Kmsraj51 की कलम से…..
ϒ अन्नदाता – किसान…। ϒ
अन्नदाता
Farmer poetry in hindi
खून पसीने की फिर वही कहानी…..
झुलस रहा है बदन धूप में,
आखों में आशाएं भी है,
सर पर है मटियाला साफा,
पैरों में गरीबी साये भी है।
दूर तलक दिखते खेत है,
सूरज उनको तपाये भी है,
सूखे से भयभीत है किसान,
जो कर्ज में खुद को दबाए भी है।
जब बादल घिरते आसमान में,
लेती अँगड़ाई जब पुरवाई भी है,
मिट्टी में रहती नमी उस पल,
तब दिखती खेतों में हरियाली भी है।
प्याज से सूखी रोटी खाते है,
गीत वो सावन के गाते है,
श्रम से सींचे खेत है उन्होंने,
अनाज दूसरे छीन ले जाते है।
भूखे परिवार का पेट है भरते,
बेटी ब्याहने की चिंताएं भी है,
दो रोज का आराम मयस्सर नहीं,
खुद को पसीने में नहलाये भी है।
रक्षक सरकारी प्रताड़ित है करते,
साहूकार खूब धमकाते भी है,
चुनावों में जब बात है होती,
तब मन में जगती अभिलाषाएं भी है।
फिर छा जाता है वही अंधेरा,
होती फिर वही निराशा भी है,
खून पसीने की फिर वही कहानी,
वही किसान की पीड़ा भी है।
मौसम आते रूप बदल- बदल,
कुछ कुछ होती बरसाते भी है,
बच्चों की पढ़ाई दिन-रात सताती,
जीवन में काली घटाएं भी है।
जिम्मेदारियों का बोझ है सर पर,
दम तोड़ती सुख की लालसाएं भी है,
वह लाचार किसान है भारत का,
खादी और खाकी उनको सताए भी है।
आलस जरा न उसमें रहता ,
कष्टों के बीच वह मुस्कुराए भी है,
फिर क्यों बेबस है किसान आज ,
जो फाँसी को गले लगाये भी हैं।
©- डॉ मुकेश कुमार, – दिल्ली। ∇
♥ शिक्षक (हिंदी विषय) और मेंटोर शिक्षक रा. रा.क्षेत्र दिल्ली ♥
हम दिल से आभारी हैं ♥ डॉ मुकेश कुमार – जी के प्रेरणादायक हिन्दी कविता “किसान” साझा करने के लिए।
About Dr. Mukesh Kumar – डॉ मुकेश कुमार जी के शब्दाें में –
लेखन – विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में।
रुचि: – कविता, कहानी, समीक्षा, शैक्षिक मुद्दों और समसामयिक मुद्दों आदि पर लिखना।
पिछले 19 वर्षों से साहित्य सेवा में अपनी भागीदार।
हिंदी साहित्य से जुड़े लेखकों एवं उनकी रचनाओं को पढ़ना।
योग्यता – पी. एच. डी. ♦ एम. एड. ♦ जे.आर. एफ.
शोध विषय – (पी. एच. डी.) विद्यासागर नोटियाल : व्यक्तित्व एवं कृतित्व,
शोध विषय : एम. एड
(बहुभाषिकता एवं अधिगम : नई युक्तियाँ सामग्रियां और संभावनाएं)
डॉ मुकेश कुमार जी के लिए मेरे विचार:
♣ “डॉ मुकेश कुमार जी” ने कविता के माध्यम से खून पसीने की फिर वही कहानी, अन्नदाता किसान के मेहनती जीवन की कड़वी सच्चाई – “किसान”, का सुंदर वर्णन किया है। जाे हर एक शब्द पर विचार सागर-मंथन कर हृदयसात करने योग्य हैं। कविताऐं छोटी और सरल शब्दाे में हाेते हुँये भी हृदयसात करने योग्य हैं। जाे भी इंसान इन कविताओं काे गहराई(हर शब्दाे का सार) से समझकर आत्मसात करें, उसका जीवन धन्य हाे जायें।
♥••—••♥
ϒ यह कविता जरूर पढ़े – मजदूर…। ϒ
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