एक पुरानी कविता आपके बीच रख रहा हूँ ….जो आपके मस्तिस्क में भी एक पुराना चेहरा उभार सकता है ,निवेदन करता हूँ—-तुम करना मुझको माफ़, तुम्हे प्यार नही मै दे पाया !
जीवन के हर रंगो का, उपहार नहीं मै दे पाया !!तुम अमलताश की पुष्पकली ,
मै पतझड़ का हूँ तीव्र शूल !
धरती के आतप में झुलसा ,
जीवन के दुःख का अदना मूल !!
तूम नही अधूरी ग़ज़ल शुभे,
तुम तुलसी के मानस सा पावन हो !
तुम हिमगिरी में सहसा कौंधी ,
बादल के बिजली सा मनभावन हो !!
उस चमक शिखा के रंगो का उपहार नही मै दे पाया…..
तुम करना मुझको माफ़ ,तुम्हे प्यार नही मै दे पाया !!!!!!यही कामना है मेरी की मन की ,
शैय्या का तुम्हे मनीष मिले !
किंचित पाऊ गर मै जीवन में ,
तो तुमको वह आशीष लगे !
तुम जिसकी शीतलता में शयन करो,
वह व्यक्ति नही जीवनवट हो !
जिन अधरों का चुम्बन पाओ ,
वह अधर नही गंगातट हो !
ऐसे जीवन के लघुसुख का विस्तार नही मै दे पाया…….
तुम करना मुझको माफ़ तुम्हे प्यार नही मै दे पाया!!!!!!!!
We are grateful to Mr. गौरव श्रीवास्तव “गौर” {बलरामपुर (उप्र.)} for sharing this inspirational Hindi Poetry with kmsraj51. Thank you for your support.
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