Kmsraj51 की कलम से…..
♦ International Women’s Day ♦
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
KMSRAJ51.COM — परिवार की तरफ से नारी शक्ति को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की तहे दिल से शुभकामनाएं।
“नारी एक, रूप अनेक”
जब से पैदा हुई हूं नारियों के महत्व, उनकी दुर्दशा और उनके सुधार के बारे में ही पढ़ती और सुनती आ रही हूं। हैरानी और दुख इस बात का है कि उम्र के तीन दशक बीत जाने के बावजूद वो बदलाव नहीं दिखता जिसकी अपेक्षा थी।
तब लगता था कि हमारे बड़े होने तक सब बदल जाएगा, लेकिन अब लगता है कि मेरी बेटी के बड़े होने तक भी सब कुछ नहीं बदलेगा। हालांकि बदलाव तो आया ही है, लेकिन बहुत धीमी गति से।सुना है पहले भारत मे स्त्री को देवी का दर्जा प्राप्त था।लेकिन देवी का दर्जा इंसान को देने की जरूरत नहीं, उसे बस बराबरी और समानता का ही दर्जा चाहिए।
नारी के कई रूप हैं जो समय-समय पर प्रदर्शित होते हैं। सुनने में कड़वा लग सकता है लेकिन इन सभी रूपो में और विभिन्न नारियों में भी घोर विरोधाभास है। आइए उन्हें विभिन्न रूपो में देखते हैं।
• बेटी के रूप में •
बेटी के रूप में ज्यादातर लड़कियां विनम्र और आज्ञाकारी ही होती हैं। जो माता पिता को चोट नहीं पहुंचाना चाहती। उनकी खुशी और सम्मान के लिए छोटी बड़ी कुर्बानियां देती रहती हैं, वो भी बिना जताए। माता पिता के त्याग और मजबूरियों को समझती हैं।
हालांकि अब माता पिता के उदार होने के बाद बेटियों का एक ऐसा वर्ग भी तैयार हो गया है, जो माता पिता को पिछली पीढ़ी का मानकर उनकी बात को कम महत्व देता है। ऐसी बेटियां भी देखी हैं मैंने जो माता-पिता से झूठ बोलकर उन्हें धोखा देती हैं, घर से बिना बताए भाग जाती हैं और पुलिस के पास शिकायत करती हैं कि उनकी जान को अपने माता पिता से ही खतरा है।
• बहन के रूप में •
बहन भी आमतौर पर सपोर्टिव ही होती है अपने भाई-बहनों के लिए। हमारे समय मे तो भाई-बहन एक दूसरे की चीजें जरूरत पड़ने पर बिना पूछे ही शेयर करते थे। यहाँ तक कि जन्मदिन पर मिलने वाले उपहार भी जरूरत के हिसाब से बंट जाते थे। खुद चाहे कितनी भी लड़ाइयां हो, बाहर वालो के सामने अपने भाई बहनों के विरुद्ध एक भी बात नहीं सुनी जाती थी।
थोड़े बड़े होने पर तो भाई-बहन ही सबसे बड़े दोस्त बन जाते थे। बड़े होने पर ज्यादातर शादी के बाद हालांकि कई बार देखा कि भाई-बहन, बहन के रिश्ते भी तल्ख हुए। उनके बीच भी प्रतियोगिता की भावना आ गयी। उसमे बहने भी पीछे नहीं रही।सबके अपने अपने अहम। इसी अहम की वजह से वे कारण ढूंढ-ढूंढ कर एक दूसरे को नीचा दिखाने लगे।
• माँ के रूप में •
माँ का दर्जा तो हमेशा से बाकी सबसे ऊपर रहा है। गर्भ में बच्चे के आने के साथ ही उसका जीवन बच्चे के हिसाब से चलने लगता है। यही स्थिति तब तक चलती है, जब तब बच्चे उसके साथ रहते हैं। चाहे वे कितने भी बड़े क्यों ना हो जाए। वास्तविकता यही है कि अगर जीवन मे कोई निःस्वार्थ भाव से, बिना प्रतिफल की उम्मीद किये कुछ करने वाला है – तो वो सिर्फ माता-पिता ही हो सकते हैं। बाकी सारे रिश्ते तो बराबरी के हैं। सच है माँ जैसा कोई नहीं।
• दोस्त के रूप में •
दोस्त के रूप में भी नारी अनेक मिसाल कायम करती हैं। हालांकि ये भी कहा जाता है दो लड़कियां कभी अच्छी दोस्त नहीं बन पाती, क्योंकि उनके बीच प्रतिस्पर्धा आ जाती है। हालांकि ये पूर्णतया सत्य नहीं है। लड़की-लड़की की और लड़की-लड़के की दोस्ती भी पवित्र और निश्छल होती है।
• पत्नी के रूप में •
