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“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

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विवेक कुमार जी की कविताएं।

मां के नव रुपों का दर्शन।

Kmsraj51 की कलम से…..

Table of Contents

  • Kmsraj51 की कलम से…..
    • ♦ मां के नव रुपों का दर्शन। ♦
      • आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
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    • आप सभी का प्रिय दोस्त
      • ———– © Best of Luck ®———–
    • Note:-
      • “सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

♦ मां के नव रुपों का दर्शन। ♦

मां की महिमा है बड़ी निराली,
उनके रूपों में दर्शन देती मां काली।
नवरात्रा में मां के नव रूपों के दर्शन को है मन खाली,
तरस रही अंखियां, बजा रही ताली।
मां के नव रूपों में रचा बसा जग संसार,
जगत जननी मां जगदम्बा तेरी महिमा अपरम्पार।

मां अपने प्रथम रूप में,
पहाड़ की बेटी शैलपुत्री का दरस दिखाती।
उच्चारित करें ॐ देवी शैलपुत्रयै नमः
मंत्र उनका, नंदी है वाहन जिनका।

मां अपने द्वितीय रूप में,
भक्ति और तपस्या की,
मां ब्रह्मचारिणी का भाव दिखाती।
उच्चारित करें ॐ देवी ब्रह्मचारणयै नमः
मंत्र उनका, रुद्राक्ष की माला सुशोभित करता जिनका।

मां अपने तृतीय रूप में,
राक्षसों का नाश करने वाली,
चंद्रघंटा का रौद्र रूप दिखाती।
उच्चारित करें ॐ देवी चंद्रघणटयै नमः
मंत्र उनका, बाघ है वाहन जिनका।

मां अपने चतुर्थ रूप में,
ब्रह्मांडीय अंडे की देवी का रूप दिखाती।
उच्चारित करें ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मंडायै नमः
मंत्र उनका, महाशक्ति का रूप है जिनका।

मां अपने पंचम रूप में,
मातृत्व और बच्चों की देवी,
स्कंदमाता का ममत्व दिखाती।
उच्चारित करें ॐ देवी स्कंदमातायै नमः
मंत्र उनका, शेर है वाहन जिनका।

मां अपने षष्ठ रूप में,
शक्ति की देवी कात्यायनी का दरस दिखाती।
उच्चारित करें ॐ देवी कात्यायन्यै नमः
मंत्र उनका, योद्धा चरण में दुर्गा है जिनका।

मां अपने सप्तम रूप में,
शुभता और साहस की देवी,
कालरात्रि का दरस दिखाती।
उच्चारित करें ॐ देवी कलरात्रयै नमः
मंत्र उनका, गधा वाहन है जिनका।

मां अपने अष्टम् रूप में,
सौंदर्य और महिलाओं की देवी,
महागौरी का आभास कराती।
उच्चारित करें ॐ देवी महागौरयै नमः
मंत्र है उनका, बैल है वाहन जिनका।

मां अपने अंतिम नवम रूप में,
अलौकिक शक्तियों की देवी की छवि दिखाती।
उच्चारित करें ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धादतयै नमः
मंत्र उनका, कमल का फूल वाहन है जिनका।
मां के रूपों में रचा बसा जब संसार,
जगत जननी मां जगदम्बा तेरी महिमा अपरम्पार।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — माता रानी के नव रूपों व गुणों का मनोरम वर्णन किया हैं। आज हम बात कर रहे हैं हमारे देश के सनातन धर्म (हिन्दू धर्म) द्वारा मनाये जाने वाले नवरात्रि त्यौहार की, इस त्यौहार को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्रि में लोग 9 दिन व्रत रखते हैं और आखिरी दिन मां की पूजा करके नौ कन्याओं को भोजन कराते हैं। यह त्यौहार अलग-अलग जगह पर अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। काफी जगह इस दिन लोग गरबा और डांडिया भी खेलते हैं। यह त्यौहार असत्य पर सत्य की जीत को दर्शाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि साल में दो बार मनाया जाता है। नवरात्रि नौ दिनों के लिए निरंतर चलता है जिसमे देवी माँ के अलग-अलग स्वरूपों की लोग भक्ति और निष्ठा के साथ पूजा करते है। भारत में नवरात्रि अलग-अलग राज्यों में विभिन्न तरीको और विधियों के संग मनाई जाती है।

