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गर्माती तपिश पर बूँदे ठंडक की।

Kmsraj51 की कलम से…..

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    • ♦ गर्माती तपिश पर बूँदे ठंडक की। ♦
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♦ गर्माती तपिश पर बूँदे ठंडक की। ♦

गर्मी की ऋतु थी सब ओर अभी अपने चरम पर।
प्रकृति की करवट दर्शा गयी जीवन है इसके रहम पर॥

गर्मी की तपिश से हुए थे सभी बेहाल।
ऐसे में मौसम ने बदली खुशनुमा चाल॥

गर्मी की तपिश ने सभी का जीवन दूभर किया।
शायद सबकी करुण पुकार सुन मेंह दिया॥

कल ही प्रकृति ने धूल भरी आंधी बरसाई।
आभार प्रकृति का जो सब पर दया आई॥

इस बारिश ने तो बदल दिया अब नजारा।
धुला-धुला नजर आए साफ हुआ रेत सारा॥

सब पेड़ – पौधे झूमें सब ठंडी हवा के संग।
बूझें दिलों में जागी कुछ नया करने की तरंग॥

पत्तों ने ऐसा लिया रूप जैसे अभी नए आये।
चहुँ ओर बारिश इस दिल को खूब लुभाये॥

धरती के सीने पर पड़ी जो ये बूँदे प्यारी।
ऐसा लगे जैसे आसमां ने निभाई यारी॥

प्यारी बूंदों से बन गया खुशनुमा वातावरण।
मानों प्रकृति ने ओढा ठंडी चादर का आवरण॥

♦ सुशीला देवी जी – करनाल, हरियाणा ♦

—————

  • “श्रीमती सुशीला देवी जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — पेड़ के पत्तों ने ऐसा लिया रूप जैसे अभी नए आये, जब चहुँ ओर बारिश इस दिल को खूब लुभाये। धरती के सीने पर पड़ी जो ये बूँदे प्यारी, ऐसा लगे जैसे आसमां ने निभाई अपनी यारी इंसानो के साथ। प्यारी बूंदों से बन गया खुशनुमा पूरा वातावरण, मानों प्रकृति ने ओढा ठंडी चादर का आवरण।

—————

यह कविता (गर्माती तपिश पर बूँदे ठंडक की।) “श्रीमती सुशीला देवी जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मेरा नाम श्रीमती सुशीला देवी है। मैं राजकीय प्राथमिक पाठशाला, ब्लॉक – घरौंडा, जिला – करनाल, में J.B.T.tr. के पद पर कार्यरत हूँ। मैं “विश्व कविता पाठ“ के पटल की सदस्य हूँ। मेरी कुछ रचनाओं ने टीम मंथन गुजरात के पटल पर भी स्थान पाया है। मेरी रचनाओं में प्रकृति, माँ अम्बे, दिल की पुकार, हिंदी दिवस, वो पुराने दिन, डिजिटल जमाना, नारी, वक्त, नया जमाना, मित्रता दिवस, सोच रे मानव, इन सभी की झलक है।

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“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

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