्षा पर विशेष ध्यान देना देश की आंतरिक और वह सुरक्षा रक्षा करने, महिलाओं के लिए विशेष योजना की व्यवस्था करना। संपूर्ण देश में अनेक परियोजनाएं का लोकार्पण और शिलान्यास करना आदि।

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♦ सुख मंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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— Conclusion —

“सुख मंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख में समझाने की कोशिश की है — प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल में अनेक महत्वपूर्ण योजनाएं और नीतियां लागू की हैं, जिनका उद्देश्य गरीबों का कल्याण, महिलाओं का सशक्तिकरण, किसानों को सुरक्षा, युवाओं को अवसर और देश की अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना रहा है।

👉गरीबी उन्मूलन और कल्याणकारी योजनाएं : स्वच्छ भारत अभियान, उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान भारत योजना और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना जैसे कदम उठाए गए, जिनसे करोड़ों गरीबों को घर, शौचालय, गैस सिलेंडर, मुफ्त राशन और स्वास्थ्य बीमा मिला।

👉डिजिटल और आर्थिक विकास : जनधन योजना, डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसी पहलों ने वित्तीय समावेशन, तकनीकी प्रगति और रोजगार सृजन को गति दी। GDP, विदेशी मुद्रा भंडार और डिजिटल ट्रांजेक्शन में ऐतिहासिक वृद्धि हुई।

👉किसानों और महिलाओं के लिए योजनाएं : पीएम किसान सम्मान निधि, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, सुकन्या समृद्धि और स्टैंड अप इंडिया जैसी योजनाओं ने किसानों और महिलाओं को आर्थिक व सामाजिक रूप से सशक्त बनाया।

👉स्वास्थ्य क्षेत्र : आयुष्मान भारत, जनऔषधि केंद्र, नए AIIMS और मेडिकल कॉलेजों की स्थापना से स्वास्थ्य सेवाएं व्यापक और सुलभ हुईं।

👉राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय उपलब्धियां : अनुच्छेद 370 हटाना, राम मंदिर निर्माण, चंद्रयान-3 और आदित्य L1 मिशन जैसी उपलब्धियां दर्ज हुईं। विदेश नीति में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी और योग दिवस जैसे प्रयासों से सांस्कृतिक पहचान वैश्विक स्तर पर मजबूत हुई।

👉सीमा सुरक्षा और रक्षा : BSF की मजबूती, सीमा ढांचागत विकास, तकनीकी निगरानी, पड़ोसी देशों से सहयोग और मेड इन इंडिया हथियारों के निर्यात ने सुरक्षा को मजबूत किया।

👉वैश्विक योगदान : वैक्सीन मैत्री पहल से भारत ने महामारी में दुनिया की मदद की और वैश्विक नेतृत्व की पहचान बनाई।

👉 समग्र रूप से, नरेंद्र मोदी सरकार का कार्यकाल निर्णायक नेतृत्व, दूरदर्शी नीतियों और मजबूत संचार कौशल के कारण ऐतिहासिक माना जाता है। उनके प्रयासों से भारत ने आर्थिक, सामाजिक, स्वास्थ्य, सुरक्षा और कूटनीति सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है और आज नरेंद्र मोदी विश्व के सबसे लोकप्रिय नेताओं में गिने जाते हैं।

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यह लेख (नरेंद्र मोदी के कार्यकाल और उनके कार्य पर प्रकाश।) “सुख मंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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सुख मंगल सिंह को हिंदी साहित्य भारती (अंतरराष्ट्रीय) संस्था का आजीवन सदस्यता प्रमाण पत्र दिया गया।

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Life Membership Certificate of Hindi Sahitya Bharti Sanstha | हिंदी साहित्य भारती संस्था का आजीवन सदस्यता प्रमाण पत्र।

सुख मंगल सिंह को हिंदी साहित्य भारती (अंतरराष्ट्रीय) संस्था का आजीवन सदस्यता प्रमाण पत्र दिया गया।

सुखमंगल सिंह वरिष्ठ साहित्यकार कवि एवं लेखक को हिंदी साहित्य भारतीय (अंतर्राष्ट्रीय) को “आजीवन सदस्यता प्रमाण पत्र मिला”।

सुख मंगल सिंह ‘मंगल ‘ वाराणसी वासी अवध निवासी को “हिंदी साहित्य भारती (अंतरराष्ट्रीय) संस्था के केंद्रीय अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ रवींद्र शुक्ल पूर्व शिक्षा मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार, डॉ राजीव शर्मा अंतरराष्ट्रीय महामंत्री पूर्व आई. ए. एस., और प्रोफेसर विनोद कुमार मिश्र अंतरराष्ट्रीय संगठन महामंत्री, पूर्व महासचिव विश्व हिंदी सचिवालय, मॉरीशस की हस्ताक्षर द्वारा यह सम्मान हिंदी साहित्य भारती परिवार के सदस्य के रूप में अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए भारतीय संस्कृति की पुनर्स्थापना हेतु योगदान के लिए प्रदान किया गया है।

हिंदी साहित्य भारती अंतरराष्ट्रीय संस्था का “आजीवन सदस्यता प्रमाण पत्र” दिए जाने पर काशी हिंदी विद्यापीठ वाराणसी परिवार, अखिल भारतीय सद्भावना संगठन परिवार, प्रेमचंद नगर कल्याण समिति वाराणसी, रेड क्रॉस सोसायटी वाराणसी,
अखिल भारतीय कवि और कलाकार मंच वाराणसी , नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी के सदस्य गण और पदाधिकारी हिंदी साहित्य भारती अंतरराष्ट्रीय संस्था में “आजीवन सदस्यता प्रमाण पत्र” मिलने पर खुशी जाहिर की है और लोगों ने शुभकामनाएं व्यक्त की है। बधाइयां दी।

– सुख मंगल सिंह
वरिष्ठ साहित्यकार कवि एवं लेखक
वाराणसी वासी
अवध निवासी

 

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माता के नौ रूप।

Kmsraj51 की कलम से…..

Mata Ke Nau Roop | माता के नौ रूप।

नौ रातों की साधना, नौ दिन आठों याम।
नौ रंगों में हैं सजे, नौ दिन माँ के नाम।।

माँ शैलपुत्री

धारण करतीं श्वेत जो, सती पूर्व का नाम।
प्रथम दिवस माँ शैलजा, शैल शिखर है धाम।।

मां ब्रह्मचारिणी

कठिन तपों की स्वामिनी,
ब्रह्मचर्य सुखधाम।
पूजन हो दूजे दिवस, ब्रह्मचारिणी नाम।।

माँ चंद्रघंटा

दो रूपों में पूजते, चंद्रघंटा स्वरूप।
योद्धा भी अरु शांति भी, दोनों रूप अनूप।।

माँ कूष्माण्डा

चौथी देवी का सदा, सूर्यमंडल निवास।
माँ कूष्माण्डा नाम है, हरती सबके त्रास।।

माँ स्कंदमाता

सुत को आँचल में लिए, आती पंचम रात।
रूप स्कंदमात धर, हरती विपदा घात।।

माँ कात्यायनी

षष्ठम देवी हैं यही, कात्यायनी स्वरूप।
वाहन इनका केसरी, अद्भुत रूप अनूप।।

माँ कालरात्रि

कालरात्रि बन कर करें, रक्तबीज उद्धार।
देवी सप्तम श्यामला, करें दुष्ट पर वार।।

माँ महागौरी

आए तिथि जब अष्टमी, दिखे कुंजिका द्वार।
रूप महागौरी लिए, आती सिंह सवार।।

माँ सिद्धिदात्री

इच्छा पूरन के लिए, सिद्धिदात्री प्रख्यात।
नौवीं देवी हैं यही, आतीं नौवीं रात।

♦ नंदिता माजी शर्मा – मुंबई, महाराष्ट्र ♦

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  • “नंदिता माजी शर्मा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस दोहा छन्द में समझाने की कोशिश की है — नवरात्रि की नौ रातों की महत्ता और उनमें पूजित नौ रूपों की देवी माँ दुर्गा का वर्णन करती है। हर दिन अलग-अलग रूप में माँ का आह्वान होता है –
  • पहले दिन शैलपुत्री पर्वत पुत्री के रूप में पूजी जाती हैं।
  • दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तपस्विनी और ब्रह्मचर्य की प्रतीक मानी जाती हैं।
  • तीसरे दिन चंद्रघंटा, जिनमें शांति और युद्ध दोनों का अनूठा रूप है।
  • चौथे दिन कूष्माण्डा, सूर्य मण्डल में निवास करने वाली और दुख-त्रास हरने वाली देवी हैं।
  • पाँचवें दिन स्कंदमाता, अपने पुत्र स्कंद को गोद में लिए करुणा स्वरूप पूजी जाती हैं।
  • छठे दिन कात्यायनी, सिंहवाहिनी और अद्भुत शक्ति की प्रतीक हैं।
  • सातवें दिन कालरात्रि, दुष्टों का संहार कर भक्तों की रक्षा करती हैं।
  • आठवें दिन महागौरी, श्वेतवर्णा, कुंजिका द्वार की अधिष्ठात्री और पवित्रता की प्रतीक हैं।
  • नवें दिन सिद्धिदात्री, सभी इच्छाएँ पूर्ण करने वाली और सिद्धियाँ प्रदान करने वाली देवी पूजी जाती हैं।

👉 संक्षेप में, यह रचना नवरात्रि के नौ दिनों की साधना और माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों की महिमा का वर्णन करती है, जिससे भक्तों को शक्ति, शांति, सिद्धि और कल्याण की प्राप्ति होती है।

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यह दोहा छन्द (माता के नौ रूप।) “नंदिता माजी शर्मा जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी मुक्तक/कवितायें/गीत/दोहे/लेख/आलेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी दोहे/कविताओं और लेख से आने वाली नई पीढ़ी और जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए।

