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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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प्रो. मीरा भारती/मिश्रा जी की कविताएं।

शिक्षा पुनर्विहान।

Kmsraj51 की कलम से…..

Table of Contents

  • Kmsraj51 की कलम से…..
    • ♦ शिक्षा पुनर्विहान। ♦
      • आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
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      • “सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

♦ शिक्षा पुनर्विहान। ♦

जन मानस ह्रदय परम निर्भीक हो,
दृष्टि गुणदर्शी मस्तक गर्वोन्नत हो।
मन-वचन-कर्म में एकत्व दरश हो,
वाणी निःशंक हो, हृदय – तल की।

गहराई का सन्मार्ग स्वतः प्रशस्त हो,
संकीर्ण राष्ट्रवादी विचार, नफरत करे।
पर – धर्म से, देखे वह सूर्यास्त,
माल्यार्पण हो, विश्व-स्तर विचार को।

शिक्षा में समदृष्टि हो, हर छात्र हो उपदिष्ट,
गुरुवाणी के सब पात्र हों…
तर्कशक्ति जन-संवेदना नहीं पथभ्रष्ट हो,
अंधविश्वास – रूढ़ि न भटके मरुस्थल में।

न जाति – धर्म-वर्ग भेद हो, शिक्षा-वलय में,
मानव – मूल्य ही जहाँ पूज्य ईश – मूर्ति हो।
गुणवती हो शिक्षा, न शिष्य – पलायन हो,
सर्व – शिक्षित भारत के चरण सदा थिरकें,
चिर-जागृत पुनर्विहान दृश्य भारती निरखें।

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

—————

  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — बच्चे और युवा किसी भी देश के नीव होते है, उन्हीं के कंधों पर देश का भविष्य निर्भर होता है। बच्चों में अपने देश के प्रति सच्चा राष्ट्र प्रेम होना चाहिए। हर बच्चे के लिए देश हित सर्वोपरि होना चाहिए। ज्ञान, ध्यान, योग, भारतीय संस्कृति, संस्कार व सभ्यता उनमें कूट-कूट कर भरा होना चाहिए। ऐसे बच्चे ही किसी भी देश को ऊंचाइयों पर ले जाते हैं। आज की पीढ़ी और आने वाली पीढ़ी को पूर्ण मन व विचार शक्ति से ऊर्जावान बनाये। आओ हम सब मिलकर एक मजबूत और सर्वसम्पन्न भारत का निर्माण करें।

—————

यह कविता (शिक्षा पुनर्विहान।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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पायल में समन्वय – मंत्र।

Kmsraj51 की कलम से…..

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  • Kmsraj51 की कलम से…..
    • ♦ पायल में समन्वय – मंत्र। ♦
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♦ पायल में समन्वय – मंत्र। ♦

पायल की रुनझुन में, युग – मर्यादा,
के लिए मां सीता की स्वीकार्यता है।

पायल की छम – छम में, कृष्ण-भक्ति,
भाव यज्ञ की राधा-नाम चरितार्थता है।

पायल के गतिमान संगीत में, नारी,
की सेवा निष्ठा, स्नेह की साधना है।

पायल की झंकार में, सहजीवन संग,
भोग वैराग्य मध्य अनासक्ति अर्चना है।

पायल झूमते जेवर – पिटक में, धारक,
नारी मानस शोध करें, नव तकनीक।

क्षेम, नेह, मैत्री हेतु, कुटुंब बंधे हैं,
पायल में, नारी के सब रूप सजे हैं।

प्रणम्य हैं, पायल-स्पर्शित नारी चरण,
अर्पित सुमन उन्हें, करें वे नवनिर्माण।

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

—————

  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — पायल का उदाहरण देकर नारी के आंतरिक गुणों का वर्णन किया है। पायल की छम-छम में भक्ति, प्रेम, स्नेह की साधना, सेवा निष्ठा का समन्वय है। पायल की झंकार में, सहजीवन संग, भोग वैराग्य मध्य अनासक्ति अर्चना है। पायल झूमते जेवर – पिटक में, धारक, नारी का मन शोध करें, व नव तकनीक और ऊर्जा से सब सरल करें। जैसे पायल में सभी घुंघरू बांधे है एक साथ उसी तरह क्षेम, नेह, मैत्री हेतु, कुटुंब बंधे हैं, पायल में, नारी के सब रूप सजे हैं पायल में। प्रणम्य हैं, पायल-स्पर्शित नारी चरण, जिनके गर्भ में नजीवन पलता, तहे दिल से अर्पित सुमन उन्हें, करें वे नवनिर्माण।

—————

यह कविता (पायल में समन्वय – मंत्र।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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बिरसा – जो महामना।

Kmsraj51 की कलम से…..