—————

यह कविता (मां के नव रुपों का दर्शन।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं एक शिक्षक हूं। मुजफ्फरपुर जिला, बिहार राज्य का निवासी हूं। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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हिंदी मेरी जान।

Kmsraj51 की कलम से…..

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    • ♦ हिंदी मेरी जान। ♦
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♦ हिंदी मेरी जान। ♦

अभिव्यक्ति का माध्यम है हिन्दी,
दिल में प्रेम जगाती हिंदी।
जीवन सरस बनाती हिंदी,
हिंदी से ही है हमारी शान।
हिंदी ही हमारा अभिमान,
हिंदी मेरी जान, हम इस पर कुर्बान।

हिंदी से होती हमारी पहचान,
इससे बढ़ता राष्ट्र का मान।
हर क्षेत्र में अपना सिक्का जमाती,
लोगों के मन को है लुभाती।
भाव का करती संचार,
हिंदी मेरी जान, हम इस पर कुर्बान।

जो पूरे राष्ट्र को एकसुत्री धागा में है जोड़,
वो मजबूत डोर है हिंदी।
जन-जन की भाषा है हिंदी,
प्रेम भाईचारे का प्रतीक है हिंदी।
इतना बेमिसाल, जिसकी पहचान,
हिंदी मेरी जान, हम इस पर कुर्बान।

विशेषताओं से भरे भाषा का,
प्रसार जो होना चाहिए हुआ नहीं।
आओ मिलकर करें प्रचार,
हिंदी का करें खूब विस्तार।
मिलेगा इसे वाजिब हक और सम्मान,
हिंदी मेरी जान, हम इस पर कुर्बान।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — अभिव्यक्ति का माध्यम है हिन्दी, दिल में सदैव ही प्रेम जगाती हिंदी, जीवन सरस बनाती हिंदी, हिंदी से ही है हमारी शान। हिंदी ही हमारा अभिमान, वह हिंदी मेरी जान है, हम इस पर कुर्बान। जो पूरे राष्ट्र को एकसुत्री धागा में है जोड़ती वो मजबूत डोर है हिंदी। जन-जन की भाषा है हिंदी, प्रेम भाईचारे का प्रतीक है हिंदी। इतना बेमिसाल, जिसकी पहचान, वह हिंदी मेरी जान। विशेषताओं से भरे भाषा का, प्रसार जो होना चाहिए हुआ नहीं। आओ हमसब मिलकर करें प्रचार, हिंदी का करें खूब विस्तार। तब मिलेगा इसे वाजिब हक और सम्मान, हिंदी मेरी जान, हम इस पर कुर्बान। 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा ने देवनागरी लिपि में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया। पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर, 1953 को मनाया गया था।

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यह कविता (हिंदी मेरी जान।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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हां मुझे शिक्षक होने पर गर्व है।

Kmsraj51 की कलम से…..

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  • Kmsraj51 की कलम से…..
    • ♦ हां मुझे शिक्षक होने पर गर्व है। ♦
      • आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
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♦ हां मुझे शिक्षक होने पर गर्व है। ♦

हां मुझे शिक्षक होने पर गर्व है,
राष्ट्र का निर्माता एवं भविष्य का रक्षक हूं।
हां मुझे गर्व है कि मैं एक शिक्षक हूं,
मैं वो कुम्हार हूं,
जो कच्ची मिट्टी से घड़ा बनाता है।

