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Dohe – Andaze Bayan Part-2 | दोहे – अंदाजे बयां — पार्ट-2
बेटियाँ सुखी ससुराल में, होंगे दु:ख भी चंद,
बिकी नहीं पर हो गयी, चूड़ी कंगन बाजूबंद।
आगर बैठे बेचते, शिखी सारंग और दीप,
अपना रोजगार खोज ले, हर मोती और सीप।
भारी बोझ चट्टान सा, तनिक हल्का हो जाय,
मेरी चिंता जब बढ़े, सपने में जब माँ आय।
‘परिमल’ किस्मत बात की, उसका कौन उपाय,
सपने में सोना मिले, तड़ से नयन खुल जाय।
गज भर के कान है, विस्वा भर के हाथ,
हर दिन उसकी नवरात्रि है, दीपशिखा हर रात।
बसंतजा में क्यों नहीं, और ऋतुओं की बात,
सावन मन-भावन नहीं, बिन जल की बरसात।
♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦
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यह दोहे (दोहे – अंदाजे बयां — पार्ट – 2) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख/दोहे सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।
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