पुराने जमाने मे तो पत्नी पति की दासी बन कर ही रहती थी। लेकिन अब वो सही मायने में सहधर्मिणी, हमसफ़र, सलाहकार और दोस्त होती है। अब वो सिर्फ खाना बनाने, बर्तन कपड़े धुलने, घर की सफाई करने तक ही सीमित नहीं है। घर की प्रगति में प्रत्यक्ष रूप से उसका योगदान है।
वो बच्चो की ट्यूटर और प्रशासक भी है। वो पूरे घर और रिश्तों को खूबसूरती से मैनेज करती है। अब वो दुसरो का ध्यान रखने के साथ ही अपना भी ख्याल रखती है। अपनी गृहस्थी के लिए छोटे-मोटे अनेक त्याग करती है, जिसकी गिनती भी आमतौर पर नहीं होती।
• प्रेमिका के रूप में •
कितनी ही ऐसी लड़कियां हैं जिन्होंने प्रेम को पराकाष्ठा पर पहुंचाया और अपने प्रेमी का सबसे बड़ा सम्बल और प्रेरणा बनी। हालांकि आज ऐसी प्रेमिकाओं की भी कमी नहीं है जो मतलब से जुड़ी हैं।
• सास के रूप में •
सास भी माँ का ही रूप होती है। लेकिन ज्यादातर मामलों में सास बनते ही उनका स्वरूप बदल जाता है। वे दोहरा व्यवहार करने लगती हैं। बहू उन्हें अपनी प्रतिस्पर्धी नज़र आने लगती है। हालांकि ऐसा एकतरफा तो होता नहीं।
• बहू के रूप में •
बहू भी एक आम लड़की ही होती है। लेकिन भावनाएं नहीं जुड़ पाने की वजह से वो कभी ससुराल में बेटी नहीं बन पाती। सास बहू दोनों के मन मे ही भावनाएं होती हैं कि हम सास बहू हैं। इसीलिए रिश्ते उतने आत्मीय नहीं बन पाते।
• ननद, जेठानी, देवरानी के रूप में •
होना तो चाहिए कि हम उम्र और एक ही पीढ़ी के होने की वजह से ये दोस्त बन कर रहें। लेकिन ऐसा आमतौर पर होता नहीं और वे एक दूसरे की दुश्मन और प्रतिस्पर्धी बन जाती हैं। जहाँ उनका मकसद एक दूसरे को नीचा दिखाना भर रह जाता है।हालांकि अच्छे की भी कमी नहीं है दुनिया में।
♦—— सार ——♦
लोग महिला दिवस पर इस तरह के आलेख की उम्मीद नही करते, लेकिन महिलाएं भी इंसान ही होती हैं। वे भी अच्छी बुरी दोनों तरह की होती है। सबमे कुछ अच्छाईयां और बुराइयां होती हैं।
नारी ही नारी की दुश्मन और नारी ना मोहे नारी के रूपा, ऐसे ही नही कहा जाता है।लड़कियों को उच्च शिक्षा से रोकने वाली, शादी के लिए लड़की देखने जाने पर ढूंढ-ढूंढ कर नुक़्स निकालने वाली, शादी के बाद बहू और उसके लाए सामान में कमियां निकालने वाली ज्यादातर स्त्रियां ही होती हैं, पुरुष नहीं। लेकिन ये उनकी असुरक्षा की भावना का परिचायक होता है।
स्त्री अपने आदर्श रूप में त्याग, प्रेम, क्षमा, सहनशीलता की ही मूरत होती है। आज अगर वो बदल रही है(कभी कभी नकारात्मक रूप में भी) तो उसका ये स्वभाव अतीत में उस पर या स्त्री जाति पर हुए अत्याचारों का ही प्रतिफल है।
सार के रूप में, नारी को देवी मत बनाओ, उसे सामान्य इंसान ही बने रहने दो। लेकिन उसे हर रूप में प्यार, इज्जत और बराबरी का दर्जा दो। उसकी कमियों को भी सहजता से स्वीकार करो।
#अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
♦ स्वाति उपाध्याय – गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश ♦
- “स्वाति उपाध्याय जी” ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से नारी के कई रूपों का वर्णन किया है।
—————
अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें।
Please share your comments.
आप सभी का प्रिय दोस्त
©KMSRAJ51
———– © Best of Luck ® ———–
Note:-
यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Id है: kmsraj51@hotmail.com. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!
“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)