मैं वो तेल हूं,
जो ज्ञान का दीप जलाता है।
मैं वो मार्गदर्शक हूं,
जो भटके को राह दिखाता है।
मैं वो सत्य हूं,
जो शिक्षा की गंगा बहाता है।

मैं वो राह हूं,
जो बच्चे बूढ़े सब का हमसफर बन जाता है।
मैं वो कलाकार हूं,
जो बिन रंग के जीवन रंगीन बनाता है।
मैं उस पल को जीता हूं,
जब मुझे लोग निर्माता कहते है।

मैं वो सखा हूं,
जो हर पल सजग रहने का पाठ पढ़ाता है।
मैं किसी का मां तो किसी का पिता हूं,
किसी का आस किसी का विश्वास हूं।
कामयाबी की डोर,
उम्मीदों को उड़ान देने वाला पंख हूं।
हां, मैं एक शिक्षक हूं,
हां, मुझे शिक्षक होने पर गर्व है।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस संसार में गुरु की जगह कोई भी नही ले सकता। एक सच्चा गुरु सदैव ही सन्मार्ग पर चलकर मर्यादा पुरुषोत्तम ज्ञान व ध्यान से भरपूर जीवन जीने की कला सीखाता है। गुरु सदैव ही जीवन के हर क्षेत्र में वृद्धि चाहते है, उन्नत और प्रगतिशील जीवन के सूत्रधार है गुरु। एक शिक्षक ही होते है जो हमे अच्छी और बुरी आदतों का पहचान करवाते है और वो हमारी बुरी आदतों को छोड़वाने का दिल से पूर्ण प्रयास भी करते हैं। हमें अच्छी आदतों को अपनाने के लिए प्रेरित करते है, सदैव ही आगे बढ़ने का सही ज्ञान देते है।

—————

यह कविता (हां मुझे शिक्षक होने पर गर्व है।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं एक शिक्षक हूं। मुजफ्फरपुर जिला, बिहार राज्य का निवासी हूं। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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शिक्षादान महादान।

Kmsraj51 की कलम से…..

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    • ♦ शिक्षादान महादान। ♦
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♦ शिक्षादान महादान। ♦

ईश्वर से जिसका है ऊंचा मान,
जिसके ज्ञान से मिलता,
जग को मान और सम्मान।
निष्पक्ष, निष्पाप, निर्मल,
ऐसी काया है जिनके पास।
वो कोई और नहीं,
शिक्षक ही है वो नाम।

शिक्षा देना है उनका काम,
लालच लोभ से परे हट।
सतत कर्तव्यपथ पर चलते,
अविचल, अडिग, उत्साही बन।
देते अपने कार्यों को अंजाम,
छात्र को देते उनकी मंजिल तमाम,
पर हित का रखते, हर पल ध्यान।

छात्र उपलब्धि पर उनकी पीठ थपथपाए,
अपने अरमानों को दरकिनार कर।
छात्र को दे जो ऊंची उड़ान,
ऐसे शिक्षक पर हमें है अभिमान।
शिक्षा का जो करे दान,
उससे बड़ा ना कोई महान।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

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• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस संसार में शिक्षादान से बड़ा कोई भी दान नहीं, शिक्षादान ही महादान हैं, शिक्षा से ही किसी भी इंसान के जीवन में आने वाली समस्याओं से बाहर निकला जा सकता हैं। एक शिक्षक ही होते है जो हमे अच्छी और बुरी आदतों का पहचान करवाते है और वो हमारी बुरी आदतों को छोड़वाने का दिल से पूर्ण प्रयास भी करते हैं। हमें अच्छी आदतों को अपनाने के लिए प्रेरित करते है, सदैव ही आगे बढ़ने का सही ज्ञान देते है। वो शिक्षक ही होते है जो हमें ईर्ष्या, हिंसा, अधर्म, चोरी जैसी बुरी आदतों से दूर रखते है। शिक्षक ही, सही आचरण, नैतिकता का पाठ पढ़ाते है, कर्तव्य, संयम और धैर्य से सही पथ पर चलना सिखाते है। भारत में पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्ण के जन्म दिवस अर्थात 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है। उन्होंने अपने छात्रों से अपने जन्म दिवस पर शिक्षक दिवस मनाने की इच्छा जताई थी। पूर्व राष्‍ट्रपति डॉ राधाकृष्‍णन का जन्म 5 सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुमनी गांव में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

