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KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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प्रो. मीरा भारती जी की कविताएं।

भारत संस्कृति में पिता।

Kmsraj51 की कलम से…..

Table of Contents

  • Kmsraj51 की कलम से…..
    • ♦ भारत संस्कृति में पिता। ♦
      • आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
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      • “सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

♦ भारत संस्कृति में पिता। ♦

पंचतत्व आलेख हैं, पिता ईश आशीष।
संतति में सद्गुण रचें, जैसे पुष्प शिरीष।

शिल्प से माटी सजती, करती आतप-स्नान।
पुत्र चरित गुण गान में, देखें पितु अवदान।

पुत्र हित पुरुषार्थ करें, बनें ज्ञान साकार।
सिद्धि संतति लाभ मिले, पिता करें आचार।

अद्भुत मानव मूर्ति है, विधना का वरदान।
पितु चरणों की वंदना, करते धर्म महान।

पित्तृ-आत्म की ज्योति से, होता मनु कल्याण।
सूक्ष्म रूप निर्देश दें, कहते वेद पुराण।

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

—————

  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — मेरे जीवन के अमूल्य व्यक्ति मेरे पिताजी ने हमेशा मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। उनकी दी हुई शिक्षा हर कठिन घड़ी में मेरा मार्ग प्रशस्त करती है। आज पितृ दिवस के शुभ अवसर पर मैं उनके चरणों में प्रणाम करती हूं।

—————

यह कविता (भारत संस्कृति में पिता।) “प्रो• मीरा भारती जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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वाणी वंदना।

Kmsraj51 की कलम से…..

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    • ♦ वाणी वंदना। ♦
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      • “सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

♦ वाणी वंदना। ♦

शारदा मां, हंसासिनी,
मन वाणी शुभ कर्म।
अवसर सेवा देना,
मां सत्य ज्योति देना।

देवांगना सुहासिनी,
ध्वनि रस मनोभाव।
कला का विन्यास देना,
त्याग सत वृत्ति देना।

ध्यायिनी वीणा वादिनी,
अर्थ रमणीयता में।
दृश्य का विधान देना,
प्रीति सुकाज देना।

सत्यज्ञानी सुभाषिनी,
देश सेवा मंत्र देना।
भाव कला शब्द शैली,
नीति संगति देना।

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

—————

  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — शारदा मां के गुणों और शक्तियों का वर्णन किया है। मां से प्रार्थना कर रही है मन, वाणी व सुबह कर्म करने की शक्ति देना, मन में हो सदैव सेवा भाव, सत्य की ज्योति सदैव ही जलती रहे मन में मां। वाणी में मधुरता देना व कला का गन विन्यास देना, त्याग सत वृत्ति देना मां मुझे। मेरी आँखे हमेशा कल्याणकारी शुभ ही देखे ऐसी शक्ति देना मां। मेरे मन के अंदर सदैव ही अपनी जननी मातृभूमि की सेवा का भाव देना मां। मेरी संगती अच्छी हो, नियमित व संयमित जीवन हो मेरा ऐसा आशीर्वाद देना मां।

—————

यह कविता (वाणी वंदना।) “प्रो• मीरा भारती जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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मित्रता से मैत्री।

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    • ♦ मित्रता से मैत्री। ♦
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♦ मित्रता से मैत्री। ♦

मित्र, जैविक-देह में ह्रदय सम सुहृद है,
जग-जीवन में है, मङ्गलमय सह-पथिक।
देता मनोबल, साहस, प्रेरक, क्षेमद है,
जिसका सुखद साथ अनुभूति विशद है।

तरणि सत्य मित्र, सुभग तरिणी निदेशक,
स्वीकृत संबंध है, विशेष आधार चतुर्दिक।
सहयोग, साहचर्य परस्पर आस्था मानक,
इक दूजे के स्वतंत्र मन से बनें साधक।

दुःख में स्नेह-सांत्वना से करता अभिषेक,
सुख में शुभैषणा दर्शाता वह भावांजलि से।
मन की नेकी के साथ वे चिंतन समता रखें,
सखा-संग है, मन संगीत, मिले प्रेमांजलि से।

दो मित्र सरल उत्तमता से भावित हों,
इक-दूजे के गुण-चरित के भक्त हों।

जब मित्रों के परस्पर गुण से हो श्रृंगार,
सहज गहन मैत्री, होती जग में प्रकट है।
सक्रिय करुणा है, यह अनमोल सुअवसर,
है, मानव के स्व की असीम खिलावट है।

