Kmsraj51 की कलम से…..
♦ छाया चित्रों की भरमार। ♦
इस डिजिटल जमाने में जो सबसे ज्यादा हुआ है वो है फ़ोटो खींचने का चलन। क्योंकि ये किसी भी बात का मजबूत प्रमाण बनते हैं। सब जगह देखों तो सेल्फी या फ़ोटो लेने का जमाना ही रह गया। कई बार ऐसा लगता है कि इस दिखावे के पीछे असलियत छिपती जा रही है। झूठ ने इस फोटो के सच का पहनावा पहन लिया है।
अभी हम सब ने विश्व पर्यावरण दिवस मनाया। तो उसमें जहाँ पर भी देखो इस प्रकार के छाया चित्रों की भरमार थी जैसे एक नन्हें से पौधे को लगाकर उसके साथ तीन से लगभग आठ व्यक्तियों का खड़ा होना, और ऐसा लग रहा था मानो जैसे नन्हा पौधा पुकार कर रहा हो कि अरे दूर हटो मुझें भी तो फ़ोटो में आने दो!
निस्वार्थ भाव से की गई हर चीज फलदायी होती है। इस बात को सदैव ही हम अपने दिल में धारण कर रखें। कुछ भी सिर्फ फ़ोटो के लिए न करके दिल से उस कार्य को आत्मसात करें। तभी हमारा, समाज का, देश का व पूरे विश्व का कल्याण है।
निस्वार्थ भाव व नेक कर्म से कार्य करें और छाया चित्र भी लीजिये। लेकिन हर हाल में वास्तविकता दर्शाती हुई होनी चाहिए। कहीं ऐसा न हो इन फ़ोटो की अधिकता में उस कार्य का अस्तित्व ही खतरे में आ जाये, जिसके लिए हमने कर्म किया।
निःस्वार्थ भाव से हर कर्म हम करते जाए।
छायाचित्र में कर्म का अस्तित्व न छिप जाए॥
परोपकार की भावना सदैव दिल में बसाए।
पर्यावरण की रक्षा कर खुद पर कर्म कमाए॥
♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦
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- “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — प्रकृति संतुलन बनाए उसके लिए हम सभी दिल से प्रत्येक इंसान प्रत्येक वर्ष एक पेड़ जरूर लगाए और उस पेड़ का देखरेख तब तक करे, जब तक वह पेड़ जमीन से अपना ख़ुराक खुद न लेने लगे। निस्वार्थ भाव से की गई हर चीज फलदायी होती है। इस बात को सदैव ही हम अपने दिल में धारण कर रखें। कुछ भी सिर्फ फ़ोटो के लिए न करके दिल से उस कार्य को आत्मसात करें। तभी हमारा, समाज का, देश का व पूरे विश्व का कल्याण है।
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यह लेख (छाया चित्रों की भरमार।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।
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