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यह कविता (शिक्षादान महादान।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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हर घर तिरंगा।

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    • ♦ हर घर तिरंगा। ♦
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♦ हर घर तिरंगा। ♦

गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा,
पड़ा था हमारा हिन्दुस्तान।
भारतमाता तड़प रही थी,
जंजीरों में जकड़ पड़ी थी।

पराधीनता ने दिया चादर तान,
उबल पड़ा स्वतंत्रता की उड़ान।
गांधी बन आया एक ही नाम,
संग हुए संगी साथी जो थे महान।

लाल बाल और पाल की तिकड़ी,
बड़ी थी कमाल।
खुदीराम बोस, तिलक, राजगुरु ने,
आजादी का, बिगुल दिया था फूंक।

अंग्रेजों भारत छोड़ो,
सविनय अवज्ञा आन्दोलन ने किया।
फिरंगियों को देश छोड़ने पर मजबूर,
सन 47 ने समझाया आजादी का मर्म।

पराधीनता से मिली निजात,
अमन, चैन की हुए शुरुआत।

आज आया जश्न ए आजादी का 75 वां साल,
इस पावन अवसर पर हमसब,
आजादी का अमृत महोत्सव मनाएंगे।
हर हाथ तिरंगा फहराएंगे।
हर घर तिरंगा लहराएंगे।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — तिरंगा है यह खिलौना नहीं, हर रंग का लहदा भाव निराला है । शौर्य, वीरता, शान्ति, समृद्धि, मध्य चक्र प्रतीक समय का डाला है। यहां के बच्चों के अंदर जन्म से ही वीर रस भरा होता है, जिसे बस निखारने की जरूरत होती हैं। भारत का शौर्य अद्भुत व बहुत ही अनुपम हैं, दुश्मन का संस्कार भी करें अदब से गर तोड़े दम। पीठ पर कभी भी न करें वार यहाँ के वीर जवान। यह धरती है उन वीरों की जो देश पर होते है सदैव ही कुर्बान। तहे दिल से नमन है माँ भारती के हर उन शूरवीर सपूतों को जिनके बलिदान के बदले हमे आज़ादी मिली। जो आये थे यहां व्यापार करने, व्यापार के बहाने हमे अपना गुलाम बनाकर खूब मनमानी किया। उन्होंने हम पर बहुत ही निर्दयता पूर्वक अत्याचार किया, और हमें खूब लुटा। हमें कभी भी नहीं भूलना चाहिए उन शूरवीर सपूतों के बलिदान को, जिनके बलिदान के बदले हमे आज़ादी मिली। शत-शत नमन है उन वीर सपूतों की जननी को जिन्होंने अपने लाल को माँ भारती की रक्षा के लिए ख़ुशी – ख़ुशी समर्पित किया। जय हिन्द – जय भारत।

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यह कविता (हर घर तिरंगा।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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रेशम की डोर बेजोड़।

Kmsraj51 की कलम से…..

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  • Kmsraj51 की कलम से…..
    • ♦ रेशम की डोर बेजोड़। ♦
      • आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
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      • “सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

♦ रेशम की डोर बेजोड़। ♦

अटूट प्रेम की पक्की डोर,
टूटे कभी न इसका जोड़।
इस रिश्ते का न कोई तोड़,
माथे तिलक, रोरी और चंदन,
बहन ने किया भाई का वंदन।

रक्षासूत्र बांध बहना ने,
लिया भाई से एक वचन।
रक्षक नहीं रक्षा का गुर,
गुरु बन ऐसी शिक्षा दो,
डर का मन में न हो डेरा।