मित्रता होती मानव की पर्यावरण से।
ईश से भी होती सखा-भाव भक्ति है।
मित्रता में, मैत्री का है, सूक्ष्म अंतर्भाव,
वह समग्र ब्रह्माण्ड से शुभ प्रीति है।

जो चर-अचर में स्व-आत्म को दरशें,
मित्र-भाव होवे, जग मैत्री में विलय।
हर मन के दुर्गुण को करता तिरोहित,
मनु-जीवन हो असीम आनंद निलय।

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

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  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — इस पृथ्वी पर सबसे अच्छा रिश्ता मित्रता का रिश्ता होता है, क्योकि मित्रता का रिश्ता हम खुद बनाते है, बाकि सभी रिश्ते तो जन्म के साथ ही मिल जाते है। कहा गया है कि 50 मित्र बनाने से अच्छा है की एक ही मित्र से 50 वर्षों तक अच्छे से रिश्ता बनाये रखना। एक अच्छा और सच्चा मित्र सदैव ही अपने दोस्त का कल्याण करता हैं। एक सच्चा और अच्छा मित्र हरेक परिस्थिति में शांत रूप से सदैव साथ निभाता हैं।

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यह कविता (मित्रता से मैत्री।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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मेरा नाम मीरा भारती (मीरा मिश्रा/भारती) है। मैंने BRABU Muzaffarpur, Bihar, R.S College में प्राध्यापिका के रूप में 1979 से 2020 तक सक्रिय चिंतन और मनन, अध्यापन कार्य किया, आनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वर्तमान में भी जुड़ी हूं, मेरे द्वारा प्रशिक्षित बच्चे लेखनी का सुंदर उपयोग किया करते हैं। मैंने लगभग 130 कविताएं लिखी है, जिसमें अधिक प्रकाशित हैं, कई आलेख भी, लिखे हैं। दृढ़ संकल्प है, कि लेखन और अध्यापन से, अध्ययन के सामूहिक विस्तारण से समाज कल्याण – कार्य के कर्तृत्व बोध में वृद्धि हो सकती है। अधिक सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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माँ सरस्वती वंदना।

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    • ♦ माँ सरस्वती वंदना। ♦
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♦ माँ सरस्वती वंदना। ♦

आदि ब्रह्मा की शुक्लाम्बरा,
कन्या हैं, माँ शारदा आप।
वेद-धर्म में है नारी सशक्त,
युग विचार की संविदा आप।
ब्रह्म-विद्या की वरदा हैं आप।

पितामह संकल्प से सिरजें,
जंगम-स्थावर जीव अनेक।
मौन, उदास थे उनमे हरेक।
अभाव-तम में ज्योति आप।

ब्रह्मा, विष्णु ने की स्तुति, वह
परावाणी हैं, माँ शारदा आप।

सब दिश तिमिर घनघोर था,
सारहीन, जैसे मृत शरीर था।
विष्णु-आह्वान से आदि-मूल,
ज्योति-पुंज प्रकट होती माँ।
शब्द – रूपा शारदा आप।

श्वेतवर्ण तेजस्विनी, हैं दिव्य,
मातृरूप हैं तपस्विनी आप।

मातृ – वीणा करे जो मधुर-नाद,
वीणा-राग लाती है मधुर संवाद।
आप बनाती पशु से मनु-ज्ञानी,
वाद-प्रतिवाद जन्म देकर माँ।
साधक को दें आत्मज्ञान आप।

मुस्कान में उल्लास, पुस्तक में,
ज्ञान, माला है सत-वृत्ति दानी।
हंस सौंदर्य, मधुर स्वर प्रतीक,
जन-मन को करें समर्थ तन्मय।
छंद-रस से बनाती सिद्ध आप।

बनती जल-धार, पवन-वेग में,
भाव संग ओजस्विता दामिनी।
प्रज्ञा, बुद्धि, क्षमता के दान से,
बनीं जन-हित मंत्र-उच्चारिणी।