नाम – नंदिता माजी शर्मा

साहित्यिक नाम : नंदिता “आनंदिता”
लेखिका/डिजीटल अलंकरणकर्ता/कवियत्री/समाज सेविका 
संस्थापक/अध्यक्ष — कर्मा फाऊंडेशन
राष्ट्रीय सह-अध्यक्ष — साहित्य संगम संस्थान (पंजीकृत साहित्यिक संस्था)
अलंकरण प्रमुख — साहित्योदय(पंजीकृत साहित्यिक संस्था)
अलंकरण अधिकारी — अंतरराष्ट्रीय शब्द सृजन
प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष — साहित्य संगम संस्थान, (महाराष्ट्र इकाई)
जिला प्रभारी — एन.जी.टी.ओ
मीडिया प्रभारी — महाराष्ट्र शब्दाक्षर
मुख्य संपादक — दोहा संगम ( मासिक ई पत्रिका )
प्रधान संपादक — वंदिता ( मासिक ई पत्रिका )
मुख्य संपादक — महाराष्ट्र मल्हार ( मासिक ई पत्रिका )
प्रधान संपादक — आह्लाद मासिक ई-पत्रिका
प्रधान संपादक — अविचल प्रभा मासिक ई-पत्रिका

कई विधाओं में लेखन।

अनेक ई-पत्रिकाओं का सफल संपादन।
विभिन्न साहित्यिक मंचो और गोष्ठियों से ‘श्रेष्ठ रचनाकार’ ‘सर्वश्रेष्ठ रचनाकार’ इत्यादि अनेक सम्मान प्राप्त।
हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में स्वतंत्र लेखन।
०६ साझा – संग्रह ‘गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज।
अनावृत संचालन हेतु लन्दन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज।
०१ साझा – संग्रह इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज।
०१ दिव्याक्षर ब्रेल साझा – संग्रह वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज।
हिंदी अकादमी, मुंबई द्वारा साहित्य भूषण सम्मान २०२३ से सम्मानित।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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योगी आदित्यनाथ जी का कार्यकाल।

Kmsraj51 की कलम से…..

Yogi Adityanath Ji Ka Karyakal | योगी आदित्यनाथ जी का कार्यकाल।

योगी आदित्यनाथ जी उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने 19 मार्च 2017 को अपना पहला कार्यकाल शुरू किया था। वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से हैं और वर्तमान में अपना दूसरा कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। आइए उनके कार्यकाल के बारे में विस्तार से जानते हैं:

⇒ योगी आदित्यनाथ की पृष्ठभूमि 

योगी आदित्यनाथ एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं जो 1998 से 2017 तक उत्तर प्रदेश के गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र से पूर्व संसद सदस्य थे। वह 12वीं लोक सभा के लिए चुने गए सबसे कम उम्र के सदस्य थे, जब वह केवल 26 वर्ष के थे।

⇒ मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ

योगी आदित्यनाथ ने 19 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश के 22वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की। वह तब से लगातार सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं और उनकी सरकार ने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं।

⇒ कार्यकाल की अवधि

योगी आदित्यनाथ का पहला कार्यकाल 19 मार्च 2017 से 2022 तक था, और उन्होंने 2022 के विधानसभा चुनावों में फिर से जीत हासिल की और अपना दूसरा कार्यकाल शुरू किया।

⇒ उत्तर प्रदेश के विकास के लिए योगी आदित्यनाथ के प्रयास

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने उत्तर प्रदेश के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

⇒ कानून व्यवस्था में सुधार

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे कि अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना और पुलिस व्यवस्था में सुधार करना।

⇒ विकास परियोजनाओं की शुरुआत

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने उत्तर प्रदेश में कई विकास परियोजनाओं की शुरुआत की है, जैसे कि सड़कों का निर्माण, बिजली की आपूर्ति में सुधार, और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार।

⇒ उद्योगों को बढ़ावा देना

योगी आदित्यनाथ की सरकार ने उत्तर प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे कि निवेश को आकर्षित करने के लिए नीतियों में सुधार करना और उद्योगों के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार करना।

योगी आदित्यनाथ की सरकार के प्रयासों से उत्तर प्रदेश में कई सकारात्मक परिवर्तन हुए हैं, और उनकी लोकप्रियता भी बढ़ी है।

योगी आदित्यनाथ सरकार ने अपने 8 साल के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं :

⇒ कानून व्यवस्था में सुधार

योगी सरकार ने अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है, जिससे कानून व्यवस्था में सुधार हुआ है। पुलिस एनकाउंटर में 222 अपराधियों को मार गिराया गया, 20,000 से अधिक अपराधियों को गिरफ्तार किया गया, और गैंगस्टर एक्ट के तहत 142 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है।

⇒ नौकरियों की भर्ती

योगी सरकार ने 2,16,000 से अधिक पुलिस कर्मियों की भर्ती की है, जिससे प्रदेश में कानून व्यवस्था को और मजबूत किया जा सके।

⇒ कृषि और किसान कल्याण

उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। गन्ना किसानों को 2017 से अब तक 2.8 लाख करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया है।

⇒ शिक्षा और स्वास्थ्य

योगी सरकार ने हर जिले में मेडिकल कॉलेज बनाने का फैसला किया है, जिससे प्रदेश के लोगों को अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें।

⇒ रोजगार और आर्थिक विकास

योगी सरकार ने प्रदेश में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। उत्तर प्रदेश आज देश के आर्थिक विकास के ग्रोथ इंजन के रूप में उभरा है।

⇒ मुफ्त राशन और पक्का मकान

योगी सरकार ने प्रदेश के 15 करोड़ गरीबों को मुफ्त राशन दिया है और लाखों बेघरों को पक्का मकान दिया है।

इन उपलब्धियों के अलावा, योगी सरकार ने प्रदेश में कई अन्य विकास कार्य भी किए हैं, जैसे कि महाकुंभ का सफल आयोजन, चीनी उद्योग (Sugar Industry) को पुनर्जीवित करना, और पर्यटन को बढ़ावा देना।

योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश में शिक्षकों की भर्ती के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। हाल ही में, सरकार ने 1.93 लाख शिक्षकों की भर्ती की योजना बनाई है, जो तीन चरणों में पूरी होगी। पहले चरण में 65,000 पद भरे जाएंगे। यह भर्ती शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए की जा रही है और मार्च 2026 तक पूरी होने की उम्मीद है।

इसके अलावा, योगी सरकार ने 69,000 शिक्षकों की भर्ती मामले में भी महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस भर्ती की मेरिट लिस्ट रद्द कर दी थी, जिसके बाद सरकार को नई चयन सूची जारी करने का आदेश दिया गया है।

⇒ शिक्षक भर्ती की प्रमुख बातें

1.93 लाख शिक्षकों की भर्ती : योगी सरकार ने इस विशाल भर्ती अभियान की योजना बनाई है, जो तीन चरणों में पूरी होगी।

पहले चरण में 65,000 पद : पहले चरण में 65,000 शिक्षकों की भर्ती की जाएगी।

⇒ शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार

यह भर्ती शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए की जा रही है।

⇒ मार्च 2026 तक पूरी होगी

यह भर्ती मार्च 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है।

योगी आदित्यनाथ सरकार ने उत्तर प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख कार्य हैं:

⇒ शिक्षक भर्ती

योगी सरकार ने 1.93 लाख शिक्षकों की भर्ती की योजना बनाई है, जो तीन चरणों में पूरी होगी। पहले चरण में 65,000 पद भरे जाएंगे।

⇒ आदर्श स्कूल

500 से ज्यादा छात्रों वाले विद्यालयों को ‘आदर्श स्कूल’ का दर्जा दिया जाएगा, जिसमें स्मार्ट क्लास, लाइब्रेरी रूम, मल्टीपरपज हॉल, क्लब रूम, कंप्यूटर और ICT लैब जैसी सुविधाएं होंगी।

⇒ डिजिटल शिक्षा

योगी सरकार ने सर्वोदय विद्यालयों में डिजिटल क्रांति की शुरुआत की है, जिसमें शिक्षकों को AI के शैक्षिक उपयोग और NCERT पाठ्यक्रम की जानकारी दी जा रही है।

⇒ बुनियादी ढांचे में सुधार

योगी सरकार ने राज्य के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों के संपूर्ण कायाकल्प के लिए ₹2,000 करोड़ की एकमुश्त बजट व्यवस्था को स्वीकृति दी है, जिसमें भवन निर्माण, संसाधन सुदृढ़ीकरण, पेयजल, शौचालय जैसी सुविधाएं विकसित की जाएंगी।

⇒ शिक्षकों की कमी को दूर करना

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेसिक शिक्षा विभाग की बैठक में प्रदेश में शिक्षकों की कमी को गंभीरता से लेते हुए रिक्त पदों पर तत्काल नियुक्ति के निर्देश दिए हैं।

योगी आदित्यनाथ जी भारत के अन्य प्रदेशों के लिए कई कारणों से महत्वपूर्ण हैं:

⇒ 1 – विकास मॉडल

योगी आदित्यनाथ जी का उत्तर प्रदेश के विकास के लिए काम करने का तरीका अन्य प्रदेशों के लिए एक मॉडल के रूप में देखा जा सकता है। उनकी सरकार ने कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को शुरू किया है, जैसे कि सड़कों का निर्माण, बिजली की आपूर्ति में सुधार, और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार।

⇒ 2 – कानून व्यवस्था

योगी आदित्यनाथ जी की सरकार ने उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे कि अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करना और पुलिस व्यवस्था में सुधार करना। यह अन्य प्रदेशों के लिए एक उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है।

⇒ 3 – आर्थिक विकास

योगी आदित्यनाथ जी की सरकार ने उत्तर प्रदेश में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे कि निवेश को आकर्षित करने के लिए नीतियों में सुधार करना और उद्योगों के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार करना। यह अन्य प्रदेशों के लिए एक मॉडल के रूप में देखा जा सकता है।

⇒ 4 – सामाजिक कल्याण

योगी आदित्यनाथ जी की सरकार ने उत्तर प्रदेश में सामाजिक कल्याण के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं, जैसे कि गरीबों के लिए मुफ्त राशन और पक्का मकान। यह अन्य प्रदेशों के लिए एक उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है।