मजबूत और फौलाद बनूं,
खुद की रक्षा सहज कर सकूं।
हमारी मनोदशा ऐसी बने,
न कभी डिगू न कभी झुकूं,
हर बहना का हो यह कहना।

भाई तुम हो मेरा गहना,
भाई बहन का प्यार अनूठा।
इस रिश्ते से न कोई रूठा,
दिल के रिश्तों का यह जोड़,
रेशम की डोर, न होगी कमजोर।

बहन का प्यार, भाई का विश्वास,
इस पर्व को बनाता खास।
सावन पूर्णिमा के दिन है आता,
स्नेह और विश्वास है लाता।
रक्षाबंधन है कहलाता,
रेशम की डोर है बेजोड़।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — रक्षाबंधन का त्योहार भाई बहन के पवित्र प्यार का प्रतिक है, जिसे राखी का त्योहार भी कहा जाता है। रक्षा बंधन पर बहन, भाई की कलाई पर राखी बांधती है और उसके दीर्घायु व सुखी जीवन की प्रार्थना करती है। इसके साथ ही बहन अपने भाई से अपनी सुरक्षा का वचन लेती है, की जीवन में जब भी उस पर कोई मुसीबत आएगा उसका भाई उसकी मदद के ली आ जायेगा। एक दूजे के चेहरे को देख मुसीबतें भाप लेते हैं, ऐसा होता है भाई बहन का रिश्ता। रक्षाबंधन हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है, जिसे पूरे भारत समेत अन्य देशों में भी मनाया जाता है।

—————

यह कविता (रेशम की डोर बेजोड़।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं एक शिक्षक हूं। मुजफ्फरपुर जिला, बिहार राज्य का निवासी हूं। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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गुरु का वंदन।

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  • Kmsraj51 की कलम से…..
    • ♦ गुरु का वंदन। ♦
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♦ गुरु का वंदन। ♦

मिट्टी को प्रभु ने आकार दिया,
दिया जीवन का वरदान।
मां ने नौ महीने गर्भ में ढोकर,
दिया जीवन जीने का सम्मान।

परिवार ने पाल पोसकर बड़ा किया,
बताया मेरी क्या है पहचान।
मैं मिट्टी का कच्चा घड़ा था,
था तपने को तैयार।

पक्का रूप दिया गुरु ने,
पढ़ाया सच्चाई का पाठ।
इंसानियत का मर्म समझाकर,
दिखाया सत्य की राह।

जीवन संघर्ष की गाथा है,
जूझना इससे मुझे सिखाया।
मात-पिता ने तो जीवन दिया,
सार बताया गुरु ने।

ईश्वर को मैने नहीं देखा,
देखा भी तो अपने पालनहार को।
जिनका मान है सर्वोपरि,
उनके बाद कोई है अगर,

वो है हमारे सृजनकार गुरु,
ईश्वर से ऊंचा दर्जा है उनका।
करते है हम उनका सम्मान,
बार-बार शीश झुका करते प्रणाम।

चंद शब्द गुरु के लिए,
आज ये मैं कहता हूं।
गुरु वंदन जग वंदन,
गुरु जीवन आधार।
गुरु बिना कछु ज्ञान नहीं,
हम उनके आभार।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस संसार में प्रथम गुरु तो माँ ही हैं। गुरु हमें जिंदगी में एक जिम्मेदार और अच्छा इंसान बनाने में हमारी सहायता करते हैं। वही हमें जीवन जीने का असली तरीका सिखाते हैं; और वही हमें जीवन के राह पर ता-उम्र सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। गुरु हमें अंधकार भरे जीवन से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाते हैं। गुरु एक दीपक की भांति होता है जो अपने शिष्यों के जीवन को प्रकार से भर देते हैं। विद्यार्थी जीवन में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

—————

यह कविता (गुरु का वंदन।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं एक शिक्षक हूं। मुजफ्फरपुर जिला, बिहार राज्य का निवासी हूं। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

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“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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कुछ कर गुजरने की हसरत अभी बाकी है।

Kmsraj51 की कलम से…..

