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गाँव की व्यथा।

Kmsraj51 की कलम से…..

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    • ♦ गाँव की व्यथा। ♦
      • आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
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♦ गाँव की व्यथा। ♦

लोग थे मेरे भोले भाले,
लोग थे मेरे भोले भाले।
लाखो संकट सहन किए,
मानव को मानवता मे रहने दिए,
कभी ना हुए ओ मन के काले।

चका चौध की इस दुनिया को,
शांति उनकी रास न आई।
कई अंधेरों ने आगे आकर,
उलटी उनको राह दिखाई।

देश से विदेश गए कुछ,
गाँव से प्रदेश गए कुछ।
लगी भनक जब चका चौध की,
अपनों को ही मानने लगे तुच्छ।

पर औकात क्या थी,
उनकी ऐसा करने की।
अगर जागरूक सरकारी तंत्र होता,
उन भोले ग्रामीणों के लिए,
इनके पास उन्नति का मंत्र होता।

भेज दिया गाँव को ढूंढने,
एक पतली सी सड़क को।
हाफ़्ती हाफ़्ती गाँव पहुंची,
बची कसर पूरी करने को।

आना था उसे वर्षो पहले,
बड़ी उलझनों से आज आई।
ग्रामीण संस्कृति को आँख दिखाकर,
फिर वह सभ्य कहलाई।

उदय होता…
सम्पूर्ण सनातनता का।
यदि गाँव का पूर्ण उदय होता,
रखते लाज मेरे संरक्षण की।
हाल न आज ऐसा होता,
लोग थे मेरे भोले भाले,
लोग थे मेरे भोले भाले।

♥ गाँव को समर्पित कविता। ♥

♦ लाल सिंह वर्मा जी – जिला – सिरमौर, हिमाचल प्रदेश ♦

—————

• Conclusion •

  • “लाल सिंह वर्मा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — देश से विदेश गए कुछ, गाँव से प्रदेश गए कुछ। आखिर क्यों आजकल के बच्चें गांव से शहर को जाकर वहां की लगी भनक जब चका चौध की अपना सुध-बुध खोकर गांव वालों को व अपनों को ही मानने लगे तुच्छ। पर औकात क्या थी, उनकी ऐसा करने की। अगर जागरूक सरकारी तंत्र होता तो उन भोले ग्रामीणों के लिए, इनके पास भी उन्नति का मंत्र होता। गांव भी उन्नति से सराबोर होता। अभी कुछ समय पहले जब कोरोना आया था तो सभी को अपना गांव ही याद आया सभी बचने के लिए गांव भागकर आये। उदय होता… सम्पूर्ण सनातनता का, यदि गाँव का पूर्ण उदय होता। रखते लाज मेरे संरक्षण की हाल न आज ऐसा होता। गांव के लोग थे मेरे भोले भाले। एक बात याद रखना – आज भी गांव में इंसानियत जीवित है, ताज़ी हवा व खानपान सात्विक है, सभी मिल जुलकर प्रेम से रहते है, मुसीबत में एक दूसरे के काम आते है। जब जब तुम तकलीफ में रहोगे तुम्हे अपना गांव ही याद आएगा।

—————

यह कविता (गाँव की व्यथा।) “लाल सिंह वर्मा जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।

आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—

मैं लाल सिंह वर्मा सुपुत्र श्री भिन्दर सिंह, गांव – खाड़ी, पोस्ट ऑफिस – खड़काहँ, तहसील – शिलाई, जिला – सिरमौर, हिमाचल प्रदेश का निवासी हूँ। मैं एक शिक्षक हूं, शिक्षा विभाग में भाषा अध्यापक के पद पर कार्यरत हूँ। शिक्षा से शुरू से लगाव रहा है। लेखन मेरी Hobby है, हिंदी भाषा से सम्बन्धित साहित्यिक विधाओं में रचनाएं लिखना तथा विशेष रूप से सांस्कृतिक, आध्यात्मिक व मानवीय मूल्यों से सम्बन्धित रचनाओं का अध्ययन करना पसंद है। इस Platform (KMSRAJ51.COM) के माध्यम से सुधारात्मक संदेश दे पाऊं, यही अभिलाषा है।

शैक्षिक योग्यता – J.B.T, BEd., MA in English and MA in Hindi, हिंदी विषय में राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण की है। अध्यापक पात्रता परीक्षा L.T., J.B.T., TGT पास की है। केंद्र विश्वविद्यालय PHD• (पीएचड•) प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की है।

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Filed Under: 2022-KMSRAJ51 की कलम से, लाल सिंह वर्मा जी की कविताएं।, हिंदी कविता, हिन्दी-कविता Tagged With: Hindi Poems, कवि‍ताएँ, गाँव की मिट्टी, गाँव की यादें पर कविता, गाँव की व्यथा, गाँव की व्यथा - लाल सिंह वर्मा, गाँव पर कविता, गांव पर कविता इन हिंदी, बचपन की मासूमियत शायरी, बचपन की यादें इन हिंदी, लाल सिंह वर्मा, लाल सिंह वर्मा जी की कविताएं, शहर और गांव पर कविता

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