Kmsraj51 की कलम से…..
♦ रोजगार। ♦
आयो मंगल आनंद भयो,
चाहूं ओर बाज्यो बधाई।
रघुवर वर्षों ईंट पाथार,
प्राण अनेकों गवायो।
तरु हिंदून आनंदित हित,
लगतय पौध मुरझाई।
गाल बगावत देश प्रीति,
तकि चूर भयो चतुराई।
झूठे झगड़े मंच मुहल्ले,
पेट की आग दिखाई?
चढ़ परवान भयंकर क्षोभ,
कौवा घर रोटी भाई।
वी टेक एम टेक गैंग मैन,
का ट्रेन में आग लगाई।
सबै गली गल चौर करत,
एम वी ए झाड़ू चलाई?
बरसी अब की रोजगार,
खेल अनेकों गौं समझाई।
आयु मंगल आनंद भयो,
चाहूं ओर बजी बधाई।
♦ सुखमंगल सिंह जी – अवध निवासी ♦
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— Conclusion —
- “सुखमंगल सिंह जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता में समझाने की कोशिश की है — रोजगार के नाम पर जो अफवाह है उसकी सच्चाई को बया किया है। कुछ राजनीतिक लोग इतना ज्यादा गिर गए है की वह आये दिन देश विरोधी हरकते कर रहे है, इनके मन में देश प्रेम से ज्यादा गद्दारी भरा हुआ है। इनके सारे बयान और कार्य देश विरोधी हो रहे है। इनका बस चले तो देश के सभी व्यवस्था को ठप कर दे। इनका इरादा हर तरफ कोहराम मचाने का है।
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यह कविता (रोजगार।) “सुखमंगल सिंह जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें, व्यंग्य / लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी कविताओं और लेख से आने वाली पीढ़ी के दिलो दिमाग में हिंदी साहित्य के प्रति प्रेम बना रहेगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे, बाबा विश्वनाथ की कृपा से।
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