Kmsraj51 की कलम से…..
♦ पारिवारिक जीवन में कलेश का कारण। ♦
आज कल हर एक परिवार में कलेश, मन मुटाव, नोक झोक नजर आता है। चाहे वो इंसान झोपड़े में रहता है या फिर किसी राज हवेली में। कलह कलेश तो हर परिवार में होता ही रहता है। इसी कलह के कारण मनुष्य का जीवन खंडहर सा बन जाता है।
घर की सारी खुशियां खत्म होकर एक रेगिस्तान जैसा हो जाता है। वहां सिर्फ कटिले पौधे ही नजर आते है। जो अति तीखे और दर्द भरे होते है। आज मैं अपने लेख के माध्यम से कुछ ऐसी छोटी मोटी बातों को आपके सामने रखना चाहुंगा जिससे आपस में कलह का निर्माण होता है।
अगर घर में पारिवारिक शांति न मिले, घर में लोगों के आपस में रिश्ते अच्छे न हों, पारिवारिक सदस्यों में हमेशा मतभेद होता हो, लोग एक-दूसरे से उखडे़-उखड़े रहते हो, हर बात में विवाद होता हो तो यह सब गृह कलेश के कारण होता है। जब आपस में बात करने पर झगडे़ हों, एक-दूसरे की बात की विरोध करने की आदत बन जाए।
सास बहू में मनमुटाव
- अगर कोई बेटा अपने मां बाप के विरुद्ध प्रेम विवाह करके अपने घर आता है तो उस घर में अक्सर प्रेम भाव कम पाया जाता है। सांस बहू के बीच बात बात पर कलह होता रहता है। बहू के हाथो से बनाया खाना परिवार वालो को पसंद नहीं आता। अगर मजबूरन खाना खा भी लिए तो उस खाने में खोट निकालते फिरते है।की खाना में नमक ज्यादा था हल्दी तो डाली ही नहीं? तेल तो इतना डालती है कि सब्ज़ी के ऊपर पकोड़े तला जाय? अगर सासुं खाना बनाए तो बहू को पसंद नहीं आता। फिर तांडव घर में चालू हो जाता है।
- अगर सांसू मां टीवी में कोई धार्मिक कार्यक्रम देख रही हो उसी वक्त बहू आ कर अपना मनपसंद सीरियल लगा देती है जिस से सांसु मां का पारा गरम हो जाता है और बहू को उल्टा सीधा बोल देती है। बहू भी अपनी तीखी वाणी से मां को मूर्छित कर जाती हैं। और पति को आते देख मुंह फुलाके बैठ जाती हैं। मां अपने बेटे से और पत्नी अपने पति से एक दूसरे के गलती को तू तू मैं मैं कर बताते है। और फिर एक बार तांडव तीनों के बीच हो जाता है।
- घर का खाने पीने का सामान खत्म होने पर सास का ताने मारते हुए कहना। पहले तो राशन महीनों चलता था। जब से ये महालक्ष्मी आई है राशन तो हप्ता भर नहीं चलता। कितना खर्च करती है। जैसे इसका बाप अंबानी हो। बस यह सुनते ही बहू सीधे फूलन देवी का रूप धारण कर लेती है। और फिर एक बार तांडव चालू हो जाता है।
- अगर घर में रिवाज हो की औरते सुबह जल्दी उठकर घर का सारा काम कर, नहा धोकर पूजा पाठ करे, मिल जुलकर काम में हाथ बटाएं। अगर किसी कारण वश दोनों में से कोई एक जल्दी ना उठ पाए तो फिर देखिए घरों में बर्तन की आवाज हर तरफ सुनाई आएगी। रसोई से लेकर स्नान के कमरे तक फिर बाजू वाले घर तक और थोड़ी देर के बाद फिर एक बार तांडव चालू हो जाता है।
- अगर सांस ससुर को दिन में दो चार बार चाय पीने की आदत हो और चाय पीने का समय मालूम होने के बाद भी बहू अपने कामों में व्यस्त रहती है। फिर एक बार सांस की कती पिटी बात सुनने के लिए बहू अपना रुद्र अवतार देखा देती है और फिर एक बार तांडव चालू हो जाता है।
- सासू मां के रिश्तेदार घर पर आने पर, घर पर मेहमानों की खातिरदारी में अनेक प्रकार के व्यंजन बनाना, उनको घुमाने ले जाना, सिनेमा देखने जाना सभी होता है।अगर बहू के घर से कोई उनका अपना जैसे उनका भाई, बहन, मां परिवार आए तो उनकी मेहमान नवाजी में यह सभी नहीं हो, तो बहू को बहुत गुस्सा आता है। मेहमान के वापिस जाते ही फिर एक बार बातो ही बातो मे तांडव चालू हो जाता है।
- ऐसे ही अनेक उदाहरण हमारे पारिवारिक जीवन में आते रहते है। और जीवन में रोते रहते है लेकिन कभी खुद को और दूसरों को समझने का प्रयास नहीं करते। जब तक समझ नहीं पाएंगे। तब तक समझाना मुश्किल होता है। वास्तविकता क्या है। उसे समझ लिया जाय तो घर में कोई तांडव नहीं होगा।