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  • Kmsraj51 की कलम से…..
    • ♦ कुछ कर गुजरने की हसरत अभी बाकी है। ♦
      • आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
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    • आप सभी का प्रिय दोस्त
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      • “सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

♦ कुछ कर गुजरने की हसरत अभी बाकी है। ♦

ऊपर वाले ने कुछ सोच कर, हमें बनाया होगा,
नाक नक्श संग संस्कारों का, साज सजाया होगा।
मिट्टी के पुतलो में रंगों की, छटा बिखेरा होगा,
बड़े अरमानों से अपने दिल में, सपने संजोया होगा।
हसरतें तो बहुत थी, परवान चढ़ाना बाकी है,
कुछ कर गुजरने की हसरत अभी बाकी है।

दिया होगा, सत्य पर चलने की सनक खास,
बनाकर एक बेहतर इंसान, पुतले में डाला होगा जान।
प्रकृति की रक्षा करेगा, बनाकर एक अपना मुकाम,
रंगमंच का भावी वजीर, करेगा भावनाओं का सम्मान।
दिन फिर बहुरेंगे, फिर बदलेंगी फिजाएं धरा की,
हसरतें तो बहुत थी, परवान चढ़ाना बाकी है।
कुछ कर गुजरने की हसरत अभी बाकी है।

इतनी आशाएं, आकांक्षाओं से लदा आया हूं इस कर्मधाम में,
लेकर एक विश्वास प्यार की, बंधी थी एक डोर।
इतनी बड़ी जवाबदेही थी मिली, सोंचा कैसे चुका पाऊंगा,
था अपना रोल जो मिला, खुद कैसे निभा पाऊंगा।
असत्य के सागर में अपना, सत्य के गोते लगा पाऊंगा,
प्रकृति के भक्षकगण से, रक्षा कैसे कर पाऊंगा।
हसरतें तो बहुत थी, परवान चढ़ाना बाकी है,
कुछ कर गुजरने की हसरत अभी बाकी है।

पूछा जब अंतरात्मा से अपने, पाया एक ही ज्ञान,
सबको न मिल पाता है, इस रंगभूमि की शान।
कर्म पथ पर पग तो बढ़ाओ, मिलेगा जग में मान,
संस्कारों की बात कहां, रग-रग में सबके बसता है।
ढूंढ पाए वो शख्स खड़ा है, लिए जान में जान,
कमर कस मैं खड़ा हो गया, लेकर प्रभु का नाम।
हसरतें तो बहुत थी, परवान चढ़ाना बाकी है।
कुछ कर गुजरने की हसरत अभी बाकी है।

मिले ज्ञान से सीख ले, लिया कर्म को साथ,
ठान लिया जब मैने तो, पाऊंगा अब मंजिल तमाम।
मिले जीवन को सरस बनाकर, दूंगा एक संदेश,
कर्तव्य से न कभी डिगूंगा, देता हूं विश्वास।
बड़ों के आशीष को पाकर, फूला न समा पाऊंगा,
हसरतें तो बहुत थी, परवान चढ़ाना बाकी है,
कुछ कर गुजरने की हसरत अभी बाकी है।

रंगमंच से जो सीखा मैंने, आज ये साझा करता हूं,
कर्म करता हूं करूंगा, भटकूंगा न पथ से अपने।
सहयोग की भावना दिल में भरी हो, भाव ऐसी ही रखता हूं,
सीखा जिनसे सबकुछ, उन गुरुओं का आभार करता हूं।
हसरतें तो बहुत थी, परवान चढ़ाना बाकी है,
कुछ कर गुजरने की हसरत अभी बाकी है।