⇒ 5 – नेतृत्व

योगी आदित्यनाथ जी एक मजबूत नेता हैं जिन्होंने उत्तर प्रदेश में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। उनकी नेतृत्व क्षमता और निर्णय लेने की क्षमता अन्य प्रदेशों के लिए एक उदाहरण के रूप में देखा जा सकता है।

इन कारणों से, योगी आदित्यनाथ जी भारत के अन्य प्रदेशों के लिए महत्वपूर्ण हैं और उनकी सरकार के कार्यों को अन्य प्रदेशों में भी अपनाया जा सकता है।

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♦ सुख मंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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— Conclusion —

  • “सुख मंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख में समझाने की कोशिश की है — इस लेख में योगी आदित्यनाथ जी के राजनीतिक जीवन, मुख्यमंत्री के रूप में उनकी भूमिका और उपलब्धियों का विस्तृत वर्णन है।योगी आदित्यनाथ जी भारतीय जनता पार्टी के नेता और उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने 2017 में पदभार संभाला और लगातार दो बार सत्ता में लौटे। वह 1998 से 2017 तक गोरखपुर से सांसद रहे और अपनी सख्त कार्यशैली तथा निर्णय लेने की क्षमता के लिए जाने जाते हैं।मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने कानून व्यवस्था सुधारने, अपराधियों पर कड़ी कार्रवाई करने और पुलिस बल को मज़बूत करने जैसे कदम उठाए। उनकी सरकार ने उद्योगों को बढ़ावा देने, सड़कों और बिजली जैसी आधारभूत सुविधाओं में सुधार करने और स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करने पर विशेष ध्यान दिया। शिक्षा के क्षेत्र में 1.93 लाख शिक्षकों की भर्ती योजना, आदर्श स्कूल, डिजिटल शिक्षा और विद्यालयों के कायाकल्प जैसी पहलें की गईं।किसानों के लिए गन्ना मूल्य भुगतान, गरीबों को मुफ्त राशन और लाखों बेघरों को पक्के मकान जैसी योजनाएं भी उनकी सरकार की उपलब्धियों में शामिल हैं। इसके अलावा, रोजगार सृजन, पर्यटन को बढ़ावा देने, महाकुंभ जैसे आयोजनों की सफलता और सामाजिक कल्याण योजनाओं ने उनकी लोकप्रियता बढ़ाई।लेख यह भी बताता है कि योगी आदित्यनाथ का विकास मॉडल, कानून व्यवस्था सुधार, आर्थिक वृद्धि और सामाजिक कल्याण नीतियां अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणादायक उदाहरण हैं। उनका नेतृत्व उत्तर प्रदेश को एक नए विकास पथ पर ले गया है और उनके कार्यों को भारत के अन्य प्रदेशों में भी अपनाया जा सकता है।
  • 👉 संक्षेप में, यह लेख योगी आदित्यनाथ जी को एक सशक्त, निर्णायक और विकासोन्मुख नेता के रूप में प्रस्तुत करता है, जिन्होंने उत्तर प्रदेश में कई अहम बदलाव किए और प्रदेश को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाई।

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यह लेख (योगी आदित्यनाथ जी का कार्यकाल।) “सुख मंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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शिवाजी महाराज मराठा साम्राज्य का विस्तार।

Kmsraj51 की कलम से…..

Expansion of the Maratha Empire by Shivaji Maharaj

| शिवाजी महाराज मराठा साम्राज्य का विस्तार।

शिवाजी महाराज ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण युद्ध लड़े, जिनमें से कुछ प्रमुख युद्ध निम्नलिखित हैं:

  • रायगढ़ का युद्ध (1646) : शिवाजी महाराज ने आदिलशाही सल्तनत के जनरल मुल्ला अली को हराया और रायगढ़ किले पर कब्जा किया, जो उनकी राजधानी बन गया।
  • तोरणा की लड़ाई (1647) : शिवाजी महाराज ने आदिलशाही सेना को हराया और तोरणा किले पर कब्जा किया, जो उनके साम्राज्य के विस्तार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
  • तंजावुर की लड़ाई (1656) : शिवाजी महाराज ने मदुरै के नायक राजा की सेना को हराया और तंजावुर शहर पर कब्जा किया, जो एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था।
  • कल्याण की लड़ाई (1657) : शिवाजी महाराज ने मुगल सेना को हराया और कल्याण शहर पर कब्जा किया, जो उनकी आय में वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण था।
  • प्रतापगढ़ का युद्ध (1659) : शिवाजी महाराज ने आदिलशाही सेनापति अफजल खान को हराया और उनकी सैन्य लोकप्रियता पूरे भारत में बढ़ गई।
  • पावनखिंड की लड़ाई (1660) : शिवाजी महाराज के सेनापति बाजी प्रभु देशपांडे ने आदिलशाही सेना के जनरल सिद्दी मसूद को हराया और विशालगढ़ किले की रक्षा की।
  • सोलापुर की लड़ाई (1664) : शिवाजी महाराज ने आदिलशाही सेना को हराया और सोलापुर शहर पर कब्जा किया।
  • पुरंदर की संधि (1665) : शिवाजी महाराज ने मुग़ल सम्राट औरंगजेब के साथ एक संधि की, जिसमें उन्होंने 23 किले मुग़लों को सौंप दिए और बदले में अपनी स्वतंत्रता बरकरार रखने की अनुमति मिली।
  • उमरगढ़ की लड़ाई (1666) : शिवाजी महाराज ने मुग़ल सेना को हराया और उमरगढ़ किले पर कब्जा किया।
  • शिंदे वंश के साथ युद्ध (1670-71) : शिवाजी महाराज ने शिंदे वंश को हराया और अपने साम्राज्य का विस्तार किया।
  • बरार और खानदेश की विजय (1673-74) : शिवाजी महाराज ने बरार और खानदेश क्षेत्रों पर विजय प्राप्त की और अपने साम्राज्य का विस्तार किया।

इन युद्धों के माध्यम से, शिवाजी महाराज ने अपने साम्राज्य का विस्तार किया और एक शक्तिशाली और स्वतंत्र मराठा साम्राज्य की स्थापना की।

शिवाजी महाराज के समय में 12 बलिष्ठ और वफादार सरदार थे, जिन्हें “12 मावळ” या “अष्टप्रधान मंडल” नहीं, बल्कि “अहमदनगर के 12 मावळ” के सरदारों के रूप में जाना जाता है, लेकिन यहाँ पर शिवाजी महाराज के 12 महत्वपूर्ण सेनापतियों और सहयोगियों का वर्णन है जिन्होंने उनके राज्याभिषेक और स्वराज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी:

  1. बाजी पासलकर : एक वफादार और बहादुर सेनापति जिन्होंने शिवाजी महाराज के साथ कई लड़ाइयों में भाग लिया था।
  2. बाजीराव पेशवा : एक कुशल और अनुभवी सेनापति जिन्होंने शिवाजी महाराज के लिए कई महत्वपूर्ण लड़ाइयाँ जीती थीं।
  3. मल्हारजी होलकर : एक वफादार और बहादुर सेनापति जिन्होंने शिवाजी महाराज के साथ कई लड़ाइयों में भाग लिया था।
  4. रघुनाथ बल्लाल आत्रे : एक कुशल और अनुभवी सेनापति जिन्होंने शिवाजी महाराज के लिए कई महत्वपूर्ण लड़ाइयाँ जीती थीं।
  5. कान्होजी जेधे : एक वफादार और बहादुर सेनापति जिन्होंने शिवाजी महाराज के साथ कई लड़ाइयों में भाग लिया था।
  6. बाबाजी मुदगलराव : एक कुशल और अनुभवी सेनापति जिन्होंने शिवाजी महाराज के लिए कई महत्वपूर्ण लड़ाइयाँ जीती थीं।
  7. खान्दोजी कदम : एक वफादार और बहादुर सेनापति जिन्होंने शिवाजी महाराज के साथ कई लड़ाइयों में भाग लिया था।
  8. येसाजी कंक : एक कुशल और अनुभवी सेनापति जिन्होंने शिवाजी महाराज के लिए कई महत्वपूर्ण लड़ाइयाँ जीती थीं।
  9. तानाजी मालसुरे : एक वफादार और बहादुर सेनापति जिन्होंने सिंहगढ़ की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
  10. सिद्दी हिलाल : एक वफादार और बहादुर सेनापति जिन्होंने शिवाजी महाराज के साथ कई लड़ाइयों में भाग लिया था।
  11. नारो मुकुंद सबनीस : एक कुशल और अनुभवी सेनापति जिन्होंने शिवाजी महाराज के लिए कई महत्वपूर्ण लड़ाइयाँ जीती थीं।
  12. अणाजी दत्तो : एक वफादार और अनुभवी सेनापति जिन्होंने शिवाजी महाराज के साथ कई लड़ाइयों में भाग लिया था और उनके राज्याभिषेक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

इन सभी सेनापतियों और सहयोगियों ने शिवाजी महाराज के स्वराज्य की स्थापना और उनके राज्याभिषेक में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके बलिदान और वफादारी ने शिवाजी महाराज के सपनों को साकार करने में मदद की।

जहाँ तक यूनेस्को की विश्व धरोहर की बात है, तो शिवाजी महाराज से संबंधित कई स्थलों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के लिए प्रस्तावित किया गया है, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

  • रायगढ़ किला : शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक रायगढ़ किले में हुआ था, जो एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है।
  • सिंहगढ़ किला : यह किला शिवाजी महाराज के एक महत्वपूर्ण सैन्य अभियान का स्थल था, जहाँ पर तानाजी मालसुरे ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

इन स्थलों को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने के लिए प्रयास जारी हैं, जो शिवाजी महाराज के इतिहास और उनके स्वराज्य की स्थापना को विश्व स्तर पर प्रदर्शित करने में मदद करेगा।

शिवाजी महाराज के महाराष्ट्र में कई महत्वपूर्ण किले थे, जिन्होंने उनके स्वराज्य की स्थापना और सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यहाँ पर शिवाजी महाराज के 11 महत्वपूर्ण किलों का वर्णन है:

  1. रायगढ़ किला : यह शिवाजी महाराज का राजधानी किला था, जहाँ पर उनका राज्याभिषेक हुआ था। रायगढ़ किला महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में स्थित है।
  2. सिंहगढ़ किला : यह किला पुणे जिले में स्थित है और शिवाजी महाराज के एक महत्वपूर्ण सैन्य अभियान का स्थल था।
  3. प्रतापगढ़ किला : यह किला महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित है और शिवाजी महाराज के एक महत्वपूर्ण किले के रूप में जाना जाता है।
  4. पन्हाला किला : यह किला महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में स्थित है और शिवाजी महाराज के एक महत्वपूर्ण किले के रूप में जाना जाता है।
  5. विजयदुर्ग किला : यह किला महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में स्थित है और शिवाजी महाराज के एक महत्वपूर्ण नौसैनिक अड्डे के रूप में जाना जाता है।
  6. सिंदुदुर्ग किला : यह किला महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में स्थित है और शिवाजी महाराज द्वारा निर्मित एक महत्वपूर्ण किला है।
  7. पुरंदर किला : यह किला महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित है और शिवाजी महाराज के एक महत्वपूर्ण किले के रूप में जाना जाता है।
  8. कोंढाणा किला : यह किला महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित है और सिंहगढ़ किले के पास स्थित है।
  9. तोरणा किला : यह किला महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित है और शिवाजी महाराज के एक महत्वपूर्ण किले के रूप में जाना जाता है।
  10. राजगढ़ किला : यह किला महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में स्थित है और शिवाजी महाराज के एक महत्वपूर्ण किले के रूप में जाना जाता है।
  11. लोहगढ़ किला : यह किला महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में स्थित है और शिवाजी महाराज के एक महत्वपूर्ण किले के रूप में जाना जाता है।

इन किलों ने शिवाजी महाराज के स्वराज्य की स्थापना और सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और आज भी ये किले महाराष्ट्र के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थलों के रूप में जाने जाते हैं।

शिवाजी महाराज का शासन प्रबंध बहुत ही कुशल और प्रभावी था। उन्होंने अपने स्वराज्य में एक मजबूत और अनुशासित प्रशासनिक प्रणाली की स्थापना की, जो उनके शासन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यहाँ पर शिवाजी महाराज के शासन प्रबंध की कुछ विशेषताएं हैं:

  • अष्टप्रधान मंडल : शिवाजी महाराज ने अपने शासन में अष्टप्रधान मंडल की स्थापना की, जो आठ मंत्रियों की एक परिषद थी जो उनके शासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थी। इन मंत्रियों में शामिल थे:
  1. पेशवा (प्रधानमंत्री)
  2. अमात्य (वित्त मंत्री)
  3. मंत्री (गृह मंत्री)
  4. सचिव (विदेश मंत्री)
  5. सुमंत (विदेश सचिव)
  6. पंडितराव (धार्मिक मामलों के मंत्री)
  7. सेनापति (सैन्य कमांडर)
  8. न्यायाधीश (न्यायाधीश)
  • प्रशासनिक इकाइयाँ : शिवाजी महाराज ने अपने स्वराज्य को कई प्रशासनिक इकाइयों में विभाजित किया, जिन्हें परगना कहा जाता था। प्रत्येक परगने का एक प्रशासक होता था जो शासन के कार्यों को संभालता था।
  • कर प्रणाली : शिवाजी महाराज ने एक न्यायसंगत कर प्रणाली की स्थापना की, जिसमें किसानों और व्यापारियों से कर वसूला जाता था। कर की दरें न्यायसंगत थीं और कर वसूली की प्रक्रिया पारदर्शी थी।
  • न्याय प्रणाली : शिवाजी महाराज ने एक न्यायसंगत, न्याय प्रणाली की स्थापना की, जिसमें न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती थी जो मामलों की सुनवाई करते थे और न्याय प्रदान करते थे।
  • सैन्य प्रशासन : शिवाजी महाराज ने अपने सैन्य बलों को मजबूत और अनुशासित बनाने के लिए एक प्रभावी सैन्य प्रशासन की स्थापना की। उन्होंने अपने सैन्य कमांडरों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ सौंपीं और उन्हें सैन्य अभियानों के लिए तैयार किया।

इन विशेषताओं के माध्यम से, शिवाजी महाराज ने अपने स्वराज्य में एक मजबूत और प्रभावी शासन प्रबंध की स्थापना की, जो उनके शासन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

♦ जिंजी किला ♦

जिंजी किला : तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले में स्थित एक ऐतिहासिक किला है, जो अपनी विशाल और मजबूत संरचना के लिए प्रसिद्ध है। यह किला 9वीं शताब्दी में बनाया गया था और इसका निर्माण चोल वंश द्वारा करवाया गया था।

♦ इतिहास ♦

जिंजी किले का इतिहास बहुत पुराना है और यह किला कई शासकों के अधीन रहा है, जिनमें चोल, पांड्य, विजयनगर साम्राज्य और मराठा साम्राज्य शामिल हैं। 17वीं शताब्दी में, यह किला मराठा शासक शिवाजी महाराज के पुत्र राजाराम के लिए एक महत्वपूर्ण आश्रय स्थल बन गया था।

♦ वास्तुकला ♦

जिंजी किले की वास्तुकला बहुत ही प्रभावशाली है और यह किला अपनी विशाल और मजबूत संरचना के लिए प्रसिद्ध है। किले में कई मंदिर, तालाब और अन्य संरचनाएं हैं, जो इसकी वास्तुकला की विविधता को दर्शाती हैं।

♦ महत्वपूर्ण विशेषताएं ♦

जिंजी किले की कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं:

  • किले की दीवारें : जिंजी किले की दीवारें बहुत ही मजबूत और विशाल हैं, जो इसकी सुरक्षा के लिए बनाई गई थीं।
  • मंदिर : किले में कई मंदिर हैं, जो इसकी धार्मिक महत्व को दर्शाते हैं।
  • तालाब : किले में कई तालाब हैं, जो इसकी जल संचयन प्रणाली को दर्शाते हैं।

♦ आज का महत्व ♦

जिंजी किला आज भी एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है और तमिलनाडु के पर्यटन स्थलों में से एक है। यह किला अपनी विशाल और मजबूत संरचना के लिए प्रसिद्ध है और इसकी वास्तुकला की विविधता को दर्शाता है।

शिवाजी महाराज के जीवन में कई महत्वपूर्ण कार्य थे जिन्होंने उनके स्वराज्य की स्थापना और सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यहाँ पर शिवाजी महाराज के कुछ महत्वपूर्ण कार्यों का वर्णन है:

  1. स्वराज्य की स्थापना : शिवाजी महाराज ने अपने स्वराज्य की स्थापना के लिए काम किया, जिसमें उन्होंने अपने अनुयायियों और सेनापतियों के साथ मिलकर मुगल साम्राज्य और अन्य शक्तियों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
  2. किलों का निर्माण और जीर्णोद्धार : शिवाजी महाराज ने कई किलों का निर्माण और जीर्णोद्धार किया, जो उनके स्वराज्य की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण थे।
  3. नौसेना का निर्माण : शिवाजी महाराज ने एक मजबूत नौसेना का निर्माण किया, जो उनके स्वराज्य की समुद्री सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण थी।
  4. प्रशासनिक सुधार : शिवाजी महाराज ने अपने स्वराज्य में प्रशासनिक सुधार किए, जिसमें उन्होंने एक मजबूत और कुशल प्रशासनिक प्रणाली की स्थापना की।
  5. सैन्य सुधार : शिवाजी महाराज ने अपने सैन्य बलों में सुधार किए, जिसमें उन्होंने एक मजबूत और अनुशासित सेना की स्थापना की।
  6. आर्थिक विकास : शिवाजी महाराज ने अपने स्वराज्य के आर्थिक विकास के लिए काम किया, जिसमें उन्होंने व्यापार और उद्योग को बढ़ावा दिया।
  7. धार्मिक सहिष्णुता : शिवाजी महाराज ने धार्मिक सहिष्णुता की नीति अपनाई, जिसमें उन्होंने अपने स्वराज्य में सभी धर्मों के लोगों को समान अधिकार दिए।
  8. न्याय प्रणाली : शिवाजी महाराज ने एक न्यायसंगत न्याय प्रणाली की स्थापना की, जिसमें उन्होंने अपने स्वराज्य के नागरिकों को न्याय प्रदान किया।

इन कार्यों के माध्यम से, शिवाजी महाराज ने अपने स्वराज्य की स्थापना और सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और एक मजबूत और समृद्ध राज्य की स्थापना की।

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शिवाजी महाराज का प्रभुत्व मुख्य रूप से महाराष्ट्र और उसके आसपास के क्षेत्रों में था। उनके स्वराज्य की सीमाएँ समय-समय पर बदलती रहीं, लेकिन उनके चरमोत्कर्ष के समय में उनका प्रभुत्व निम्नलिखित राज्यों और क्षेत्रों तक था :

  1. महाराष्ट्र : शिवाजी महाराज का स्वराज्य मुख्य रूप से महाराष्ट्र में था, जिसमें वर्तमान महाराष्ट्र के अधिकांश हिस्से शामिल थे।
  2. कोंकण : शिवाजी महाराज का प्रभुत्व कोंकण क्षेत्र पर भी था, जो वर्तमान महाराष्ट्र के तटीय क्षेत्र में आता है।
  3. गोवा : शिवाजी महाराज ने गोवा के कुछ हिस्सों पर भी अपना प्रभुत्व स्थापित किया था, जो उस समय पुर्तगाली शासन के अधीन था।
  4. कर्नाटक : शिवाजी महाराज का प्रभुत्व कर्नाटक के कुछ हिस्सों पर भी था, विशेष रूप से बेलगाम और बीजापुर के आसपास के क्षेत्र।
  5. आंध्र प्रदेश : शिवाजी महाराज का प्रभुत्व आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्सों पर भी था, विशेष रूप से वर्तमान तटीय आंध्र प्रदेश के कुछ हिस्से।
  6. तमिलनाडु : शिवाजी महाराज का प्रभुत्व तमिलनाडु के कुछ हिस्सों पर भी था, विशेष रूप से वर्तमान तमिलनाडु के उत्तरी हिस्से।

