• Skip to main content
  • Skip to primary sidebar
  • Skip to footer
  • HOME
  • ABOUT
    • Authors Intro
  • QUOTES
  • POETRY
    • ग़ज़ल व शायरी
  • STORIES
  • निबंध व जीवनी
  • Health Tips
  • CAREER DEVELOPMENT
  • STUDENT PAGE
  • योग व ध्यान

KMSRAJ51-Always Positive Thinker

“तू ना हो निराश कभी मन से” – (KMSRAJ51, KMSRAJ, KMS)

Check out Namecheap’s best Promotions!

Domain & Hosting bundle deals!
You are here: Home / 2022-KMSRAJ51 की कलम से / कर्मों का फल।

कर्मों का फल।

Kmsraj51 की कलम से…..

Table of Contents

  • Kmsraj51 की कलम से…..
    • ♦ कर्मों का फल। ♦
      • आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
    • Please share your comments.
    • आप सभी का प्रिय दोस्त
      • ———– © Best of Luck ® ———–
    • Note:-
      • “सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

♦ कर्मों का फल। ♦

मनुष्य का जीवन एक खेत की तरह है, जिसमें उसके कर्म बोए जाते हैं और मनुष्य अपने कर्मों के अच्छे व बुरे फल काटते हैं। बुरे कर्म करने वाले बुराई की दल-दल में फंस कर बुराई बटोरता रहता है; आम बोने वाला आम खाता है, बबूल बोने वाले के नसीब में कांटा ही कांटा होता है।

बबूल बोकर आम प्राप्त करने की कामना, प्रकृति के नियम के विरुध्द है, असंभव है, उसी प्रकार बुराई के बीज बोकर भलाई की उम्मीद करना, मृत इन्सान को जिन्दा देखने के समान है।

इतिहास गवाह है; कार्य कभी कारण रहित नहीं होते और कोई भी परिणाम अकारण नहीं होता। जो परीक्षा ही नहीं देगा उसका परिणाम कैसे निकलेगा। परिणाम हमेशा व्यक्ति के कर्मों की कलम से लिखी जाती है।

भाग्य का निर्माण कर्म से ही होता है। समाज, राष्ट्र या व्यक्ति कभी बुराई से नहीं पनपता। जीवन के हर क्षण का लेखा-जोखा भगवान चित्रगुप्त के पास होता है, कोई प्राणी बुरा कर्म करके बच नहीं सकता। जल कीचड़ से बहेगा, सड़े हुए चीज में दुर्गंध होगी, गंदे नाले का पानी पेय होगा-यह मात्र भ्रम है। सच्चाई से कोई वास्ता नहीं, ठीक उसी प्रकार बुरे कर्म, धोखे की असफलताएँ “पतन” और अपयश को जन्म देती है, कर्म फल अकाट्य है।

कल की सुबह का पता नहीं, लेकिन योजना लम्बी बनाने वाले, अंहकार में चूर इन्सान, दूसरे के विनाश की सोच रखने वाले, गरीबों का खून चूसने वाले, अपने कर्म की परवाह न करने वाले, अमावस्या की रात को चांदनी की कल्पना करते है जो कभी संभव नहीं है।

जैसा अन्न वैसा मन, अगर एक लड़के का चप्पल समुद्र में चला जाए तो वह समुद्र को चोर कहेगा, अगर किसी को मोती मिल जाए तो वह दानी कहेगा, जैसा अन्ना, वैसा मन, जैसी भावना, वैसा विचार। जिसे तुम अच्छा मानते हो, यदि उसे अपने व्यवहार में नहीं लाते, तो यह तुम्हारी कायरता है। अगर भय तुम्हें ऐसा करने से रोकता है तो न तो तुम्हारा चरित्र उठेगा और ना हीं तुम्हें प्रतिष्ठा मिलेगी।

मन की इच्छा को बार-बार दबाना, अपने विचारों को खुलकर व्यक्त नहीं करना, आत्महत्या करने के समान है। यदि ऐसा करके कोई किसी लाभ की उम्मीद करके बैठा है तो वह बहुत बड़े धोखे में है, बिन बादल बरसात की आश में है।