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  • Kmsraj51 की कलम से…..
    • ♦ बिरसा – जो महामना। ♦
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♦ बिरसा – जो महामना। ♦

वाणी मेरी कलम की करे अवलोकन, विस्मित हो,
माने उपकार, बिरसा नाम के युगपुरुष ईशांश का।
प्रसक्त उद्यमी जो शोषक सत्ता का विनाश कामी,
महान रक्षक जो स्वाभिमानी आदिवासी अस्मिता का।
जल, जंगल, जमीं, भारत संस्कृति के दिव्यांश का…॥

दया से अश्रु-पूरित उन संगियों के क्षेम के हेतु जो,
जो जंगल से बेदखल, लड़ें भूख से, अंधकार-अभाव से।
शब्द उसके थे, ब्रह्म-वाक्य, बना विश्व-व्यक्तित्व वह,
नेतृत्व था मुक्तिबोधक, अरिभाव रख मिलें अन्याय से…॥

जिसका अभिमान था प्रकृति तत्व संरक्षण सदा,
जो भक्त जनसत्ता का, लाया आतंक शोषक प्राण में।
जिसके विभव से जाग्रत हुई जन – जाति- चेतना,
हुआ नव-राज्य गठन जिसके परम जय सम्मान में॥

पारित हुआ कानून, झुकी जब फ़रेबी सरकार थी,
मिली मुक्ति बेकारी से, बिरसा तभी बना भगवान।
अकाल, महामारी में, की सेवा बेमिसाल सतत,
बन पौराणिक, जीवनदानी, लेता वह संस्कार संज्ञान॥

अपूर्ण आज भी, अमर बिरसा का जीवन दर्शन है,
उद्योग युग में, विस्थापन का झेले दंश जब तक है।
अग्नि क्रांति भाव का रहे ज्वलित, संघर्ष संकल्पित हो,
आदि जन – ज्ञान संरक्षित हो, जन-गौरव प्रतिष्ठित हो॥

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

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  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — बिरसा मुंडा : शक्ति और साहस के परिचायक … स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतभूमि पर ऐसे कई नायक पैदा हुए जिन्होंने इतिहास में अपना नाम स्वर्णाक्षरों से लिखवाया। एक छोटी सी आवाज को नारा बनने में देर नहीं लगती बस दम उस आवाज को उठाने वाले में होना चाहिए और इसकी जीती जागती मिसाल थे बिरसा मुंडा। बिरसा मुंडा ने बिहार और झारखंड के विकास और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में अहम रोल निभाया। अपने कार्यों और आंदोलन की वजह से बिहार और झारखंड में लोग बिरसा मुंडा को भगवान की तरह पूजते हैं। बिरसा मुण्डा(Birsa Munda) ने मुण्डा विद्रोह पारम्परिक भू-व्यवस्था के जमींदारी व्यवस्था में बदलने के कारण किया। बिरसा मुण्डा ने अपनी सुधारवादी प्रक्रिया के तहत सामाजिक जीवन में एक आदर्श प्रस्तुत किया। उन्होंने नैतिक आचरण की शुद्धता, आत्म-सुधार और एकेश्‍वरवाद का उपदेश दिया। उन्होंने ब्रिटिश सत्ता के अस्तित्व को अस्वीकारते हुए अपने अनुयायियों को सरकार को लगान न देने का आदेश दिया था।

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यह कविता (बिरसा – जो महामना।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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कार्तिक पूर्णिमा स्नान।

Kmsraj51 की कलम से…..