शिवाजी महाराज के स्वराज्य की सीमाएँ समय-समय पर बदलती रहीं और उन्होंने अपने जीवनकाल में कई लड़ाइयाँ लड़ीं और संधियाँ कीं जिससे उनके स्वराज्य की सीमाएँ विस्तारित हुईं। उनके स्वराज्य की सबसे बड़ी सीमा लगभग वर्तमान महाराष्ट्र की सीमा के समान थी, लेकिन इसमें कुछ अन्य क्षेत्रों के हिस्से भी शामिल थे।

शिवाजी महाराज का प्रतापगढ़ से संबंधित एक महत्वपूर्ण घटना अफजल खान की हत्या है। अफजल खान बीजापुर सल्तनत का एक शक्तिशाली सेनापति था, जिसे शिवाजी महाराज को पराजित करने के लिए भेजा गया था।

♦ अफजल खान की हत्या ♦

अफजल खान एक बड़ी सेना के साथ प्रतापगढ़ की ओर बढ़ा, जहाँ शिवाजी महाराज ने अपनी सेना के साथ उसका सामना किया। दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला। अंत में, अफजल खान ने शिवाजी महाराज को मारने का प्रयास किया, लेकिन शिवाजी महाराज ने अपनी बघनखा (एक प्रकार का हथियार) से अफजल खान के पेट को फाड़ दिया और उसकी हत्या कर दी।

♦ घटना का महत्व ♦

अफजल खान की हत्या एक महत्वपूर्ण घटना थी जिसने शिवाजी महाराज की स्थिति को मजबूत किया और उनके स्वराज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस घटना ने शिवाजी महाराज की बहादुरी और उनकी सैन्य क्षमता को प्रदर्शित किया और उनके अनुयायियों का मनोबल बढ़ाया।

♦ प्रतापगढ़ का महत्व ♦

प्रतापगढ़ एक महत्वपूर्ण किला है जो महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित है। यह किला शिवाजी महाराज के समय में एक महत्वपूर्ण सैन्य अड्डा था और अफजल खान की हत्या की घटना के बाद यह किला और भी महत्वपूर्ण हो गया। आजकल, प्रतापगढ़ एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जो शिवाजी महाराज के इतिहास और उनके स्वराज्य की स्थापना की कहानी को दर्शाता है।

सुवर्ण किले से संबंधित एक महत्वपूर्ण घटना पन्हाला किले की घेराबंदी के दौरान शिवाजी महाराज का बचाव है। यह घटना 1660 में हुई थी, जब शिवाजी महाराज को पन्हाला किले में सिद्दी जौहर की सेना ने घेर लिया था।

♦ पन्हाला किले की घेराबंदी ♦

सिद्दी जौहर ने पन्हाला किले को घेर लिया था और शिवाजी महाराज को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर करने की कोशिश की। लेकिन शिवाजी महाराज ने हार नहीं मानी और उन्होंने अपने सैनिकों के साथ किले की रक्षा करने का फैसला किया।

♦ शिवाजी महाराज का बचाव ♦

शिवाजी महाराज ने अपने विश्वासपात्र शिवाजी काशिद को अपने जैसे कपड़े पहनाकर और अपने स्थान पर बैठाकर एक चाल चली। शिवाजी काशिद को सिद्दी जौहर की सेना ने शिवाजी महाराज समझकर हमला किया, जबकि वास्तविक शिवाजी महाराज सुरक्षित रूप से किले से बाहर निकल गए।

♦ घटना का महत्व ♦

इस घटना ने शिवाजी महाराज की चतुराई और उनकी सैन्य क्षमता को प्रदर्शित किया। शिवाजी महाराज का बचाव एक महत्वपूर्ण घटना थी जिसने उनके स्वराज्य की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

♦ सुवर्ण किले का महत्व ♦

हालांकि, यह घटना पन्हाला किले से संबंधित है, न कि सुवर्ण किले से। सुवर्ण किला एक महत्वपूर्ण किला है जो महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग जिले में स्थित है, लेकिन इस किले से संबंधित कोई विशिष्ट घटना मेरे पास नहीं है। अगर आपके पास कोई विशिष्ट जानकारी है, तो मैं आपको और अधिक जानकारी प्रदान कर सकता हूँ।

खंडेरी किला एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है जो महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में स्थित है। यह किला शिवाजी महाराज के समय में एक महत्वपूर्ण नौसैनिक अड्डा था। खंडेरी किले से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं निम्नलिखित हैं :

♦ खंडेरी किले का निर्माण ♦

खंडेरी किले का निर्माण शिवाजी महाराज ने 1679 में करवाया था। इस किले का उद्देश्य मराठा नौसेना के लिए एक सुरक्षित अड्डा प्रदान करना था।

♦ नौसैनिक अड्डा ♦

खंडेरी किला एक महत्वपूर्ण नौसैनिक अड्डा था जहाँ मराठा नौसेना के जहाजों को सुरक्षित रूप से लंगर डाला जा सकता था। इस किले ने मराठा नौसेना को समुद्री डाकुओं और अन्य शत्रुओं से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

♦ अंग्रेजों और पुर्तगालियों के साथ संघर्ष ♦

खंडेरी किले ने अंग्रेजों और पुर्तगालियों के साथ संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मराठा नौसेना ने इस किले का उपयोग करके इन शक्तियों के जहाजों पर हमला किया और उन्हें पराजित किया।

♦ ऐतिहासिक महत्व ♦

खंडेरी किला एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है जो शिवाजी महाराज के समय के नौसैनिक इतिहास को दर्शाता है। यह किला आज भी एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जो महाराष्ट्र के ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करता है।

इन घटनाओं से पता चलता है कि खंडेरी किला शिवाजी महाराज के समय में एक महत्वपूर्ण नौसैनिक अड्डा था जिसने मराठा नौसेना को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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शिवनेरी किला एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है जो महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित है। यह किला शिवाजी महाराज के जन्मस्थान के रूप में प्रसिद्ध है। शिवनेरी किले से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं निम्नलिखित हैं :

♦ शिवाजी महाराज का जन्म ♦

शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी किले में हुआ था। उनके पिता शाहजी भोंसले एक मराठा सेनापति थे और उनकी माता जीजाबाई एक धार्मिक और संस्कृति से भरपूर महिला थीं।

♦ किले का महत्व ♦

शिवनेरी किला एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है जो शिवाजी महाराज के जीवन और उनके स्वराज्य की स्थापना के इतिहास को दर्शाता है। यह किला आज भी एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जो महाराष्ट्र के ऐतिहासिक महत्व को प्रदर्शित करता है।

♦ किले की विशेषताएं ♦

शिवनेरी किला एक मजबूत और सुरक्षित किला है जो पहाड़ी पर स्थित है। इस किले की दीवारें और बुर्ज मजबूत पत्थरों से बने हुए हैं। किले में कई महत्वपूर्ण संरचनाएं हैं, जिनमें मंदिर, तालाब और सैन्य बैरकों शामिल हैं।

♦ पर्यटन स्थल ♦

शिवनेरी किला एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है जो अपनी ऐतिहासिक महत्व और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। पर्यटक इस किले को देखकर शिवाजी महाराज के जीवन और उनके स्वराज्य की स्थापना के इतिहास को समझ सकते हैं।

♦ सांस्कृतिक महत्व ♦

शिवनेरी किला एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक स्थल है जो मराठा इतिहास और संस्कृति को दर्शाता है। यह किला आज भी मराठा समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।

इन घटनाओं से पता चलता है कि शिवनेरी किला शिवाजी महाराज के जीवन और उनके स्वराज्य की स्थापना के इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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शिवाजी महाराज एक महान नेता, सैन्य रणनीतिकार और राजनेता थे, जिनसे हमें कई महत्वपूर्ण सबक मिलते हैं। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण सबक दिए गए हैं जो हमें शिवाजी महाराज से मिलते हैं:

  1. नेतृत्व : शिवाजी महाराज एक महान नेता थे जिन्होंने अपने अनुयायियों को प्रेरित किया और उन्हें एक साझा लक्ष्य की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित किया।
  2. सैन्य रणनीति : शिवाजी महाराज एक महान सैन्य रणनीतिकार थे जिन्होंने गुरिल्ला युद्ध की तकनीकों का उपयोग करके अपने शत्रुओं को हराया।
  3. राष्ट्रवाद : शिवाजी महाराज एक सच्चे राष्ट्रवादी थे जिन्होंने अपने देश और अपने लोगों के लिए लड़ाई लड़ी।
  4. न्याय और समानता : शिवाजी महाराज एक न्यायप्रिय और समानता के समर्थक थे। उन्होंने अपने शासन में सभी वर्गों के लोगों को समान अवसर प्रदान किए।
  5. शिक्षा और संस्कृति : शिवाजी महाराज शिक्षा और संस्कृति के महत्व को समझते थे। उन्होंने अपने शासन में शिक्षा और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए।
  6. आत्मनिर्भरता : शिवाजी महाराज आत्मनिर्भरता के महत्व को समझते थे। उन्होंने अपने शासन में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए।
  7. धैर्य और साहस : शिवाजी महाराज एक धैर्यवान और साहसी व्यक्ति थे जिन्होंने अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कठिन परिश्रम किया।
  8. नैतिकता और आदर्श : शिवाजी महाराज एक नैतिक और आदर्शवादी व्यक्ति थे जिन्होंने अपने जीवन में नैतिकता और आदर्शों को महत्व दिया।

इन सबकों अपनाकर, हम अपने जीवन में सफलता प्राप्त कर सकते हैं और एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं।

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♦ सुख मंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦

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— Conclusion —

  • “सुख मंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख में समझाने की कोशिश की है — छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन प्रेरणा, साहस और राष्ट्रप्रेम का प्रतीक है। उन्होंने अपने अद्भुत नेतृत्व और नीतियों से भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अपना नाम अंकित किया। आज भी उनका नाम लेते ही प्रत्येक भारतीय के मन में गर्व और श्रद्धा की भावना जागृत होती है। वे केवल मराठाओं के ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के गौरव हैं। उनका स्वराज्य का सपना, न्यायपूर्ण शासन और निर्भीक नेतृत्व आने वाली पीढ़ियों को सदैव प्रेरणा देता रहेगा।

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यह लेख (शिवाजी महाराज मराठा साम्राज्य का विस्तार।) “सुख मंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।

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सावन माह का रुद्राभिषेक।

Kmsraj51 की कलम से…..