मनुष्य का जीवन दुःखों से भरा है, शारीरिक, आर्थिक, मानसिक, सामाजिक, चाहे कुछ भी हो, हर इन्सान इससे निजात पाने के लिए, सुख की प्राप्ति के लिए हर संभव प्रयास करता है; परन्तु विडंबना यह है कि कुछ ही लोगों को सुख की प्राप्ति होती है। अधिकतर लोगों की झोली में असफलता, असंतोष, अभाव, अतृप्ति एंव दुःख ही मिलता है। लोग भटकते हैं सुख की प्राप्ति के लिए, लेकिन मिलता है दुःख, अपमान, यही पीड़ा और वेदना है हर इन्सान की।

सुख ढूढ़ने वाले ये भूल जाते हैं कि दुःख कहीं बाहर से नहीं आता, दुःखों का मूल हमारे भीतर होता है। बाहर ढूढ़ने के कारण तो हजारों हो सकते हैं लेकिन समाधान कहीं नहीं मिल सकता। दुःखों से मुक्ति पाने के लिए दृष्टिकोण में बदलाव लाते हुए, दिल की गहराई में आत्मसात करना होगा।

जिम्मेदार कोई और नहीं- “केवल मैं खुद हूँ” ये हमारे ही द्वारा किए गए कर्मों का परिणाम है। बाहर दिखने वाली हर चीज अन्दर की छाया है। सुख हो या दुःख, आनंद हो या विषाद, सम्मान हो या अपमान – ये सभी अपने कर्मों का ही फल है। स्वंय पर जिम्मेदारी लेने के बाद ही दृष्टिकोण में बदलाव संभव है। क्रांन्ति उन्हीं के जीवन में घटती है जो जिम्मेदारी लेना जानते हैं। जो अपनी गलतियों के लिए दूसरों को दोषी ठहराते हैं वो अपने अन्दर बदलाव कभी नहीं ला सकते।

दुःख का कारण अपने अंदर तलाशने वाले ही समाधान ढूढ़ सकते हैं। किसी इन्सान को यह पता नहीं, वह कब तक जिन्दा रहेगा। अगर किसी को यह पता चल जाए कि कल उसकी मौत निश्चित है; तो क्या उसका व्यवहार वही रहेगा जो वह प्रतिदिन रखता है। निश्चित रुप से उसके व्यवहार में बदलाव आ जाएगा, किसी का दिल नहीं दुखाएगा, अंहकार त्याग देगा, विनम्र भाव से पेश आएगा, हर गलत कर्मों के लिए माफी मांगेगा, माया-मोह के बंधन से मुक्त होने की कोशिश करेगा। जब यही सत्य है कि जीवन अपने हाथ में नहीं तो अपने कर्मों को सुधार कर क्यूं न अच्छा मनुष्य बने।

किसी को दोष देने से बेहतर है खुद को दोषी मानें; यही सत्य है।

“जिन्दगी है बहुत छोटी, इसका न कोई ठिकाना।
किसके लिए बना रहे हो, ये महल, ये आशियाना॥”

♦ भोला शरण प्रसाद जी – सेक्टर – 150/नोएडा – उत्तर प्रदेश ♦

—————

  • “भोला शरण प्रसाद जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — देर हो सकता है लेकिन अंधेर नहीं होता हैं; कर्मो का फल एक न एक दिन जरूर मिलता हैं। अगर किसी को यह पता चल जाए कि कल उसकी मौत निश्चित है; तो क्या उसका व्यवहार वही रहेगा जो वह प्रतिदिन रखता है। निश्चित रुप से उसके व्यवहार में बदलाव आ जाएगा, किसी का दिल नहीं दुखाएगा, अंहकार त्याग देगा, विनम्र भाव से पेश आएगा, हर गलत कर्मों के लिए माफी मांगेगा, माया-मोह के बंधन से मुक्त होने की कोशिश करेगा। जब यही सत्य है कि जीवन अपने हाथ में नहीं तो अपने कर्मों को सुधार कर क्यूं न अच्छा मनुष्य बने। इतिहास गवाह है; कार्य कभी कारण रहित नहीं होते और कोई भी परिणाम अकारण नहीं होता। जो परीक्षा ही नहीं देगा उसका परिणाम कैसे निकलेगा। परिणाम हमेशा व्यक्ति के कर्मों की कलम से लिखी जाती है।

