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♦ छठ महापर्व – सूर्योपासना का महापर्व। ♦
🚩सनातन धर्म की जय 🚩🟢आइए छठ पर्व को समझें…
छठ महापर्व – सूर्योपासना का महापर्व – आइए इस पर्व की वैज्ञानिकता को समझें🚩तत्सवितुर्वरेण्यं – सूर्य की सविता शक्ति का पूजन।
(चार दिवसीय छठ पूजन उत्सव, 28 अक्टूबर कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से 31 अक्टूबर कार्तिक शुक्ल सप्तमी तक)
• महत्वपूर्ण तिथि व मुहूर्त •
- छठ पूजा का पहला दिन — नहाय-खाय 2022: 28 अक्टूबर, दिन शुक्रवार।
सूर्योदय: प्रात: 06 बजकर 30 मिनट पर सूर्यास्त: शाम 05 बजकर 39 मिनट पर।
शुभ समय — शोभन योग: प्रात:काल से देर रात 01 बजकर 30 मिनट सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 06 बजकर 30 मिनट से सुबह 10 बजकर 42 मिनट तक रवि योग: सुबह 10 बजकर 42 मिनट से अगली सुबह 06 बजकर 31 मिनट तक। - छठ पूजा का दूसरा दिन — लोहंडा और खरना 2022: 29 अक्टूबर, दिन शनिवार।
सूर्योदय: प्रात: 06 बजकर 31 मिनट पर सूर्यास्त: शाम 05 बजकर 38 मिनट पर।
शुभ समय — रवि योग: सुबह 06 बजकर 31 मिनट से सुबह 09 बजकर 06 मिनट तक सुकर्मा योग: रात 10 बजकर 23 मिनट से अगली सुबह तक। - छठ पूजा का तीसरा दिन — छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 2022: 30 अक्टूबर, रविवार।
सूर्यास्त: शाम 05 बजकर 38 मिनट पर।
शुभ समय — सुकर्मा योग: प्रात: काल से शाम 07 बजकर 16 मिनट तक धृति योग: शाम 07 बजकर 16 मिनट से अगली सुबह तक रवि योग: सुबह 07:26 बजे से अगले दिन सुबह 05:48 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 06:31 बजे से सुबह 07:26 बजे तक। - छठ पूजा का चौथा दिन — छठ पूजा का प्रात: अर्घ्य 2022: 31 अक्टूबर, सोमवार
सूर्योदय: प्रात: 06 बजकर 32 मिनट पर।
शुभ समय — सर्वार्थ सिद्धि योग: प्रात: 05:48 बजे से सुबह 06:32 बजे तक त्रिपुष्कर योग: प्रात: 05:48 बजे से सुबह 06:32 बजे तक।
• लोक आस्था के महापर्व के रूप में प्रसिद्ध महापर्व छठ पूजा 2022 दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में छठ पूजा बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। ये त्योहार साल में दो बार आता है। इस व्रत को पारिवारिक सुख और समृद्धि के लिए किया जाता है। ये त्योहार चार दिन तक मनाया जाता है। इस दौरान महिलाएं नदी या तालाब में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देती हैं।
• छठ की शुरुआत •
छठ की शुरुआत — ऐसी मान्यता है कि जब पांडव जुए में अपना सारा राज-पाट हार गए, तब द्रौपदी बहुत दुःखी थीं। तब श्रीकृष्ण भगवान ने उन्हें सूर्योपासना गायत्री मन्त्र अनुष्ठान के साथ करने की सलाह दी। इसी सूर्य उपासना से उन्हें अक्षय भोजन पात्र मिला जिसमे भोजन कभी कम नहीं पड़ता था। सूर्य की सविता शक्ति गायत्री को ही छठी मईया भी कहा जाता है। गायत्री कल्पवृक्ष है, इससे असम्भव भी सम्भव है। सर्वप्रथम दौपदी ने छठ का व्रत किया, तब से मान्यता है कि व्रत के साथ गायत्री अनुष्ठान और सूर्योपासना करने से दौपद्री की तरह सभी व्रती की मनोकामना पूरी होती है, तभी से इस व्रत को करने प्रथा चली आ रही है।
• छठ पूजा विधि •
