Kmsraj51 की कलम से…..
♦ भावनाओं से खिलवाड़ करते विज्ञापन। ♦
विज्ञापन जो किसी भी चीज के गुण को दर्शा कर उसकी बिक्री का साधन बनते थे। आज के कुछ विज्ञापन क्या सिखाना चाह रहे हैं ये पता ही नही लग पा रहा है। चंद पैसों की खातिर पता नही इन विज्ञापनों में क्या-क्या परोसा जा रहा है। जिनमें न तो भावी पीढ़ी के लिए संस्कार झलकते हैं और न ही कुछ ऐसा दर्शा पाते हैं जो किसी भी प्रकार से उपयोगी हो।
एक बीमे के विज्ञापन में भी एक औरत के हाल को इस प्रकार दर्शाया जाता है कि उसे बाइक पर बैठाकर ले जाया जा रहा है और वह गर्भवती है। उसका गर्भवती होना एक तरबूज से दर्शाया जा रहा है और एकदम से वो तरबूज गिराया जाता है। उसी समय फोन पे से बीमा एकदम कर दिया जाता है।
इस विज्ञापन को देखते हुए मुझें ये समझ नही आता कि क्या इस प्रकार के प्रदर्शन से इसकी सार्थकता कहाँ तक सिद्ध हो रही हैं।
इस प्रकार के विज्ञापन जो कि एक औरत के उस अनमोल लम्हें के प्रति खिलवाड़ करती है। जो उसे इस संसार में मातृत्व का सुख प्रदान करता है, और इस प्रकार से तरबूज के माध्यम से उसका गिरना न केवल उस औरत की मनोदशा पर आघात करता है जो इस प्रकार के दुखदायी समय से गुजरती है।
दूसरी बात भावी पीढ़ी में उस अवगुण को जाने-अनजाने दे जाती है जो उन्हें झूठ को अपनाकर अपने कार्य को सिद्धि प्रदान करते है।
एक उस औरत के दिल के मर्म को जानने की कोशिश मात्र से ही इन आँखों के कोर गीले हो जायेगे जिसने विवाह के कई साल तक इस मातृत्व का सुख न पाया हो।
इस प्रकार के विज्ञापन में तरबूज का गिरना भी शून्यहीन भावों को भर देता है जब मुस्कराना दिखाया जाता है। पहले तो इसमें एक गर्भवती के दुख को देखकर सब मदद को आयेंगे लेकिन दृश्य कुछ और ही होता है जब उस गर्भ रूपी तरबूज को गिराकर मुस्कराया जाता है।
कितना भाव-विहीन ये दृश्य लगता है क्योंकि असलियत में जब किसी भी कारण से किसी महिला को इन परिस्थितियों से गुजरना पड़े तो उसके दुख का सहज ही अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। गर्भपात इस प्रकार सरेआम सड़क पर किसी कारण से होता है तो उस महिला की पीड़ा को केवल वो और उसका सहयोग करने वाले ही समझ सकते हैं।
क्या इस सारे वृतांत को हटाकर इस विज्ञापन को दिखाते तो क्या इस बीमे की सार्थकता कम हो जाती?
आखिरकार इन विज्ञापनों के जरिये क्या परोसा जा रहा है। कुछ विचार कुछ चिंतन इन विषयों पर भी होना चाहिए कि हमें कुछ दिखाने के बहाने न जाने क्या-क्या दिखाया जा रहा। बहुत ही विचारणीय विषय है आओं मिलकर सभी विचार करें।
♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦
—————
- “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — विज्ञापन के नाम पर कुछ भी उलूल – जुलूल दिखाया जाता है, जिसका दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं होती है उस विषय से। आखिर क्यों उलूल – जुलूल विज्ञापन के माध्यम से नकारात्मक माहौल बनाया जाता हैं। एक उस औरत के दिल के मर्म को जानने की कोशिश मात्र से ही इन आँखों के कोर गीले हो जायेगे जिसने विवाह के कई साल तक इस मातृत्व का सुख न पाया हो।
—————
यह लेख (भावनाओं से खिलवाड़ करते विज्ञापन।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।
अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!
Please share your comments.
आप सभी का प्रिय दोस्त
©KMSRAJ51
———– © Best of Luck ®———–
Note:-
यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry, Quotes, Shayari Etc. या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!
“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)
____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं! ____