—————

यह लेख (कर्मों का फल।) “भोला शरण प्रसाद जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं भोला शरण प्रसाद बी. एस. सी. (बायो), एम. ए. अंग्रेजी, एम. एड. हूं। पहले केन्द्रीय विघालय में कार्यरत था। मेरी कई रचनाऍं विघालय पत्रिका एंव बाहर की भी पत्रिका में छप चूकी है। मैं अंग्रेजी एंव हिन्दी दोनों में अपनी रचनाऍं एंव कविताऍं लिखना पसन्द करता हूं। देश भक्ति की कविताऍं अधिक लिखता हूं। मैं कोलकाता संतजेवियर कालेज से बी. एड. किया एंव महर्षि दयानन्द विश्वविघालय रोहतक से एम. एड. किया। मैं उर्दू भी जानता हूं। मैं मैट्रीकुलेशन मुजफ्फरपुर से, आई. एस. सी. एंव बी. एस. सी. हाजीपुर (बिहार विश्वविघालय) बी. ए. (अंग्रेजी), एम. ए. (अंग्रेजी) बिहार विश्वविघालय मुजफ्फरपुर से किया। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है। इस Platform के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

अपने विचार Comments कर जरूर बताये, और हमेशा नए Post को अपने ईमेल पर पाने के लिए – ईमेल सब्सक्राइब करें – It’s Free !!

Please share your comments.

आप सभी का प्रिय दोस्त

©KMSRAJ51

जैसे शरीर के लिए भोजन जरूरी है वैसे ही मस्तिष्क के लिए भी सकारात्मक ज्ञान और ध्यान रुपी भोजन जरूरी हैं।-KMSRAj51

———– © Best of Luck ® ———–

Note:-

यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ Share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी ID है: kmsraj51@hotmail.com पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!

“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)

“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।”

 

“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”~KMSRAj51

 

 

____ अपने विचार Comments कर जरूर बताएं! ____

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Pinterest
  • WhatsApp
  • Skype
  • Tumblr
  • Telegram
  • Reddit

Related

Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, भोला शरण प्रसाद जी की रचनाएँ।, हिन्दी साहित्य Tagged With: importance of karma, karmo ka phal, कर्म का महत्व, कर्म के सिद्धांत का महत्व, कर्म फल का सिद्धांत, कर्मों का फल, कर्मों का फल - भोला शरण प्रसाद, कर्मों का फल पर निबंध, क्यूं न अच्छा मनुष्य बने, धोखे की असफलताएँ “पतन” और अपयश को जन्म देती है, प्रबल कर्म सिद्धांत, भोला शरण प्रसाद, भोला शरण प्रसाद की रचनाएँ, सड़े हुए चीज में दुर्गंध होगी

Domains + Hosting + Security

Reader Interactions

Leave a Reply Cancel reply

Primary Sidebar

Recent Posts

  • अमृत महोत्सव।
  • एक नजर इन पर भी।
  • रेशम की डोर बेजोड़।
  • रक्षा बंधन।
  • भाई बहन का प्यार।
  • आफताब बन जाऊँगा।
  • राखी-साखी।
  • रक्षा सूत्रों का।
  • राखी।
  • धागे का प्रेम।
  • वाह रे ओ खुदगर्ज इंसान।
  • पावन बेला।
  • स्वप्न कुसुम।
  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू।
  • राखी।
  • बारिश के नए – नए रूप।
  • संवेदना।

KMSRAJ51: Motivational Speaker

https://www.youtube.com/watch?v=0XYeLGPGmII

BEST OF KMSRAJ51.COM

अमृत महोत्सव।

एक नजर इन पर भी।

रेशम की डोर बेजोड़।

रक्षा बंधन।

भाई बहन का प्यार।

आफताब बन जाऊँगा।

राखी-साखी।

रक्षा सूत्रों का।

राखी।

धागे का प्रेम।

वाह रे ओ खुदगर्ज इंसान।

Audiobooks Now

AudiobooksNow - Digital Audiobooks for Less

Affiliate Marketing Network

HD – Camera

Free Domain Privacy

Footer

Protected by Copyscape

KMSRAJ51

DMCA.com Protection Status

Copyright © 2013 - 2022 KMSRAJ51.COM - All Rights Reserved. KMSRAJ51® is a registered trademark.