छठ पूजा 4 दिनों तक की जाती है, इस व्रत की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को और कार्तिक शुक्ल सप्तमी तक चलता है। इस दौरान व्रत करने वाले लगातार 36 घंटे का व्रत रखते हैं, इस दौरान वे अन्न नहीं ग्रहण करते है, जिससे प्राणवायु अन्न पचाने में ख़र्च न हो और प्राण ऊर्जा ज्यादा से ज्यादा शरीर के 24 शक्ति केंद्रों तक पहुंचे और उन्हें जागृत कर शक्ति का संचार करे। जल प्रत्येक एक-एक घण्टे में पीते रहना चाहिए जिससे पेट की सफ़ाई हो, और आंते दूषित और पेट में जमा हुआ अन्न और चर्बी उपयोग में न ले सकें। जो लोग जल नहीं पीते उनकी आंते उनकी शरीर की चर्बी पचाते हैं, और पेट में संचित मल और अपच भोजन से शक्ति लेते है, उससे प्राणवायु शक्ति केन्द्रो तक नहीं पहुंचती।
- यदि जलाहार में असुविधा हो रही हो तो एक या दो वक़्त रसाहार अर्थात् फ़ल के जूस ले लेवें। कोई तला-भुना या ठोस आहार लेना वर्जित है।
छठ महापर्व पर अनुष्ठान मंत्र एवं विधि —
- व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य के पालन के साथ भूमि पर शयन अनिवार्य है। कम से कम सोयें और उगते हुए सूर्य का ध्यान करें।
- दिन में तीन बार पूजन होगा, पहला पूजन सूर्योदय के समय, सूर्य के समक्ष जप करने के बाद अर्ध्य देना होगा।
- दूसरा समय दोपहर का, गायत्री जप के बाद तुलसी को अर्घ्य देना होगा।
- शाम को गायत्री जप के बाद नित्य शाम को पांच दीपकों के साथ दीप यज्ञ होगा।
- इन चार दिनों में 108 माला गायत्री जप की पूरी करनी होती है। अर्थात् 27 माला रोज जप करना होगा। इसे अपनी सुविधानुसार दिनभर में जप लें।
- पूजन के वक़्त पीला कपड़ा पहनना अनिवार्य है, उपवस्त्र गायत्री मन्त्र का दुपट्टा ओढ़े। आसन में ऊनी कम्बल या शॉल उपयोग में लें।
- सूर्योपासना अनुष्ठान मन्त्र — ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्।
- दीपदान के समय महामृत्युंजय मंत्र — ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टि वर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
- सूर्य गायत्री मन्त्र — ॐ भाष्कराय विद्महे, दिवाकराय धीमहि, तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्॥
• सूर्य अर्घ्य देने की विधि •
- यदि घर के आसपास नदी तलाब या कोई जलाशय हो तो पानी में कमर तक पानी में खड़े होकर अर्घ्य दें, यदि नहीं है तो घर की छत पर या ऐसी जगह अर्घ्य दें जहाँ से सूर्य दिखें। सूर्योदय के प्रथम किरण में अर्घ्य देना सबसे उत्तम माना गया है। सर्वप्रथम प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व नित्य-क्रिया से निवृत्त्य होकर स्नान करें। उसके बाद उगते हुए सूर्य के सामने आसन लगाए।
- पुनः आसन पर खड़े होकर तांबे के पात्र में पवित्र जल लें। रक्तचंदन आदि से युक्त लाल पुष्प, चावल आदि तांबे के पात्र में रखे जल या हाथ की अंजुलि से तीन बार जल में ही मंत्र पढ़ते हुए जल अर्पण करना चाहिए। जैसे ही पूर्व दिशा में सूर्योदय दिखाई दे आप दोनों हाथों से तांबे के पात्र को पकड़कर इस तरह जल अर्पण करे की सूर्य तथा सूर्य की किरण जल की धार से दिखाई दें।
- ध्यान रखें जल अर्पण करते समय जो जल सूर्य देव को अर्पण कर रहें है वह जल पैरों को स्पर्श न करे। सम्भव हो तो आप एक पात्र रख लीजिये ताकि जो जल आप अर्पण कर रहे है उसका स्पर्श आपके पैर से न हो पात्र में जमा जल को पुनः किसी पौधे में डाल दे। यदि सूर्य भगवान दिखाई नहीं दे रहे है तो कोई बात नहीं आप प्रतीक रूप में पूर्वाभिमुख होकर किसी ऐसे स्थान पर ही जल दे जो स्थान शुद्ध और पवित्र हो। जो रास्ता आने जाने का हो भूलकर भी वैसे स्थान पर अर्घ्य (जल अर्पण) नहीं करना चाहिए।