Sawan Maas Ka Rudrabhishek | सावन माह का रुद्राभिषेक।

सावन माह का रुद्राभिषेक – मिटेंगे कष्ट बढ़ेगा विवेक।

भारतवर्ष में शिव भगवान के भक्तों के लिए सावन का महीना एक विशेष महत्व रखता है। इस महीने में भगवान शिव की भक्ति का एक विशेष महत्व माना जाता है। जो लोग भगवान भोलेनाथ में अपनी आस्था रखते हैं वह सावन महीने में सच्चे श्रद्धा भाव से भगवान शिव की पूजा अर्चना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस महीने भगवान शिव की पूजा अर्चना एवं रुद्राभिषेक करने से मनुष्य के सारे कष्ट दूर होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके साथ-साथ ही मनुष्य का विवेक भी बढ़ता है।

इस वर्ष पंचांग के अनुसार साल 2025 में सावन का महीना 11 जुलाई 2025 से शुरू होकर 9 अगस्त 2025 तक चलेगा। इस बार सावन में चार सोमवार का विशेष योग बन रहा है। वैसे तो भगवान शिव के मंदिरों में भक्तों की भीड़ पूरे वर्ष देखी जा सकती है और रुद्राभिषेक अभी तो किसी भी वक्त करते रहते हैं लेकिन “सावन के महीने में किए गए रुद्राभिषेक का अपने आप में एक विशेष महत्व होता है।” शिव भक्त पूरे विधि विधान से मंदिर में पूजा अर्चना के साथ भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक करते हैं। गौरतलाप है कि (यह उल्लेखनीय है कि) रुद्राभिषेक में भगवान भोलेनाथ के रुद्र अवतार की पूजा पूरे विधि विधान से की जाती है। ऐसी मान्यता है कि यह भोलेनाथ का प्रचंड रूप होता है जो कि मनुष्य की सारी बाधाओं और समस्याओं का समाधान करता है।

जैसे कि रुद्राभिषेक शब्द से विदित होता है कि यह भगवान रुद्र के अभिषेक से संबंधित है तो इसमें भगवान शिव के शिवलिंग को पवित्र स्नान कराने के बाद विधिपूर्वक उसकी पूजा अर्चना की जाती है। ऐसा कहा जाता है कि सावन के महीने में रुद्र ही सारी सृष्टि का कामकाज संभालते हैं अतः इस महीने में किए गए रुद्राभिषेक से मनुष्य को मनचाहा फल मिलता है।

अगर भारतीय परिदृश्य की बात की जाए तो सावन का महीना एक विशेष महत्व रखता है। हिंदू पंचांग के अनुसार या वर्ष का पांचवा महीना होता है। इस महीने में भगवान भोलेनाथ के भक्तों में जो भक्ति भाव होता है वह अपनी चरम सीमा पर होता है। इस महीने में पड़ने वाले सोमवार को स्त्रियां, पुरुष और कुमारी युवतियां व्रत रखते हैं। सावन के महीने में किए गए रुद्राभिषेक से मनुष्य के पाप एवं बुरे कर्मों का नाश होता है और अच्छा फल की प्राप्ति होती है।

कहा जाता है कि ब्रह्मा की उत्पत्ति भगवान विष्णु के नाभि से हुई है। जब ब्रह्मा जी को यह पता लगा तो वह इस रहस्य का पता करने के लिए भगवान विष्णु के पास गए और उनके कहने पर ब्रह्मा जी, मानने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं थे कि उनकी उत्पत्ति इस तरह से हुई है इस कारण उनके बीच बहुत जोरदार युद्ध भी हुआ। इस युद्ध के परिणाम स्वरूप भगवान रुद्र अपने लिंग रूप में प्रकट हुए थे और इसी लिंग का जब कोई आदि और अंत का पता ना लगा तो उन दोनों ने अपनी – अपनी हार मान ली और इसके परिणाम स्वरूप उन्होंने लिंग का अभिषेक किया। ऐसी मान्यता है कि इसी परंपरा से रुद्राभिषेक का आरंभ हुआ था।

जो भी मनुष्य सावन के महीने में रुद्राभिषेक करता है उसके परिवार में सुख और शांति का आगमन होता है और सफलता उसके कदम चूमती है। ऐसी भी मान्यता है कि जो भक्तगण भगवान भोलेनाथ का रुद्राभिषेक दूध से करते हैं उनकी संतान प्राप्ति की इच्छा भी पूरी होती है और अगर शिवलिंग का रुद्राभिषेक दही के साथ किया जाता है तो इससे मनुष्य के समस्त कामों में आ रही सारी अड़चने दूर होती हैं।

कुछ लोग रुद्राभिषेक करने के लिए पंचामृत दूध, दहीं, घी, गंगाजल और शहद का प्रयोग भी करते हैं जिससे कि भगवान शिव की विशेष कृपा की प्राप्ति होती है। सावन महीने में भगवान भोलेनाथ के मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है एवं सारे महीने में माहौल भक्तिमय होता है।

इसी महीने पवित्र अमरनाथ यात्रा भी शुरू होती है। इसके साथ-साथ ही रक्षाबंधन, नाग पंचमी, हरियाली तीज इत्यादि त्योहार भी सावन महीने में ही मनाये जाते हैं। कई मंदिरों में उनके भक्त शिवलिंग के ऊपर गंगाजल के साथ-साथ बिल्व पत्र और भांग घोटकर भी चढ़ाते हैं। इसके अलावा आक, चंदन, कलावा, रोली, चावल, फल फूल, नावेद, धतूरा, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, धूप इत्यादि का इस्तेमाल रुद्राभिषेक करने में करते हैं। ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में शिवलिंग के ऊपर बिल्वपत्र चढ़ाने से तीन जन्मों तक के पापों का विनाश होता है और एक अखंड बिल्वपत्र चढ़ाने से हजार बिल्वपत्र के बराबर फल की प्राप्ति होती है।

सावन महीने में कांवड़िए विभिन्न नदियों से इकट्ठे किए गए जल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं जिससे कि भगवान शिव विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं। अगर बात ऐसी शिव पुराण की, की जाए तो उसमें हमको यह उल्लेख मिलता है कि भगवान भोलेनाथ ही स्वयं जल है इसलिए इस महीने में शिवलिंग पर जलाभिषेक करने का अपना एक विशेष महत्व रहता है।

एक कथा के अनुसार जब देवताओं और असुरों में जबरदस्त युद्ध हुआ और समुद्र मंथन हुआ तो वहां पर विष निकला उस विष को भगवान शंकर ने पूरी सृष्टि की रक्षा के लिए अपने कंठ में समाहित कर लिया था जिसके कारण भगवान भोलेनाथ का कंठ नीला हो गया था इसी कारण भगवान भोलेनाथ को नीलकंठ महादेव भी कहा जाता है। भगवान शंकर के कंठ का रंग नीला देखकर सारे देवी देवता डर गए थे और उन्होंने इस विश्व के प्रभाव को कम करने के लिए जल का अर्पण किया था।

इसी मान्यता के कारण आज भी जो भक्त भगवान शिव को सावन के महीने में जल अर्पित करते हैं उनको एक विशेष फल प्राप्त होता है और सब कष्टों से मुक्ति मिलती है। इसलिए ही कहते हैं कि सावन महीने में किए गए रुद्राभिषेक का अपने आप में एक विशेष महत्व होता है। रुद्राभिषेक करते समय सबसे पहले जल हरि के दाहिनी तरफ जल चढ़ाया जाता है जिसको की गणेश भगवान का प्रतीक माना जाता है और उसके बाद बाईं तरफ जल चढ़ाया जाता है जीने की भगवान कार्तिकेय का रूप माना जाता है। ऐसा कहा जाता है की शिवलिंग के ऊपर हमेशा बैठकर ही जलाभिषेक करना चाहिए और जहां तक संभव हो सके तो तांबे के बर्तन का उपयोग करना चाहिए। विशेष ध्यान देने वाली बात यह है कि जब भी शिवलिंग पर जलाभिषेक करें तो जल की धारा हमेशा उत्तर की ओर ही प्रवाहित होनी चाहिए और वक्त को दक्षिण दिशा की ओर रहना चाहिए और मुख उत्तर की ओर होना चाहिए।

रुद्राभिषेक पूजन के लिए आवश्यक सामग्री की सूची इस प्रकार है:

  • दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल, शक्कर: ये सभी वस्तुएं शिवलिंग पर अर्पित की जाती हैं।
  • बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी पत्र: ये सभी वस्तुएं भगवान शिव को प्रिय हैं और रुद्राभिषेक में इनका उपयोग किया जाता है।
  • फूल, फल, मिठाई, पान, सुपारी: ये सभी वस्तुएं पूजा के दौरान भगवान को अर्पित की जाती हैं।
  • कलावा, धूप, दीप, कपूर, चंदन, अक्षत, रोली: ये सभी वस्तुएं पूजा के आवश्यक सामग्री हैं।
  • रुई की बत्ती, दीपक, तेल: दीपक जलाने के लिए।
  • वस्त्र: भगवान शिव को अर्पित करने के लिए।
  • आसन: पूजा करते समय बैठने के लिए।
  • कलश, श्रृंगी: जल चढ़ाने के लिए।
  • शिव-गौरी की प्रतिमा: यदि उपलब्ध हो।
  • अन्य पूजन सामग्री: जैसे, अबीर, गुलाल, इत्र, आदि। (यदि उपलब्ध हो।)

♦ लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल जी  – बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश ♦

