Kmsraj51 की कलम से…..
Dohe – Andaze Bayan | दोहे – अंदाजे बयां।
नादानी की बात है, समझे न समझाये,
घर के अंदर की बात को, जन तक पहुँचाये।
ज्ञान उसे पिला तू, सच तो कड़वा घूँट,
सत्य बोलें सूली चढ़े, आंत पात सब झूठ।
तोड़ सके तो तोड़ दे, बंधन के हर तार,
कहते – कहते कह गये, जीवन है कारागार।
लूला – लंगड़ा हो गया, ‘परिमल’ इक मकान,
अँगना की भी आँख थी, किंवाड़ो के भी कान।
हुक्का भी आध पिये, चौथा रखें बुझाय,
जलते क्रोध को बेचकर, दाना-पानी खाय।
तेरा हूँ मैं खैर-ख्वाह, तू मेरा हमराज़,
बंधन का परिंदा सिखा दिया, जीने का अंदाज।
♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल‘ जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦
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यह दोहे (दोहे – अंदाजे बयां।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख/दोहे सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।
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