• सूर्य अर्घ्य मन्त्र •
ॐ सूर्य देव सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते।
अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:॥
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय।
मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा :॥
ऊँ सूर्याय नमः। ऊँ घृणि सूर्याय नमः।
ऊं भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात॥
• छठ पूजा 2022 का प्रसाद •
छठ पूजा में कई तरह के पकवान बनाए जाते हैं, इस दौरान छठी मैया को लड्डू, खीर, ठेकुआ, फल और कष्ठा जैसे व्यंजन के भोग लगाए जाते हैं। छठ पर कई प्रकार के पारंपरिक मिठाई भी बनाई जाती हैं। प्रसाद में लहसुन और प्याज का उपयोग नहीं किया जाता है।
जय सूर्य देव!
इन्ही शुभकामनाओं के साथ — शुभमस्तु।
♦ डॉ विदुषी शर्मा जी – नई दिल्ली ♦
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- ” लेखिका डॉ विदुषी शर्मा जी“ ने अपने इस लेख से, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से बखूबी समझाने की कोशिश की है — छठ महापर्व (सूर्योपासना का महापर्व) के महत्वपूर्ण तिथि व मुहूर्त, छठ पूजा विधि, छठ महापर्व पर अनुष्ठान मंत्र एवं विधि, सूर्य अर्घ्य देने की विधि, सूर्य अर्घ्य मन्त्र इत्यादि के बारे में विस्तार से बताया है। शास्त्रों में बताया गया है कि माता छठी भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री हैं। साथ ही कई जगह इन्हें सूर्य देव की बहन के रूप में भी बताया गया है। माना जाता है कि माता छठी की उपासना करने से संतान को लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है। संतान प्राप्ति के लिए भी माता छठी की उपासना को बहुत कारगर माना गया है। छठ माता लोगों को समृद्धि, धन, बच्चे, सभी कुछ का आशीर्वाद देती है। वह हमारी सभी इच्छाओं को पूरा करती है और अपने भक्तों को आशीर्वाद देती है। लोगों का बहुत दृढ़ विश्वास है, इसीलिए हर साल वे इस अवसर को बहुत ईमानदारी से मनाते हैं। वह हमारे जीवन को आनंद और खुशी से भर देती है जो हम सभी को पसंद है।
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यह लेख (छठ महापर्व – सूर्योपासना का महापर्व।) “डॉ विदुषी शर्मा जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख / कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम डॉ विदुषी शर्मा, (डबल वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर) है। अकादमिक काउंसलर, IGNOU OSD (Officer on Special Duty), NIOS (National Institute of Open Schooling) विशेषज्ञ, केंद्रीय हिंदी निदेशालय, उच्चतर शिक्षा विभाग, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार।
ग्रंथानुक्रमणिका —
- डॉ राधेश्याम द्विवेदी — भारतीय संस्कृति।
- प्राचीन भारत की सभ्यता और संस्कृति — दामोदर धर्मानंद कोसांबी।
- आधुनिक भारत — सुमित सरकार।
- प्राचीन भारत — प्रशांत गौरव।
- प्राचीन भारत — राधा कुमुद मुखर्जी।
- सभ्यता, संस्कृति, विज्ञान और आध्यात्मिक प्रगति — श्री आनंदमूर्ति।
- भारतीय मूल्य एवं सभ्यता तथा संस्कृति — स्वामी अवधेशानंद गिरी (प्रवचन)।
- नवभारत टाइम्स — स्पीकिंग ट्री।
- इंटरनेट साइट्स।
ज़रूर पढ़ें — साहित्य समाज और संस्कृति।
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