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    • ♦ कार्तिक पूर्णिमा स्नान। ♦
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♦ कार्तिक पूर्णिमा स्नान। ♦

नमन इस महा जीवन दिवस को करें,
सत भक्ति भाव से, कार्तिक पूर्णिमा को।
हों ध्यानमय, महत्तर कार्य, इस लग्न में,
तन-मन, विवेक स्नात हों, करें प्रवेशसदा।
पवित्र देवनदी में……॥

मानव – व्यक्तित्व सदा श्रेयस है, धरा पर,
त्रिवेणी है, जहाँ ज्ञानमय, मनोमय, आत्म –
तत्त्व कोष, सदा अमर – कोष रूप रक्षित।
लें संकल्प, रहे सुरसरि शुद्ध सदानीरा॥

मनकोष, प्राणकोष, ज्ञानकोष सुरसरि का,
स्रोत है, सतत आरोग्य, ज्ञान, जीवन-मोक्ष का।
तरंगिणी यह श्लोक है, प्रकृति – रक्षण का,
करें शोध हम, इसकी परिशुद्धि हेतु जो॥

देवनदी रहें, मातृत्व – भाव स्नेहिल, निर्मल,
तो कृतिका पूजन से शिव होते हर्षित होंगे।
अभयदानी, वह विश्व – जन कल्याण के ध्यानी,
विचरें जटा बिच गंग – सलिल पूत॥

ज्ञान दीप आज का, देवनदी शुद्ध रहें,
अनंत काल रहें, वह मोक्षदा धरा हेतु।
सुरसरि-जल में मिलन हो जन-भक्ति,
भाव की वारि का, जो सत्य हो, ‘पुष्कर’
लक्ष्य ‘पद्मक-योग’……॥

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

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  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — बुरी शक्तियों पर दैवी शक्तियों को जीत जब मिलता है, उस जीत की खुशी में सभी देवतागण द्वारा जो दीपक जलाकर अपनी खुशी जाहिर की जाती है वही देव दीपावली का महापर्व कहलाया। आओ हमसब मिलकर इस देव दीपावली महापर्व को सच्चे मन से मनाए। इस दिन ध्यान साधना करे, सच्चे मन से। अपने मन को शांत रखने के लिए इस देव दीपावली पर देशी घी से यज्ञ करे पूर्ण शांत मन से। देव दीपावली पर पुरे दिन अच्छे व सच्चे मन से ध्यान – साधना में रत रहे। पूर्ण शांत मन से ध्यान करने से, आपके आत्मा की सुषुप्त शक्तियां जागृत होने लगती। आत्मा की सुषुप्त शक्तियां जिस भी मनुष्य की जागृत हो जाती है, उसके लिए हर कार्य आसान हो जाता हैं।

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यह कविता (कार्तिक पूर्णिमा स्नान।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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उत्सव में जीवन मोक्ष।

Kmsraj51 की कलम से…..

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    • ♦ उत्सव में जीवन मोक्ष। ♦
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♦ उत्सव में जीवन मोक्ष। ♦

अनेकत्व, स्वयंमेव तिरोहित है,
समाज निष्ठा है संजीवनी जहां।
पुरातन गीत छठ महापर्व में छुपा,
संदेश इक जीवन-शैली का शाश्वत।

प्रथम दिवस खरा सोना जैसा ही,
स्वर्णिम हिंद का शुद्धि प्रतीक है।
करके, शुद्ध – स्व अंतः करण को,
एकभुक्त व्रती लेते हैं शुभ प्रसाद।

संध्या काल शान्त भक्ति सुलग्न में,
छठ गीत में समूह योग का साध्य है।
सतत संघर्ष में सर्वसहा का भाव है,
प्रकृति के विचार-तत्व से मानवता के,
अध्यवसाय, साहस कामिलन – उत्सव।

मन को शून्य कर, शील सम-वृत्ति को,
पूर्ण रूप देने में, समवेत स्वर तृप्ति है।
सूप, हथेली पर उठे पावन अर्घ्य में,
जीवन – संघर्ष की… जो स्वीकार्यता है,
खुद को खोकर, समुदाय मोक्षभाव है।

