Kmsraj51 की कलम से…..
♦ चिरायता अमृत आयुर्वेदिक औषधि। ♦
दुनिया की सबसे पुरानी औषधि को,
मंगल कामनाओं हेतु बताता हूं!
वैकल्पिकता से सीधे दूर ले जाता हूं,
मुख्य चिकित्सा प्रणाली समझाता हूं।
चिरायता मधुमेह जड़ से खत्म करे,
नीम के काढे से भी कडवा यह लगे।
इसमें कालमेघ का गुण है मिलता,
खून से संबंधित विकार दूर करता।
चिरायता का स्वाद होता है तीखा,
रक्त पित्त विकार के रामबाण सरीखा,
खुजली बवासीर में प्रयोग में लाएं,
कैंसर जैसे रोग में भी इसे अपनाएं।
लीवर में जब कभी सूजन आ जाए,
सोठ और चिरायता के साथ-साथ-
पुनर्नवा काढा बराबर प्रयोग में लाए,
वैद्य ने (से) संपर्क कर मरीज को पिलाएं।
नई कहानी गर जीवन में बनाने हो,
तुम्हें पुराने ज्वर से मुक्ति पानी हो!
शक्ति रूप में फिर शरीर दिखानी हो,
चिरायता के घूट लेकर सयाने हों।
जीभ पर मिलता न कोई स्वाद हो,
अपना मन जब कभी उदास हो!
उसी समय आप कीचन के द्वार हों,
तभी काढे से आपका सरोकार हो।
यदि मुख में बनती नहीं लार हो,
मुख से निकले दुर्गंध की बयार हो!
कुछ भी खाने से मन घबराता हो,
एक कप भर काढ़ा लाभ दिलाता है।
लीवर में जब निगेटिव कीटाणु हों,
काढ़े पीते ही नहीं नामो निशान हों!
मन पर नियंत्रण प्रसन्नता छा जाती,
दो चुटकी चिरायता जवानी लाती।
इसके अलावा अनिद्रा दूर करने वाला,
खुजली होने पर फायदा पहुंचाने वाला!
खांसी और हरात मे लाभदायक होता,
आधा कप काढ़ा सबको फायदा देता।
♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦
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— Conclusion —
- “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — मधुमेह रोगी चिरायता के सूखे पत्तों का काढ़ा पीकर डायबिटीज से राहत प्राप्त कर सकते हैं। संक्रमण से लड़ने व बचाव के लिए चिरायता का सेवन काफी पुराने समय से किया जाता रहा है। इसमें मौजूद एंटीवायरल, एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण काफी मजबूत होते हैं, यह सामान्य सर्दी-जुकाम से राहत देने में काफी कारगर साबित होता है। चिरायता एक आयुर्वेदिक औषधि है, चिरायता का उपयोग आयुर्वेद में जड़ी-बूटी के तौर पर किया जाता है। यह शरीर को खून की कमी से भी बचा सकता है। इसकी पत्तियों में मौजूद विटामिन और खनिज हेमाटिनिक (Haematinic) का प्रभाव होता है। यह प्रभाव शरीर में खून को बनाने में सहायक हो सकता है, इसलिए एनीमिया के घरेलू उपचार में चिरायता का उपयोग प्राचीन काल से ही किया जा रहा है।
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यह कविता (चिरायता अमृत आयुर्वेदिक औषधि।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।
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