Kmsraj51 की कलम से…..
♦ अमृत महोत्सव। ♦
लिख गये आज़ादी जो भारत के भाल पे।
नायक थे वो ही तो भारत महान के।
बहती थीं नदियाँ दूध की, खुशहाल देश था,
दंगे न झगड़े न कोई क्लेश था।
समृद्ध थे घर गाँव सभी, भरपूर धान्य था,
हँसी थी ख़ुशी थी न दुख का लेश था।
आ गये लुटेरे यहाँ कुदृष्टि डाल के..
लिख गये आज़ादी……।
आये थे जो व्यापार को, सरकार हो गये,
अतिक्रमण उनके फिर आम हो गये।
दानव थे मानव वेष में, कलुषित स्वभाव था,
स्वदेश में ही हम गुलाम हो गये।
बढ़ने लगे जुल्म सब लोग बेहाल थे।
लिख गये आज़ादी……।
खंडित हो गयीं धरोहरें, मन्दिर टूट गये,
दूषित हमारे सब धाम हो गये।
धानी आँचल ओढ़ कर जो झूमती थी धरा,
रक्तरंजित वो खलिहान हो गये।
विचलित हुए देश के सब नौनिहाल थे।
लिख गये आज़ादी जो……।
ये देख आज़ादी के दीवाने मचल पड़े,
थाम ली हिन्द की मशाल हाथ में।
कहीं से आज़ाद कहीं भगत सिंह निकल पड़े।
आ गयीं वीर बालाएँ साथ में।
नमन उन्हें जो बलिदानी बेमिसाल थे।
लिख गये आज़ादी……।
कितने लाल बिछड़ गये सुहाग,
उजड़ गये, रो पड़ी भारती सपूत सो गये।
किन्तु रुका नहीं फिर क़ुर्बानियों का सिलसिला,
बीज क्रान्ति के वो ऐसे बो गये।
नमन उन माँओं को ये जिनके लाल थे।
नायक थे वो ही तो भारत महान के।
लिख गये आज़ादी……।
मना रहे हैं महोत्सव आज जिनके त्याग से
वन्दनीय वे सभी नाम हो गये।
शत शत प्रणाम भारती के हर शूरवीर को,
गाँव उनके तीरथ धाम हो गये।
मिली आज़ादी जिनके प्रताप से,
नायक यही तो हैं भारत महान के।
लिख गये आज़ादी……।
♦ वेदस्मृति ‘कृती‘ जी – पुणे, महाराष्ट्र ♦
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- “वेदस्मृति ‘कृती’ जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — तहे दिल से नमन है माँ भारती के हर उन शूरवीर सपूतों को जिनके बलिदान के बदले हमे आज़ादी मिली। जो आये थे यहां व्यापार करने, व्यापार के बहाने हमे अपना गुलाम बनाकर खूब मनमानी किया। उन्होंने हम पर बहुत ही निर्दयता पूर्वक अत्याचार किया, और हमें खूब लुटा। हमें कभी भी नहीं भूलना चाहिए उन शूरवीर सपूतों के बलिदान को, जिनके बलिदान के बदले हमे आज़ादी मिली। शत-शत नमन है उन वीर सपूतों की जननी को जिन्होंने अपने लाल को माँ भारती की रक्षा के लिए ख़ुशी – ख़ुशी समर्पित किया। जय हिन्द – जय भारत।
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यह कविता (अमृत महोत्सव।) ” वेदस्मृति ‘कृती‘ जी “ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी मुक्तक/कवितायें/गीत/दोहे/लेख सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी दोहे/कविताओं और लेख से आने वाली नई पीढ़ी और जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूँ ही चलती रहे जनमानस के कल्याण के लिए।
साहित्यिक नाम : वेदस्मृति ‘कृती’
शिक्षा : एम. ए. ( अँग्रेजी साहित्य )
बी.एड. ( फ़िज़िकल )
आई• आई• टी• शिक्षिका ( प्राइवेट कोचिंग क्लासेज़)
लेखिका, कहानीकार, कवियित्री, समीक्षक, ( सभी विधाओं में लेखन ) अनुवादक समाज सेविका।
अध्यक्ष : “सिद्धि एक उम्मीद महिला साहित्यिक समूह”
प्रदेश अध्यक्ष : अखिल भारतीय साहित्य सदन ( महाराष्ट्र इकाई )
राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान बिहार प्रान्त की महिला प्रकोष्ठ,
श्री संस्था चैरिटेबल ट्रस्ट : प्रदेश प्रतिनिधि ( महाराष्ट्र )
अंतर्राष्ट्रीय हिंदी परिषद में – सह संगठन मंत्री, मुंबई ज़िला, महाराष्ट्र
हिन्दी और अँग्रेजी दोनों विधाओं में स्वतंत्र लेखन।
अनेक प्रतिष्ठित हिन्दी/अँग्रेजी पत्र – पत्रिकाओं में नियमित रचनाएँ प्रकाशित।
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