छठ संगीत में अध्यात्म रहस्य भाव,
प्राण प्रिय मोक्ष सुखद अनुभूति है।
यह परा जीवन का प्रेम, प्रातः अर्घ्य,
की अभिव्यक्ति, अद्भुत पूर्णाहुति है।

गंगा जल तरण करते दीप जोत में,
एकमना होने का सतत संदेश है।
संगीत भाव में, बाती – सा जलकर,
आत्म – दान के संग – संग, सदानीरा,
नारी शक्ति की जय – जयकार है।

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

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  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — इस भारत भूमि के हर उत्सव में जीवन मोक्ष का पर्याय छिपा रहता है, चाहे वो पर्व कोई भी हो, दीपावली हो, छठ पूजा, होली हो, दशहरा हो। हमारे ऋषि मुनि और पूर्वजों ने अध्यात्म व विज्ञान के साथ-साथ नियमित और शांत तरीके से हर पर्व का नियम बनाया ऋतुओं को ध्यान में रखकर। जिससे हर एक मनुष्य को शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य का लाभ हो। हर उत्सव में मनुष्य को जीवन मोक्ष का अनुभव हो।

—————

यह कविता (उत्सव में जीवन मोक्ष।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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हिन्दी काव्य दर्शन।

Kmsraj51 की कलम से…..

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  • Kmsraj51 की कलम से…..
    • ♦ हिन्दी काव्य दर्शन। ♦
      • आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
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      • “सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

♦ हिन्दी काव्य दर्शन। ♦

जीवन शैली है, भागवत धर्म,
हृदय सहजात है, हमारा।

इक मुल्क, कौम, संगत है,
कोई कभी न पराया।
मन तरंग आत्म बोध से,
क्षण एक में जुटता गया।

झुकने न दिया अन्य को,
सम्मान दिया हर विचार को।
हर वर्दी के नीचे, है नाम,
इक मात वसुंधरा का।

हर आत्म तन्मय जन है यहां,
योगी, हर दिवा है अर्पित प्रेम।
यज्ञ को, थाहे कौन बुनियाद,
इस भरत जन ज्ञान – विज्ञान का।

घटक अनेक राम – कृष्ण के,
इस देश में, असंख्य जाति।
धर्म, वर्ग, पंथ हैं, सुर – ताल,
लय, मन के द्वार हैं एकल।

विभिन्नता ही है छवि सुभग,
इस महा जीवन – मंत्र श्रृंगार का।
मत – भेदी होते… एकमना,
प्रश्न आता जब राष्ट्र के सेवा अस्मिता का।

संभव है, क्रूर हो कोई दस्यु ,
अंगुलिमाल सम, भाव हो अशुभ।
बुद्ध का प्रेम, ले भावांजलि,
गढ़े शुभत्व, हर नर में राम का।

कौम है यह संगम प्रेम, संयम, क्षमा का,
न रहा कभी मत्स्य न्याय यहां।
जलधार है नेह, दया, सेवा, सुख है,
वैराग्य, सहयोग, सदाचार यहां।

अमर बेल से एकत्व से बनता,
विश्व धर्म जन मन संगीत सदा।
है जनाधार सत् चित् आनन्द का,
आत्मबल ही… मनमीत यहां।

हिन्दी ही जोड़े, गुण धर्म सभी के,
गुण ग्राहिता, हर जन सम्मान यहां।

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

—————

  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — अतुल्य हमारा भारत देश सबसे न्यारा है, यहां बहुत सारी जातियों और धर्म के लोग, अलग – अलग बोली भाषा के साथ रहते है फिर भी सभी के बीच एक बात कॉमन है, सभी अपने मातृभूमि से अटूट प्रेम करते है। हर भारतीय के अंदर अपने देश के प्रति सच्चा प्रेम है, देश के लिए कुछ भी कर गुजरने का जज्बा है। हम आध्यात्मिकता, अहिंसा और वसुधैव कुटुम्बकम वाले लोग है, हम सभी से प्यार करते है, हम कभी भी किसी का बुरा नही चाहते है। हम सदैव से ही पूरी मानव जाती के कल्याण के लिए कार्य करते आ रहे है।

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यह कविता (हिन्दी काव्य दर्शन।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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दीपावली : आत्मिक आनंद उत्सव।

Kmsraj51 की कलम से…..