अंत में यह प्रण लेता हूं, करूंगा दायित्वों का निर्वहन,
सत्य को दिल से सजदा करूंगा, दूंगा उसका साथ।
गुरुओं का सम्मान करूंगा, नमाऊंगा अपना शीश,
ऊपर वाले की आस भरूंगा, चाहे मांगनी पड़े भीख।
हसरतें तो बहुत थी, परवान चढ़ाना बाकी है,
कुछ कर गुजरने की हसरत अभी बाकी है।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

—————

• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — भगवान ने सुंदर प्रकृति बनाया अनगिनत पेड़ पौधे बनाये, लेकिन इंसानो ने अपने स्वार्थ सिद्धि (इच्छा पूर्ति) के लिए प्रकृति को तहस नहस कर दिया। जिसका परिणाम मौसम का ख़राब होना, प्राकृतिक आपदा, और भी अनगिनत आपदा का अम्बार लग गया है, अगर ऐसे ही चलता (प्रकृति को तहस नहस करते रहेंगे) रहा तो पृथ्वी इंसान के रहने लायक नहीं रहेगी, फिर भाग कर जाओगे कहाँ ये कभी सोचा है? अब भी समय है सुधर जाओ इंसान, और प्रकृति से खिलवाड़ करना बंद करो, अपने स्वार्थ सिद्धि के लिए जो तुम कर रहे हो। आओ हमसब मिलकर ये संकल्प ले आज की हम ऐसा कोई भी कर्म नहीं करेंगे जिससे प्रकृति के पांचो तत्वों को नुकसान हो। हम सभी प्रत्येक वर्ष एक पेड़ जरूर लगाएंगे और तब तक उसका देखभाल करेंगे जब तक वह पेड़ अपना ख़ुराक ज़मीन खुद न लेने लगे।

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यह कविता (कुछ कर गुजरने की हसरत अभी बाकी है।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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योग भगाए रोग।

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    • ♦ योग भगाए रोग। ♦
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♦ योग भगाए रोग। ♦

व्यस्त दिनचर्या से आज जूझ रहा इंसान,
धन की लालच में न रहा, स्वास्थ्य का है भान।
न दिन को चैन है, न रात को मिलता रैन,
दिन भर चल रही रस्साकस्सी से,
बिगड़ा शरीर का हुलिया, छूटा उसका मैल।

तनाव भरे जीवन से मिला, रोग का है साथ,
डायबिटीज, बीपी, गैस का मुफ्त में मिला ईनाम।
पैसे की खातिर जिस शरीर को, करता है बर्बाद,
उसी पैसे से फिर लगता करने, उसे है आबाद,
अपने शरीर के लिए वक्त भी न निकाल पाता।

जब समय आता कमाई का अंश भी काम न आता,
न माया मिलती है न मिलता है राम।
इस अजीब विडंबना की क्या की जाए बात,
जिसे खोजा गली गली, मिला वो अपने पास,
स्वस्थ तन में स्वस्थ मन का होता है वास।

स्वस्थ रहना ही असल पूंजी है, यही रहता पास,
21 जून योग दिवस मनाते, आता सबको रास।
वर्ष का लंबा दिन होता, दीर्घायु का देता आभास,
योग प्राचीन परंपरा का, अमूल्य उपहार है खास,
इससे मिलती स्फूर्ति, रक्त का होता खूब प्रवाह।

तनाव से मुक्त कर, करता आलस्य का है नाश,
नित्य करो तुम योग, दूर भागेगी रोग।
अनूलोम विलोम प्राणायाम का, जीवन में करो वास,
शरीर होगा निरोग, पास न फटकेगी रोग।
आओ मिलकर संकल्प करें, योग दिवस पर आज,
नित्य तीस मिनट हमसब करें व्यायाम।

जीवन से मिटाए बीमारी का नामो निशान।
योग दिवस पर संदेश देंगे खुलेआम॥
रोग भगाए योग रे भईया।
रोग भगाए योग………॥
धन्यवाद॥