संगीत, कला में भाव संचारिणी,
मुक्तहस्त समभाव दानी आप।

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

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  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — ज्ञान और बुद्धि के बिना ये जीवन किसी काम का नहीं। ज्ञान, बुद्धि की देवी अपनी कृपा व करुणा का संचार कर हम पर, हे माँ तुम्हारी करुणा बड़ी अपरम्पार है। मां शारदे की महिमा से अछूता न कोई मनुष्य है, मां के रूपों में ही छुपा हुआ पूर्ण जग संसार है। उन्हीं के चरणों में ज्ञान का भंडार है, विद्यादायिनी मां से आज रज है हमारी। मां शारदे वर दे तू अपने ही रंग में रंग दे। जो नकारात्मक प्रवृतियों से सकारात्मकता का कराए सदैव भान, पुस्तक ही बस एक नाम। जो निरस जीवन में सरसता का, रंग भरती, वीणा ही वो सरगम। स्फटिक माला दर्शाती वैराग्य और ध्यान बिन, न मिलता संपूर्णता का है भाव। अपनाने के लिए तो बहुत है मगर, कल्याणकारी अपनाने की कला हंस है सिखलाता। कीचड़ में ही कमल है खिलता, अर्थात: सर्व विघ्न से न्यारे व पवित्र, कोमलता और सुंदरता का क्या अनुपम सार है। वीणापाणी मां के सर्वस्व संरचना में, सबक बहुत बेहिसाब है। आओ हम सब मिलकर सच्चे मन से माँ की वंदना करे।

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यह कविता (माँ सरस्वती वंदना।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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तकनीक गंगा प्रवाह।

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♦ तकनीक गंगा प्रवाह। ♦

कोरोना संकट के दो वर्ष, सतत करें शिक्षण संघर्ष,
ई-शिक्षा सहज हो, शिक्षा विवेक को दे सतत प्रकर्ष।

शिक्षा को अवसर में बदलें, प्रयास हो रहे अपर्याप्त,
पाठ्यक्रम असमान, अंतर्जाल-गति, तकनीक अशक्त।

तन-मन स्थिति पर विपरीत असर, दैनिक नियम चलें सुस्त,
छात्र-शिक्षक नहीं सम्मुख, तो रहे न चेतन-ज्ञान स्वानुभूत।

ई -शिक्षा सदी 21, करे गुणवत्ता बेंचमार्क, गुणवत्ता तंत्र मांग,
कौशल-संग प्रयास, बाधा-पर्वत झुकें, नव-तकनीक सप्तरंग।

एक भी छात्र वंचित, तो तकनीक माध्यम होगी विफल,
वर्ग द्वार खुले, पर हो ऑनलाइन शिक्षा सुगम औ सरल।

वायु, जल, संचेतना सम, तकनीक सद्भाव से हो वितरित,
उच्च तकनीक जन-मन में, हो मलय पवन-सा विस्तारित।

♦ प्रो• मीरा भारती जी – पुणे, महाराष्ट्र  ♦

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  • “प्रो• मीरा भारती जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से बताने की कोशिश की है — क्या पिछले कुछ समय समय से कोरोना संकट के दो वर्ष ई-शिक्षा के माध्यम से जो शिक्षा दिया जा रहा है, वह नई पीढ़ी के के लिए बहुत बड़ा संकट तो नहीं बनने वाला हैं? क्योंकि स्कूली शिक्षा का वातावरण ना मिलना और प्रैक्टिकल गतिविधि के ना होने से बच्चे प्रैक्टिकल रूप से कमजोर हो जायेंगे। ये सोचने का विषय है। बच्चों को स्कूली शिक्षा का वातावरण मिलना इसलिए जरूरी है… शिक्षण व शिक्षा ऐसा हो जिससे मानसिक रूप से हर बच्चा शक्तिशाली बने। मानसिक रूप से हर बच्चा इतना शक्तिशाली बने की जीवन के हर उतार चढ़ाव में मन से स्थिर रहे, उसे कोई भी समस्या विचलित न कर सके। कोई उसकी बुराई करे तो उसके मन पर किसी भी तरह का नकारात्मक असर न पड़े। चाहे घर हो या स्कूल कोशिश यही हो सभी की, की बच्चों को हर जगह सकारात्मक वातावरण मिले। बच्चों को जैसा वातावरण मिलता है बच्चे वैसे ही बनते है, आपके अच्छे व बुरे संस्कार और आदतों का बच्चों के मन पर बहुत असर पड़ता है। बच्चें कच्चे मिट्टी के घड़े के समान होते है, उन्हें जैसे और जिस तरह से ढाला जाये वो ढलते जायेंगे।

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यह कविता (तकनीक गंगा प्रवाह।) “प्रो• मीरा भारती जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं से नई पीढ़ी को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, प्रो. मीरा भारती जी की कविताएं।, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: e learning in hindi, mira bharti poems, poet mira bharti, ऑनलाइन शिक्षा, ऑनलाइन शिक्षा पर कविता, ऑनलाइन शिक्षा पर कविता - kmsraj51, कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा पर कविता, कोरोना संकट के दो वर्ष ई-शिक्षा, तकनीक गंगा प्रवाह, मीरा भारती की कविताएं

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