Kmsraj51 की कलम से…..
♦ दो बातें। ♦
आंखे प्यासी है आज भी प्रिये,
तेरे उस सादे सहज दीदार की।
जमाना बीत गया है किए हुए,
दो बातें तुमसे शालीन प्यार की।
किससे कहूं और क्या कहूं, कि सब कुछ?
नहीं होता है प्यार में किसी को पा जाना?
प्रेम अन्त है, वासनाएं अतृप्त है, चाहत है,
नाम बस एक दूसरे की याद में खो जाना।
जाती हैं दूर तलक वो यादें और वादे,
मुश्किल होता है जिन्हे करके निभाना।
छुप – छुप कर मिलना और फिर बिछुड़ना,
सदियों से प्यार का दुश्मन रहा है जमाना।
वे अन्दर ही अन्दर कई बातों को छुपाना,
बड़ा मुश्किल होता था उन्हे जुबां पर लाना।
वे आंखों ही आंखों की बेबाक सी बातें,
मुश्किल होता था जिन्हे इशारों में समझना।
आज भी हसरत है सीने में, है वही मुहब्बत,
मुश्किल होता है इश्क मुश्क को दफनाना।
जाने क्या रखा है लिव इन रिलेशनशिप में?
क्यों नहीं समझाता है आज इन्हे यह जमाना?
हमने किया नहीं इजहार – ए – इश्क कभी भी था,
रह गया होकर भी प्यार भीतर ही भीतर बेगाना।
तुम हो गए थे उनके पल भर में देखते ही देखते,
हमने सहर्ष देखा था सब, तनिक भी बुरा न माना।
होता कुछ इस कदर का नई पीढ़ी के साथ तो शायद,
खैर ! छोड़िए, सब्र करें, हो गया प्रेम प्रलाप है बहुतेरा,
हो न सका किस्मत से गर दैहिक मिलन तो क्या हुआ?
बस होता रहे रूहों से रूहों का मिलन यूं ही तेरा मेरा।
जालिम जमाने की भीड़ में मुश्किल है जी ढूंढ पाना,
एक दूसरे को, यहां छाया है जी बस अंधेरा ही अंधेरा।
यहां होती नहीं है कभी भी सुबह रात गुजर जाने पर,
यहां का दस्तूर है कि जब जाग जाए तो समझो सवेरा।
♦ हेमराज ठाकुर जी – जिला – मण्डी, हिमाचल प्रदेश ♦
Must Read : क्या लिव इन रिलेशनशिप ठीक है?
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- “हेमराज ठाकुर जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — सच्चा प्रेम क्या है? क्या जिस्मानी भूख ही सच्चा प्रेम है? सच्चा प्रेम – सच्चे प्रेम में जिस्म की भूख नहीं होती है। सच्चे प्रेम में दो दिलों का आत्मिक प्रेम होता है यह प्रेम ज़िस्म के प्रेम से बिलकुल ही अलग होता है। जहां पर जिस्मानी भूख हो वह प्रेम कभी भी नहीं हो सकता, उसे प्रेम की संज्ञा नहीं दे सकते। क्योंकि हमारी सामाजिक और पारिवारिक व्यवस्था इतनी मजबूत और पवित्र है कि उसमें दम्पति से ले कर बच्चे और बूढ़े तक सुरक्षित है। यदि लिव इन रिलेशनशिप का कानून भारत में स्थान प्राप्त करता है तो भारतीय समाज हवस का शिकार हो जाएगा। न ही तो रिश्तों नातों की अहमियत रहेगी और न ही नारी जाति का सम्मान रहेगा।भविष्य की नई पीढ़ी और वृद्ध लोग असहज और असुरक्षित होंगे। आखिर क्या जरूरत है बिना शादी के लड़का – लड़की को सांसारिक व्यवहार में रहने की? हमारी भारतीय संस्कृति की व्यवस्था के मुताबिक 25 वर्ष तक का समय पढ़ने – लिखने का है और उस बीच दो लड़का – लड़की में प्रेम भी हो जाता है तो कोई गुनाह नहीं है। शर्त यह है कि वह प्रेमी जोड़ा विवाह पूर्व शारीरिक संबंध स्थापित न करें। हमारी संस्कृति के नौजवान अधिकांश भले ही सामाजिक लाज लपेट के चलते ही सही; इस नियम का पालन भी करते आए हैं। उसके पश्चात विवाह घर वालों की सहमति से करते हैं और सांसारिक जीवन का आनंद लेते हैं।
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यह कविता (दो बातें।) “हेमराज ठाकुर जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।
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