कई जगहों पर महापुरुषों के लिखे वाक्य या सूक्तियां होती है जिन्हें तुम बिना वाद-विवाद के सही और अनुसरण योग्य मान लेती हो। लेकिन तुमने कभी सोचा है कि ये सूक्तियां एक लम्बा, कठिन और अनुभवी जीवन जीने के बाद ही हृदय से निकलती है। इनके हर शब्दो में जीवन से जूझने, उसे समझने तथा बिल्कुल पास से देखने की छाप होती है। तुम जैसे ही इन्हें पढ़ती हो ये अचानक निकली धूप की तरह तुम्हारे मन को प्रकाशित कर देती हैं।
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