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

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• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — योग आकाश के नीचे लगभग किसी भी बीमारी को ठीक कर सकता है। वास्तव में यह कहना उचित होगा कि यदि आप प्रतिदिन योग का अभ्यास करते हैं तो आप सभी रोगों से मुक्त रह सकते हैं। योग एक कला है जो हमारे शरीर, मन और आत्मा को एक साथ जोड़ता है और हमें मजबूत और शांतिपूर्ण बनाता है। योग आवश्यक है क्योंकि यह हमें फिट रखता है, तनाव को कम करने में मदद करता है और समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखता है और एक स्वस्थ मन ही अच्छी तरह से ध्यान केंद्रित करने में सहायता कर सकता है। योग के अभ्यास की कला व्यक्ति के मन, शरीर और आत्मा को नियंत्रित करने में मदद करती हैं। यह भौतिक और मानसिक संतुलन कर के शान्त शरीर और मन प्राप्त करवाता हैं। तनाव और चिंता का प्रबंधन करके आपको राहत देता हैं। यह शरीर में लचीलापन, मांसपेशियों को मजबूत करने और शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाने में भी मदद करता हैं।

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यह कविता (योग भगाए रोग।) “विवेक कुमार जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

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मेरे पापा।

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♦ मेरे पापा। ♦

मेरे पापा,
मेरे है पालकदाता।
अंदर से कोमल,
मेरी खुशी के लिए कुछ भी कर जाते।
सबसे प्यारे, सबसे न्यारे,
ऐसे है पापा हमारे।

अंगुली पकड़ चलना सिखाया,
कंधे पर बिठा प्यार जताया।
हर स्थिति से लडने का हुनर सिखाया,
सीने से लगाकर प्यार जताया।

मेरे सभी नाज नखरे, वो हंसकर उठाते,
वृक्ष की भांति संरक्षण देते।
त्याग समर्पण की वो पराकाष्ठा,
मेरे संवारने हेतु उनकी निष्ठा,
जीवन भर न भूल पाऊंगा।

उनका कर्ज न कभी उतार पाऊंगा,
मगर बुढ़ापे की लाठी बन,
अपना फर्ज जरूर निभाऊंगा।
उनके आशीष को दिल से लगाकर,
चरणों में उनके मस्तक सदा नमाऊंगा,
उनके सपनों को सच करके दिखलाऊंगा।

सबसे प्यारे, सबसे न्यारे,
मेरे पापा, मेरे भगवान हमारे।

♦ विवेक कुमार जी – जिला – मुजफ्फरपुर, बिहार ♦

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• Conclusion •

  • “विवेक कुमार जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — पापा का प्यार निराला है, पापा के साथ रिश्ता न्यारा है, इस रिश्ते जैसा कोई और नहीं यही रिश्ता दुनिया में सबसे प्यारा है। मेरे होठों की हँसी मेरे पापा की बदौलत है, मेरी आँखों में खुशी मेरे पापा की बदौलत है, पापा किसी भगवान से कम नही क्योकि मेरी ज़िन्दगी की सारी खुशी पापा की बदौलत है। ये बाप तुझे अपना सब कुछ दे जाएगा, और तेरे कंधे पर दुनिया से चला जाएगा। पिता हैं तो हमेशा बच्चो का दिल शेर होता हैं। वो इस छोटी सी दुनिया में मेरा अनंत संसार है। एक पापा की बदौलत ही मेरा जीवन खुबसूरत बन पाया।

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यह कविता (मेरे पापा।) “विवेक कुमार जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं एक शिक्षक हूं। मुजफ्फरपुर जिला, बिहार राज्य का निवासी हूं। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

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“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, विवेक कुमार जी की कविताएं।, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: Papa Par Kavita in Hindi, Poem on Father in Hindi, vivek kumar poems, कोट्स, पिता पर कविता, पिता पर कविता – पिता क्या है?, मेरे पापा, विवेक कुमार, विवेक कुमार की कविताएं, शायरी व स्टेटस

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