Kmsraj51 की कलम से…..
♥ गायत्री महामंत्र और उसका अर्थ। ♥
गायत्री महामंत्र :
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
भावार्थ :
उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।
ध्यान दें –
? ? ?
गायत्री उपासना के फलस्वरूप साधक में असंयम के लिए स्थान नहीं रहता, अतएव बीमारी और कमजोरी से भी उसे छुटकारा मिल जाता है। जो बीमारियाँ बहुत दिनों से शरीर में प्रवेश किए हुए थीं, बहुत दवा-दारू करने पर भी ठीक नहीं हो रही थीं, वे गायत्री उपासना से अपने आप ठीक होती देखी गई हैं। असाध्य रोगी मृत्यु के मुँह में से वापस लौटते देखे गए हैं। साधना द्वारा शरीर में सतोगुण की वृद्धि करना एक ऐसी रामबाण औषधि है, जिसके सामान सारे चिकित्सा शास्त्र में अन्य कोई वस्तु नहीं मिल सकती।
© युगऋषि वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य। ®
Please Share your comment`s.
© आप सभी का प्रिय दोस्त ®
Krishna Mohan Singh(KMS)
Head Editor, Founder & CEO
of,, http://kmsraj51.com/
———– @ Best of Luck @ ———–
Note::-
यदि आपके पास हिंदी या अंग्रेजी में कोई Article, Inspirational Story, Poetry या जानकारी है जो आप हमारे साथ share करना चाहते हैं तो कृपया उसे अपनी फोटो के साथ E-mail करें. हमारी Id है: kmsraj51@hotmail.com. पसंद आने पर हम उसे आपके नाम और फोटो के साथ यहाँ PUBLISH करेंगे. Thanks!!
Also mail me ID: cymtkmsraj51@hotmail.com (Fast reply)
– कुछ उपयोगी पोस्ट सफल जीवन से संबंधित –
* विचारों की शक्ति-(The Power of Thoughts)
* KMSRAJ51 के महान विचार हिंदी में।
* खुश रहने के तरीके हिन्दी में।
* अपनी खुद की किस्मत बनाओ।
* सकारात्मक सोच है जीवन का सक्सेस मंत्र
* चांदी की छड़ी।
“सफलता का सबसे बड़ा सूत्र”(KMSRAJ51)
“स्वयं से वार्तालाप(बातचीत) करके जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसा करके आप अपने भीतर छिपी बुराईयाें(Weakness) काे पहचानते है, और स्वयं काे अच्छा बनने के लिए प्रोत्सािहत करते हैं।”
In English
Amazing changes the conversation yourself can be brought tolife by. By doing this you Recognize hidden within the buraiyaensolar radiation, and encourage good solar radiation to becomethemselves.
~KMSRAJ51 (“तू ना हो निराश कभी मन से” किताब से)
“अगर अपने कार्य से आप स्वयं संतुष्ट हैं, ताे फिर अन्य लोग क्या कहते हैं उसकी परवाह ना करें।”
-KMSRAJ51
____Copyright © 2013 – 2015 Kmsraj51.com All Rights Reserved.____
kuldeep thakur says
आप की लिखी ये रचना….
09/08/2015 को लिंक की जाएगी…
http://www.halchalwith5links.blogspot.com पर….
Kmsraj51 says
thanks kuldeep ji