Kmsraj51 की कलम से…..
ϒ दराजों में गर्द किताबें खंडहर सी हुई जा रही है…। ϒ
⇒ कुछ कड़वी सच्ची बातें, कुछ सुझाव।
Dust Books ruins drawers being swollen.
Some bitter truths, some suggestions.
दराजों में गर्द खाती किताबें खंडहर सी हुई जा रही है।
धड़कते दिल अब “किताबों” में चेहरे छिपाते नही है।
तोहफों की फेहरिश्त से भी ये हटती जा रही है।
पन्ने पलटते हुए ज़ेहन में उन की चहल कदमी।
बेख्याली में किताब में खत दबाने की लत जा रही है।
दराजों में गर्द खाती किताबें खंडहर सी हुई जा रही है…..॥
मोबाइल में मशरूफ रहने वाली ये नस्ल बेख़बर।
उलझी साँसें रजनीगंधा बन कागज़ को महका रही है।
जिल्द में आज तलक उंगलियों की खुश्बू मगर।
दरकते पन्नों को अनदेखी की घुन खा रही है।
दराजों में गर्द किताबें खंडहर सी हुई जा रही है…..॥
कभी दुनिया भूला देते थे इनमें खोये हुए।
आज फ़क़त अलमारी का सामान हुई जा रही है।
तल्ले में चढ़ी वो किताब नाउम्मीद हो सोचती,
हमारे हिस्से का वक़्त “ दुनिया” मोबाइल में गँवा रही है।
दराजों में गर्द किताबें खंडहर सी हुई जा रही है…..॥
देर रात के साथी थे गुल्लू , निर्मला, बड़े भाईसाहब,
मोबाइल की खातिर सिरहाने से भी हटाई जा रही है।
रात भर सीने पर धड़कने गिनती थी कभी।
अब अँधेरे में मोबाइल की रौशनी आ रही है।
दराजों में गर्द किताबें खंडहर सी हुई जा रही है…..॥
किताबों में सूखे गुलाब अमानत थे किसी के,
ये नज़ाकत हाल बेमानी हुई जा रही है।
अब भी कागज़ी इत्र की आरज़ू में,
बाग़ की चंद कलियाँ उदास झड़ी जा रही है।
दराजों में गर्द किताबें खंडहर सी हुई जा रही है…..॥
चाचा-चौधरी से तो तेज़ दिमाग कंप्यूटर भी हारे,
साबू को अकेला छोड़ नन्ही उंगलियाँ टैब चला रही है।
एक दिन ज़माना ऊबेगा खोखली भौतिकता से,
“गोदान“ की धनिया गोबर को समझा रही है।
दराजों में गर्द किताबें खंडहर सी हुई जा रही है…..॥
© …(Madhu Chaturvedi Ji) _ Writer at film association Mumbai ®
हम दिल से आभारी हैं मधु जी के “दराजों में गर्द किताबें खंडहर सी हुई जा रही है…।“ हिन्दी में कविता साझा करने के लिए।
FB Page Link : https://www.facebook.com/madhuchaturvediwriter/
मधु जी के लिए मेरे विचार:
♣ “मधु जी” ने “मगर एक शर्त है…।“ कविता के माध्यम से “किताबो से बन रही दूरियों” पर विशेष दिल को छूने वाला कितना सरल सुंदर-शिक्षाप्रद व अनुकरणीय वर्णन किया हैं। हर एक के जीवन में क़िताबों का महत्व कितना है – इसका बहुत ही सरल शब्दों में अति सुन्दर वर्णन किया हैं। मधु जी – की लेखनी की खासियत है की बिलकुल खुले मन से लिखती है, इनके लेख के हर एक शब्द दिल को छूने वाले होते है। हर एक शब्द अपने आप में एक पूर्ण सुझाव देता है, फिर चाहे वो कवितायें हो या अन्य लेख। जो भी इंसान इनके लेख को दिल से समझकर आत्मसात करेगा उसका जीवन धन्य हो जायेगा।
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