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  • “श्री लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — भारत में सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान भक्तजन श्रद्धा भाव से शिव पूजा, व्रत और रुद्राभिषेक करते हैं। मान्यता है कि सावन में रुद्राभिषेक करने से सभी कष्टों का नाश होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। वर्ष 2025 में सावन का महीना 11 जुलाई से 9 अगस्त तक रहेगा, जिसमें चार सोमवार विशेष माने जाएंगे। रुद्राभिषेक का धार्मिक महत्व है, यह भगवान शिव के रुद्र रूप की पूजा है, जिसमें शिवलिंग का विधिपूर्वक जल, दूध, दही, घी, शहद, पंचामृत, गंगाजल आदि से अभिषेक किया जाता है। इससे संतान प्राप्ति, सफलता, शांति और पापों से मुक्ति का आशीर्वाद मिलता है। लेख में एक पुराण कथा भी दी गई है जिसमें बताया गया है कि भगवान विष्णु और ब्रह्मा के विवाद के समय भगवान रुद्र लिंग रूप में प्रकट हुए थे, और उसी से रुद्राभिषेक की परंपरा की शुरुआत मानी जाती है। सावन में अमरनाथ यात्रा, रक्षाबंधन, नाग पंचमी, हरियाली तीज जैसे पर्व भी आते हैं। भक्त शिवलिंग पर बिल्वपत्र, भांग, धतूरा, चंदन, धूप आदि अर्पित करते हैं। मान्यता है कि सावन में शिवलिंग पर बिल्वपत्र चढ़ाने से तीन जन्मों के पाप नष्ट होते हैं। सावन में कांवड़िए विभिन्न नदियों से जल लाकर शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। समुद्र मंथन से निकले विष को भगवान शिव ने पी लिया था, जिससे उनका कंठ नीला हुआ और वे नीलकंठ कहलाए। उस विष की तपन को शांत करने के लिए ही जल अर्पण की परंपरा शुरू हुई। अंत में लेख में रुद्राभिषेक की सही विधि और दिशा का भी वर्णन है — जैसे जल उत्तर दिशा में बहना चाहिए और पूजन दक्षिणमुख होकर करना चाहिए। यह सब सावन में शिव की कृपा पाने के लिए आवश्यक माना गया है।

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यह Article (लेख) (सावन माह का रुद्राभिषेक – मिटेंगे कष्ट बढ़ेगा विवेक।) “श्री लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, लघु कथा, सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम लेफ्टिनेंट (डॉ•) जयचंद महलवाल है। साहित्यिक नाम — डॉ• जय अनजान है। माता का नाम — श्रीमती कमला देवी महलवाल और पिता का नाम — श्री सुंदर राम महलवाल है। शिक्षा — पी• एच• डी•(गणित), एम• फिल•, बी• एड•। व्यवसाय — सहायक प्रोफेसर। धर्म पत्नी — श्रीमती संतोष महलवाल और संतान – शानवी एवम् रिशित।

  • रुचियां — लेखक, समीक्षक, आलोचक, लघुकथा, फीचर डेस्क, भ्रमण, कथाकार, व्यंग्यात्मक लेख।
  • लेखन भाषाएं — हिंदी, पहाड़ी (कहलूरी, कांगड़ी, मंडयाली) अंग्रेजी।
  • लिखित रचनाएं — हिंदी(50), पहाड़ी(50), अंग्रेजी(10)।
  • प्रेरणा स्त्रोत — माता एवम हालात।
  • पदभार निर्वहन — कार्यकारिणी सदस्य कल्याण कला मंच बिलासपुर, लेखक संघ बिलासपुर, सह सचिव राष्ट्रीय कवि संगम बिलासपुर इकाई, ज्वाइंट फाइनेंस सेक्रेटरी हिमाचल मलखंभ एसोसिएशन, सदस्य मंजूषा सहायता केंद्र।
  • सम्मान प्राप्त — श्रेष्ठ रचनाकार(देवभूमि हिम साहित्य मंच) — 2022
  • कल्याण शरद शिरोमणि सम्मान(कल्याण कला मंच) — 2022
  • काले बाबा उत्कृष्ट लेखक सम्मान — 2022
  • व्यास गौरव सम्मान — 2022
  • रक्त सेवा सम्मान (नेहा मानव सोसायटी)।
  • शारदा साहित्य संगम सम्मान — 2022
  • विशेष — 17 बार रक्तदान।
  • देश, प्रदेश के अग्रणी समाचार पत्रों एवम पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।

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भाई का पैगाम।

Kmsraj51 की कलम से…..

Brother’s message | भाई का पैगाम।

The brother explains to his sister that she should not depend on anyone for her protection, but should make herself strong and self-reliant.

रक्षाबंधन पर,
भाई का पैगाम,
सभी बहनों के नाम।

ओ मेरी बहना,
राखी तू जरूर बांधना,
रक्षा का मैं वचन भी दूंगा।

मगर,
इस कलयुगी युग में,
राक्षसी प्रवृत मानवों में।

आस पास के,
गैर तो गैर अपने लोगों में,
कौन कैसा है पहचानने में।

खा जायेगी तू धोखा,
गिरगिट जैसी रंग बदलती दुनिया में,
गुम हो जाएगी तुम्हारी पहचान।

सुन री बहना,
साये की तरह मेरा साथ नहीं,
इस बात का तूझे ख्याल है रखना।

मुझ पर निर्भर,
मत रह ये बहना,
तुम ही हो घर का गहना।

सुन तू,
नाजों से पली,
तू कोमल सी कली।

हैवानों की नजर,
इसीलिए तुझ पर गरी,
तू लगती हो सुंदर परी।

रुक,
इस मिथ्या को तोड़,
रिश्तों के बंधन छोड़।

नियत अब,
तू पहचाना सीख,
न मांग तू किसी से भीख।

समाज में छवि,
दया कोमलता की प्रतिमूर्ति,
ममता की जो करती है पूर्ति।

समय आने पर,
तू ही चंडी तू काली है,
जग की करती रखवाली है।

निर्भया बनो,
उठो जागो और याद कर,
अपनी शक्ति का संचार कर।

सृष्टि की,
जननी तू पालक तू,
जीवन का आधार हो तू।

फिर,
चंद वहशी से मत डर,
उठ, कर उनका प्रतिकार।

वचन,
आज रक्षाबंधन पर दो,
अन्मविश्वास खुद में ला दो।

तू,
अबला नहीं,तू सबला है,
कोमल नहीं तू कठोर है।

अब,
ना डर प्रतिकार कर,
खुद की रक्षा स्वयं कर।

लोगों की सोंच,
बदलेगी आएगी वो सुबह,
हाथ लगाते होंगे वो तबाह।

सनक ऐसी पाल,
अच्छे के लिए अच्छा,
बुरे के लिए काल बन।

फिर कोई तुझे,
छूने से भी घबड़ाएगा,
सपना मेरा साकार हो जायेगा।

अब,
भाई की न करना फरियाद,
तू ही है मेरी बहना फौलाद।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — कविता में एक भाई अपनी बहन को रक्षाबंधन के अवसर पर संदेश भेजता है, जिसमें वह उसे अपनी सुरक्षा के लिए जागरूक और आत्मनिर्भर बनने की सलाह देता है। भाई बहन से कहता है कि वह राखी जरूर बांधे, और वह उसकी रक्षा का वचन भी देता है। लेकिन साथ ही वह इस कलयुगी युग में चारों ओर फैले खतरों और मानवों की राक्षसी प्रवृत्तियों से सतर्क रहने के लिए भी कहता है। भाई अपनी बहन को यह समझाता है कि उसे खुद की रक्षा के लिए किसी पर निर्भर नहीं रहना चाहिए, बल्कि खुद को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाना चाहिए। वह उसे याद दिलाता है कि समाज में उसे कोमल और दयालु समझा जाता है, लेकिन समय आने पर उसे अपनी शक्ति को पहचानना होगा और चंडी व काली जैसी शक्तिशाली रूप धारण कर समाज की रक्षा करनी होगी। भाई यह भी कहता है कि उसे किसी भी बुराई का डटकर मुकाबला करना चाहिए और खुद की सुरक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए। अंत में, वह बहन से वादा लेता है कि वह शक्ति रूप बनेगी, अपनी शक्ति को पहचानेगी और खुद को सबला मानेगी। भाई बहन से कहता है कि अब वह किसी पर निर्भर न रहे और खुद ही अपनी रक्षा करे, जिससे समाज में बदलाव आए और बुरे लोग उससे डरने लगें।

—————

यह कविता (भाई का पैगाम।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं एक शिक्षक हूं। मुजफ्फरपुर जिला, बिहार राज्य का निवासी हूं। भोला सिंह हाई स्कूल पुरुषोत्तम, कुरहानी में अभी एक शिक्षक के रूप में कार्यरत हूँ। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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राखी।

Kmsraj51 की कलम से…..

Rakhi | राखी।

The love between brother and sister is amazing. Perhaps there is no relationship like this in the world.

रक्षाबंधन का त्यौहार जब है आता।
भाई बहन का प्यार और खिल जाता॥

बहन भाई को राखी है पहनाती।
उससे रक्षा की इच्छा है जताती॥

कभी नहीं मांगती पैसा, दौलत व उपहार।
हमेशा मांगती है अपने भाई का प्यार॥

जब भी बहन को कोई मुसीबत है आती।
भाई से सहायता भी जरुर है मांगती॥

भाई भी कभी बहन को नजर अंदाज नहीं करता।
जब जब बहन याद करती हाजरी जरूर है भरता॥

भाई बहन का प्यार भी गज़ब का है होता।
शायद इस रिश्ते जैसा कोई रिश्ता दुनिया में नहीं होता॥

आज भाई की कलाई सुनी सी नजर है आती।
क्योंकि बहन जन्म ही नहीं ले पाती॥

गर भाई की कलाई को चाहते हो हरा भरा।
तो बहन से भी सजनी चाहिए यह धरा॥

♦ विनोद वर्मा जी / जिला – मंडी – हिमाचल प्रदेश ♦

—————

  • “विनोद वर्मा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — यह कविता रक्षाबंधन के त्यौहार और भाई-बहन के अटूट प्रेम को दर्शाती है। इसमें बहन के स्नेह और सुरक्षा की भावना को रेखांकित किया गया है, जो वह अपने भाई से अपेक्षित करती है। बहन अपने भाई से दौलत या उपहार नहीं मांगती, बल्कि उसके प्यार की ही इच्छा रखती है। जब भी बहन को किसी परेशानी का सामना करना पड़ता है, वह अपने भाई की सहायता लेती है, और भाई भी हमेशा उसकी मदद के लिए तैयार रहता है। भाई-बहन का रिश्ता अत्यंत अनमोल और दुनिया में सबसे खास होता है। कविता के अंत में यह भी बताया गया है कि अगर भाई की कलाई को राखी से सजाना चाहते हैं, तो समाज में बेटियों का जन्म होना आवश्यक है।

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यह कविता (राखी।) “विनोद वर्मा जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम विनोद कुमार है, रचनाकार के रुप में विनोद वर्मा। माता का नाम श्री मती सत्या देवी और पिता का नाम श्री माघु राम है। पत्नी श्री मती प्रवीना कुमारी, बेटे सुशांत वर्मा, आयुष वर्मा। शिक्षा – बी. एस. सी., बी.एड., एम.काम., व्यवसाय – प्राध्यापक वाणिज्य, लेखन भाषाएँ – हिंदी, पहाड़ी तथा अंग्रेजी। लिखित रचनाएँ – कविता 20, लेख 08, पदभार – सहायक सचिव हिमाचल प्रदेश स्कूल प्रवक्ता संघ मंडी हिमाचल प्रदेश।

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संस्कार और विनम्रता।

Kmsraj51 की कलम से…..

