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♦ श्री लाल बहादुर शास्त्री जयंती। ♦
श्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय उत्तर प्रदेश में मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव के यहां हुआ था उनकी माता का नाम राज दुलारी था। शास्त्री जी के पिता प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक थे। पिता के निधन के बाद उनकी परवरिश उनके नाना जी के यहां हुई, प्राथमिक शिक्षा उनकी वहीं हुई इसके बाद हरिश्चंद्र चंद्र हाई स्कूल की शिक्षा काशी विद्यापीठ में हुई।
काशी विद्यापीठ से शात्री की उपाधि मिलते ही अपने नाम से जाति सूचक शब्द श्रीवास्तव हमेशा के लिए हटा दिया और अपने नाम के आगे शास्त्री लगा लिया।
श्री लाल बहादुर शास्त्री ने नारा “करो या मरो” का नारा दिया इस नारे ने देश में प्रचंड क्रांति को जन्म दिया। उनका एक और नारा “जय जवान जय किसान” आज भी लोगों को याद है।
अंग्रेजो के खिलाफ महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन में श्री लाल बहादुर शास्त्री थोड़े समय के लिए (1921) में जेल गए रिहा होने पर राष्ट्रवादी विश्वविद्यालय काशी विद्यापीठ वर्तमान में (महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ) में अध्ययन किया संस्कृत भाषा में स्नातक की शिक्षा के बाद भारतीय सेवा संघ से जुड़ गए। स्वतंत्रता संग्राम के सभी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों व आंदोलनों में उनकी सक्रिय भूमिका निभाई। कई बार जेल भी गए। उसमें 1921 का असहयोग आंदोलन 1930 का दांडी मार्च और 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन उल्लेखनीय है।
1929 में इलाहाबाद आने के बाद टंडन जी के साथ भारत सेवक संघ की इलाहाबाद इकाई के सचिव के रूप में काम करना शुरू किया नेहरू जी के साथ उनकी निकटता बढ़ी।
1961 में मंत्रिमंडल में गृहमंत्री का पद मिला, नेहरू जी के मरने के बाद शास्त्री जी 1964 में वह भारत के प्रधानमंत्री बने। पड़ोसी पाकिस्तान से युद्ध के दौरान दिखाई गई साहस के लिए बहुत प्रशंसा हुई।
श्री शास्त्री जी की मृत्यु 1966 में हुई उनके मरणोपरांत “भारत रत्न” से सम्मानित किया गया। शास्त्री जी को उनकी सादगी और देशभक्ति के लिए आज भी पूरा देश श्रद्धा से नमन करता है।
♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦
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- “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — श्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी से सात मील दूर एक छोटे से रेलवे टाउन, मुगलसराय में हुआ था। उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे। जब लाल बहादुर शास्त्री केवल डेढ़ वर्ष के थे तभी उनके पिता का देहांत हो गया था। उनकी माँ अपने तीनों बच्चों के साथ अपने पिता के घर जाकर बस गईं। शास्त्री जी को उनकी सादगी और देशभक्ति के लिए आज भी पूरा देश श्रद्धा से नमन करता है।
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यह लेख (श्री लाल बहादुर शास्त्री जयंती।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
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