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  • Kmsraj51 की कलम से…..
    • ♦ दीपावली : आत्मिक आनंद उत्सव। ♦
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♦ दीपावली : आत्मिक आनंद उत्सव। ♦

दीप की दीप्ति है, स्मृति ज्ञान ज्योति की,
उत्सव की लहरें नेह, करूणा, अनुराग रूप ले,
बांधे बंधन में जन जन को, अभेद भाव से।
बुराई पर भलाई के संग, जय तन पर आत्मन भाव का।

प्रिय सबसे है, इस काल बिन्दु पर,
आत्मा हो दृढ़ शासक शरीर।
मन के व्यवहार का, हर भाव से उच्च हो,
त्याग सभी के सुभग उत्सव आनंद के हेतु।

प्रयाण – दिवस स्वामी रामतीर्थ का,
सिख मंदिर निर्माण, निर्वाण महावीर का।
इतिहास प्रतीक धर्म एकत्व का,
मंगल लग्न रामभक्ति, कृष्ण कृपा का।
अर्थ इस उत्सव का दे संदेश समभाव।

हर समाज वर्ग के अंतः में, सबके,
दीप उजास करें समान, हों आत्मिक,
ज्योति से मुदित सभी, संपन्न विवेक से,
जग हितैषी हों…यह प्रेम मिलन।
पर्व हर देश, काल, विचार संगीत हो,
सतत विजय – श्री आत्मज्ञान की सर्वत्र।

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

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  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — दीपावली महापर्व आत्मिक साधना के लिए सबसे सर्वोत्तम दिन होता है, इस दिन हम सभी को अपने आत्मिक उत्थान के लिए सच्चे मन से साधना करना चाहिए। शुभ दीपावली प्रकाश पर्व के इतिहास का वर्णन किया है, जैसे – प्रयाण दिवस स्वामी रामतीर्थ का, सिख मंदिर निर्माण, निर्वाण महावीर का।

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यह कविता (दीपावली : आत्मिक आनंद उत्सव।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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राष्ट्रीय एकता दिवस।

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    • ♦ राष्ट्रीय एकता दिवस। ♦
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♦ राष्ट्रीय एकता दिवस। ♦

“राष्ट्रहित में आत्मानुभूति”

एकल व्यक्तित्व धारक, कृषक पुत्र,
भाव में अन्नदाता सम जो रहें।
काल आपदा प्लेग को कर पराभूत,
आते पुनः भरत जन – सेवा में, सहज।
भावी वह…… सेवा मंत्र संगी…… ॥

अद्भुत प्रतिमा हैं एकता मूर्ति,
सच्चे सपूत माँ भारती के,
समर्पित आम जन को, सर्वस्व जिनका।
मात्र वह हैं लौह – पुरूष नहीं, स्वर्ण मना,
निर्माता भारत सह – अस्तित्व के…॥

राजनीति की सदा एकत्व की,
एकाकार जो हर स्वदेश जन,
से, हैं संरक्षक संत जो समरस,
भारत के, अरूचि जिन्हें, सदा॥

महत् आकांक्षा से, सरल सहज,
‘रहनि’ जिनकी, सच्चे सरदार।
वह ‘बारदोली सत्याग्रह’ के, कर,
आत्म – दान, दिया हर रंग स्वदेश को।
अंतर्धान हुआ समेकन – कर्ता॥

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

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  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — राष्ट्रीय एकता दिवस 2014 से हर साल 31 अक्टूबर को सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के द्वारा देश की एकता के लिए किए गए योगदान को याद करते हुए राष्ट्रीय एकता दिवस हर भारतीय दिल से मनाता है। देश की एकता के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के द्वारा किए गए कार्य को समझाया है।

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यह कविता (राष्ट्रीय एकता दिवस।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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ध्यान – साधना करवा चौथ में।

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    • ♦ ध्यान – साधना करवा चौथ में। ♦
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♦ ध्यान – साधना करवा चौथ में। ♦