Sanskaar Aur Vinamrata | संस्कार और विनम्रता।

Humility is the quality of being humble. Manners are the proper or polite way to behave in public. kmsraj51संस्कार और विनम्रता का अटूट संबंध है, संस्कार ही विनम्रता की जननी है। संस्कार के बिना जीवन मरूस्थल की तरह है, जहाँ संस्कार नहीं वहाँ अहंकार ही उत्पन्न होता है। संस्कार के भूलते ही अहंकार की उत्पत्ति हो जाती है, नदी कभी सूख जाती है, कभी विकराल रूप धारण कर लेती है, गाँव के गाँव नदी में समा जाती है। नदी को अपने प्रचंड प्रवाह पर घमंड हो जाना स्वाभाविक है, नदी मर्यादा भूल जाती है, यह भी भूल जाती है कि कभी उसकी सुखी रेत पर बच्चे गेंद खेलते हैं। नदी को अपने ताकत का अहंकार हो गया, वह सोचने लगा मैं पहाड़, मकान, पेड़, पशु और मानव को बहा कर कहीं भी ले जा सकता हूँ। बर्बाद करने की ताकत है मुझमे, एक दिन समुद से उसकी बहस हो गई क्योंकि अहंकार के कारण विनम्रता जा चुकी थी। गर्वीले अंदाज में मुस्कराते हुए समुद से कहा, बताओ, मैं तुम्हारे लिए क्या-क्या लाऊँ, मैं सर्व शक्तिमान हूं, मैं मकान, पेड़, पशु. मानव – जो तुम्हारी इच्छा हो, उसे लाकर तुम्हें समर्पित कर दूंगी।

संस्कार और विनम्रता समुद्र में कूट-कूट कर भरा था….. वह समझ गया, अहंकार के नशे में चूर है नदी, समुद ने बड़ी विनम्रता से बोला- अगर कुछ लाना ही चाहते हो तो थोड़ी सी घास उखाड़ कर ले आओ… मैं भी तो देखूँ – नदी ने हाँ कह दी। नदी पूरा जोर (शक्ति) लगाया पर छोटे-छोटे घास को उखाड़ न पाया, उसकी सारी जल शक्ति विफल हो गई। अंत में नदी मायूस होकर समुद्र के पास गया और बोला – मैं सब कुछ ला सकता, लेकिन घास नहीं क्योंकि घास झुक जाती है और मैं ऊपर से गुजर जाती हूँ। समुद्र ने मुस्कुराते हुए कहा- पहाड़, पेड़, कठोर होते हैं, आसानी से उखड़ जाते हैं लेकिन घास विनम्र होता है, वह झुकना जानता है, उसे प्रचंड आँधी, तूफान या जल का प्रचंड वेग कुछ नहीं बिगाड़ सकते। जिह्वा अंत तक साथ रहती है लेकिन दांत टूट जाते हैं, अभिमान फरिश्तों को भी शैतान बना देती है और विनम्रता इंसान को फरिश्ता बना देती है।

बीज़ की यात्रा पेड़ तक है, नदी की यात्रा सागर तक और मनुष्य की यात्रा परमात्मा तक, अहंकार एवं अभिमान विनाश की जननी है। प्रभु भक्ति से संस्कार जागृत होती है, जो लोग धर्म को मज़ाक समझते हैं उन्हें क्या मालूम प्रभु भक्ति कितना कठिन है। प्रभु चित्रगुप्त की नज़र से न कोई बचा है न कोई बच सकता है। उचित फल उचित समय पर अवश्य मिलता है, सदा वासना में लीन रहने वाले, दूसरों का अहित करने वाले और भगवान को न मानने वाले, दुष्कर्म में लिप्त रहने वाले, भले कुछ समय के लिए (पिछले जन्म के) कर्म के कारण सुखमय जीवन व्यतित कर लें, लेकिन उनके पापों का परिणाम अवश्य भोगना पड़ेगा।

सच्चे मन से भगवान का नाम लेने का कोई मुल्य नहीं होता, कलयुग में नाम ही जप लेना मोक्ष का द्वार खोल देता है। इंसान को विनम्र एवं संस्कारी बना देता है। एक बालक बड़ा ही जिद्दी स्वभाव का था, भगवान का नाम लेने में कोई दिलचस्पी नहीं। एक बार उसके पिताजी ने यज्ञ किया, वह बालक अपने को एक कमरे में बंद कर लिया, सभी पुजारी एवं अन्य विद्वान जन प्रयास करके थक गए, सभी असफल रहे। जब बालक स्वयं घर के बाहर निकला तो पुजारी जी ने कस कर उसकी कलाई पकड़ ली, असहनीय दर्द के कारण अनायास ही बालक के मुख से निकला- हे राम मुझे बचाओ, ये कैसी जबरदस्ती…….

……. पुजारी जी ने मुस्कुराते हुए कहा आज जो नाम लिए हो, इसकी कभी कीमत मत लगाना। कुछ समय बाद बालक की मृत्यु हो गई, यमराज ने भगवान चित्रगुप्त से पूछा… इसका पाप – पुण्य क्या है? प्रभु चित्रगुप्त ने कहा, यह कभी प्रभु का नाम नहीं लिया, किन्तु विपत्ति में एक बार राम का नाम लिया है। इसे क्या फल दिया जाए? बालक से ही पूछा गया,..वह मौन रहा। अब यमराज और प्रभु चित्रगुप्त व्याकुल हो कर उस बालक को ब्रह्मा जी के पास ले गए, ब्रह्मा जी भी कुछ नहीं बोले, फिर यमराज और भगवान चित्रगुप्त उस बालक को भगवान शिव के पास ले गए, वह भी कुछ नहीं बोले, फिर सभी विष्णु जी के पास गए… विष्णुजी मुस्करा दिए। एक बार नाम लेने का फल इस बालक को मिल गया, ब्रह्मा, विष्णु, महेश- तीनों का दर्शन हो गया।

झूठे आडंबर में न फंसकर केवल अपने इष्टदेव का नाम लेना ही सच्ची भक्ति है। पापकर्म से दूर रहना, किसी का अहित न करना, सदा दूसरों की मदद करना, नारी सम्मान करना, झूठ न बोलना, सत्कर्म करना ही सच्ची भक्ति है। ईर्ष्या, जलन, द्वेष से मुक्त रखना, विनम्र होना, संस्कार नहीं भूलना, पाखंड से दूर रहना ही मोक्ष का द्वार खोलता है। हर आदमी विद्वान नहीं हो सकता लेकिन विद्वान की संगत में रहकर, सत्य की राह पर चल कर, प्रभु को प्राप्त कर सकता है “मैं” से मुक्त होना ही मोक्ष है।

♦ भोला शरण प्रसाद जी – सेक्टर – 150 / नोएडा – उत्तर प्रदेश ♦

—————

  • “भोला शरण प्रसाद जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस Article के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — यह लेख संस्कार और विनम्रता के महत्व पर ध्यान केंद्रित करता है। संस्कार को विनम्रता की जननी माना गया है। बिना संस्कार के जीवन की तुलना मरुस्थल की होती है, जहां अहंकार ही उभरता है। अहंकार संस्कार भूलने के परिणाम से उत्पन्न होता है। यह लेख एक कहानी के माध्यम से इस विषय को प्रकट करता है, जिसमें नदी और समुद्र के बीच की बहस दर्शाई गई है। समुद्र ने विनम्रता की महत्वता को समझाया और अहंकार का त्याग किया। इससे पाठक को समझाया गया है कि विनम्रता और संस्कार की महत्वपूर्ण भूमिका है। लेखक ने भगवान के नाम लेने के महत्व को भी उजागर किया है, जो अहंकार को दूर करके विनम्रता को विकसित करता है। लेखक द्वारा बताए गए सिद्धांतों के माध्यम से पाठक को सच्ची भक्ति और मोक्ष की ओर प्रेरित किया जाता है।

—————

यह Article (संस्कार और विनम्रता।) “भोला शरण प्रसाद जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं भोला शरण प्रसाद बी. एस. सी. (बायो), एम. ए. अंग्रेजी, एम. एड. हूं। पहले केन्द्रीय विघालय में कार्यरत था। मेरी कई रचनाऍं विघालय पत्रिका एंव बाहर की भी पत्रिका में छप चूकी है। मैं अंग्रेजी एंव हिन्दी दोनों में अपनी रचनाऍं एंव कविताऍं लिखना पसन्द करता हूं। देश भक्ति की कविताऍं अधिक लिखता हूं। मैं कोलकाता संतजेवियर कालेज से बी. एड. किया एंव महर्षि दयानन्द विश्वविघालय रोहतक से एम. एड. किया। मैं उर्दू भी जानता हूं। मैं मैट्रीकुलेशन मुजफ्फरपुर से, आई. एस. सी. एंव बी. एस. सी. हाजीपुर (बिहार विश्वविघालय) बी. ए. (अंग्रेजी), एम. ए. (अंग्रेजी) बिहार विश्वविघालय मुजफ्फरपुर से किया। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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