पति पत्नी में तकरार
पति पत्नी के संबंधों के बीच में अक्सर तकरार होती रहती है। कभी कभी ये छोटी सी तु तु मैं मैं एक भयंकर विनाशक रूप धारण कर बैठती हैं। सिर्फ दोनों की नासमझ के कारण।
- अगर पति अपने किसी काम से घर में व्यस्त हो और पति का फोन मेज पर रखा हो, उसी वक्त किसी का फोन आता है। पत्नी देखती है। की उसमे किसी लड़की के चित्र के संग फोन आ रहा है। पत्नी फोन को बिना उठाए चली जाती है। संग अपने दिमाख में एक शक लेकर अपने कमरे में जाती है। ये शक हमेशा उसके नजरों के साथ होता ही। धीरे-धीरे उसे हर बात पर शक होने लगता है। एक देर रात फिर से फोन आता है। पत्नी बिना सोचे समझे फोन को तोड़ देती है। और दोनों में रात भर तकरार होने लगती है। फिर एक बार तांडव चालू हो जाता है।
- सोचने वाली बात यह है कि पत्नी को पति से पूछना चाहिए था। की फोन किसका आया है। कौन है क्या है। हो सकता है वो लड़की उसकी दोस्त हो। या फिर दफ्तर की कोई अधिकारी हो। पहले पता करना चाहिए था फिर तांडव करना चाहिए। इसी तरह के छोटी सी बात का बतंगा बनाकर हम अपने जीवन में कलेश पैदा करते है।
- महीने की तनख्वाह मिलते ही बेटा अपने मां के हाथों में सारी पगार दे देता। जब भी जरूरत होती। अपने मां से मांग लेता। लेकिन पत्नी को यह अच्छा नहीं लगता और बात-बात पर ताना कसा करती। यह सुन कर सांस भी तू तू मैं पर उतर आती। रात को फिर बिस्तर पर पति पत्नी का तांडव चालू हो जाता।
- यहां सोचने वाली बात यह है अगर बेटा अपनी पगार, अपने मां के हाथों में देता है तो क्या ग़लत करता है। इसमें तू तू मैं मैं करने को कोई बात नहीं। सिर्फ समझदारी और सोचने की बात है कि गलत क्या है। क्योंकि जहां समझ नहीं वहीं कलेश निर्माण होता है।
♦ अजय नायर जी – कोच्चि, केरल ♦
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• Conclusion •
- “अजय नायर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — चाहे पति पत्नी में तकरार की बात हो या फिर सास बहू में मनमुटाव की बात हो, अगर प्रेम से सोच समझकर एक दूसरे का सम्मान व आदर करते हुए बात व कर्म किया जाये तो तकरार न के बराबर होगा परिवार में। परिवार के सभी सदस्यों को एक दूसरे से सम्मान पूर्वक बात करना चाहिए। सभी कार्यो को मिल जुलकर कर लेना चाहिए, जिससे जो भी कार्य हो सके जरूर करना चाहिए। अगर समझदारी पूर्वक सभी एक दूसरे को समझे तो जीवन में कभी भी तकरार नही होगा, और जीवन में खुशी ही खुशी होंगी।
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यह लेख (पारिवारिक जीवन में कलेश का कारण।) “अजय नायर जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम अजय नायर है। मैं एक प्राइवेट मल्टीनेशनल कंपनी में पब्लिक रिलेशन ऑफीसर के पद पर चेन्नई में कार्यरत हूं। मुझे लिखने का शौक बचपन से रहा। १५ (15) वर्ष की आयु में हमने पहली कविता “दोस्त” इस नाम से लिखी जो पहली बार अखबार में प्रकाशित हुई। तब से आज तक करीबन ३५०० (3500) से अधिक कविता / गजल/ बाल कविताएं/ शेरो शायरी लिखी है। जो की भारत के सभी अखबारों में अब तक प्रकाशित हुई है। साहित्य संगम संस्थान के सभी मंचो से हमें श्रेष्ठ रचनाकार, श्रेष्ठ टिप्पणी कार, श्रेष्ठ विषय प्रवर्तक आदि सम्मानों से सम्मानित किया गया है। काव्य गौरव सम्मान, कलम वीर सम्मान, गौरव सम्मान, मदर टेरेसा सम्मान, बेस्ट ऑथर सम्मान, आदि सम्मान अलग अलग साहित्य जगत से प्राप्त हुआ है। हमारी पहली शेरो शायरी की पुस्तक का प्रकाशन संकल्प पब्लिकेशन द्वारा २०२१ (2021) में हुआ है। जो की सरल सुगम हिंदी भाषा में लिखा हुआ है।
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