विचार के मुक्ताकाश विचरण में,
मैं और तुम सदा समभाव संगी।
हम एक हृदय, आत्म-भावी पथिक,
हैं ज्ञात तुम्हें है, प्रेयसी तुम्हारी।

क्षीणकाय, जा रही बार्धक्य दिश,
बोले डाक्टर,” गुर्दे तुम्हारे अस्वस्थ।
निर्जल – व्रत है शत्रु वत् उसके हित,”
धर्म की परिभाषा बदल रही सतत।

परंपरा होती परिशोधित पर्यावरण से,
मेरा आज है मानस का ध्यान – व्रत।
प्रार्थना तुम्हारे दीर्घ जीवन की, हर,
क्षण, तुम्हारी आत्मोन्नति ही एक।

नव अनुभूति है, न होना तुम,
म्लान-मुख, सम्यक् ध्यान, प्रार्थना।
की शक्ति उच्चतर है, हूं, अव्रती,
मैं आज, निज स्वास्थ्य हित में।

ध्यान ध्वनि से परम प्रबुद्ध तुम,
शुभकामना करवा चौथ की।

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

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  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — करवा चौथ व्रत के दौरान अपनी अंतर साधना के लिए उपयुक्त समय होता है। करवा चौथ के व्रत को एक सामान्य व्रत की जगह साधनामय दिन की तरह व्यतीत करें। अपने आंतरिक सुषुप्त आंतरिक शक्तियों का स्मरण कर उन्हें जागृत करें। इन आंतरिक शक्तियों का उपयोग कर जीवन के हर क्षेत्र में विकास करें।

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यह कविता (ध्यान – साधना करवा चौथ में।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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अम्बे शुभ प्रभात।

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    • ♦ अम्बे शुभ प्रभात। ♦
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♦ अम्बे शुभ प्रभात। ♦

शुभ प्रभात, माँ ब्रह्मचारिणी,
पूजन जननी श्वेताम्बरा का।
युग प्रेरणा माँ तपस्विनी,
स्वयंप्रभा प्रिय स्वरूप इक।
हाथ जपत माल, बाम धरें॥

कमंडल, करें ज्ञान-विज्ञान,
साहित्य संवर्धन सतत।
नवदृष्टि जागृत करें,
तप: जल से मात।
प्रक्षालित करें, नव-मानव,
हृदय को……॥

तत्वज्ञान नि:स्वार्थ सेवा,
का दें भाव आज मात।
फल आराधन का, तप,
त्याग, वैराग्य, सदाचार।
संयम दें, लें अर्घ्य में,
स्वार्थ, मोह हर भारत,
समूह का……॥

नाम जिनका अपर्णा,
अशन करें धरा।
स्पर्शी बेलपत्र, निज
दुष्कर तप का।
लघु अंश दान करें,
माँ, युवा वर्ग चेतना को॥

तपबल से, अम्बे के
जीती भरत कन्याएं।
दृष्टि से अम्बे दें,
आशीष, जीवन।
निर्माण का, राष्ट्र सेवा,
से हों ऊर्जा भावित,
वे आज……॥

मुझे दो कमंडल, मैं,
इक सेविका आपकी।
ले खड्ग हाथ, विनाश,
कर कामना, असंयम,
अहंकार……॥

अम्ब ब्रह्मचारिणी,
तप भाव करें, संचार दें।
विवेक, कल्याण दीक्षा मंत्र,
इस महोत्सव को, लक्ष्य,
प्रेरित रखें सदा……॥

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

—————

  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से महानवरात्रि व माँ ब्रह्मचारिणी के बारे में बताने की कोशिश की है— महानवरात्रि के दूसरे दिन पूजा माँ ब्रह्मचारिणी स्वीकार करें। हे माँ तत्वज्ञान नि:स्वार्थ सेवा का दें भाव आज मात। फल आराधना का तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार संयम दें माँ। लें अर्घ्य में, स्वार्थ, मोह हर भारत, समूह का। माँ ब्रह्मचारिणी का आओ हम सब मिलकर पूजन करें।

—————

यह कविता (अम्बे शुभ प्रभात।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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