Kmsraj51 की कलम से…..
♥ काँच और हीरा। ♥
एक राजा का दरबार लगा हुआ था। क्योंकि सर्दी का दिन था इसलिये राजा का दरवार खुले में बैठा था। पूरी आम सभा सुबह की धूप में बैठी थी। महाराज ने सिंहासन के सामने एक टेबल जैसी कोई कीमती चीज रखी थी। पंडित लोग दीवान आदि सभी दरवार में बैठे थे। राजा के परिवार के सदस्य भी बैठे थे। उसी समय एक व्यक्ति आया और प्रवेश मागा, प्रवेश मिल गया तो उसने कहा मेरे पास दो वस्तुए है मै हर राज्य के राजा के पास जाता हूँ और अपनी बात रखता हूँ कोई परख नही पाता सब हार जाते है और मैं विजेता बनकर घूम रहा हूँ अब आपके नगर में आया हूँ।
राजा ने बुलाया और कहा क्या बात है तो उसने दोनो वस्तुये टेबल पर रख दी बिल्कुल समान आकार समान रुप रंग समान प्रकाश सब कुछ नख सिख समान राजा ने कहा ये दोनो वस्तुए एक है तो उस व्यक्ति ने कहा हाँ दिखाई तो एक सी देती है लेकिन है भिन्न। इनमे से एक है बहुत कीमती हीरा और एक है काँच का टुकडा।
लेकिन रूप रंग सब एक है कोई आज तक परख नही पाया की कौन सा हीरा है और कौन सा काँच कोई परख कर बताये की ये हीरा है ये काँच। अगर परख खरी निकली तो मैं हार जाउगा और यह कीमती हीरा मैं आपके राज्य की तिजोरी में जमा करवा दूगां।
यदि कोई न पहचान पाया तो इस हीरे की जो कीमत है उतनी धनराशि आपको मुझे देनी होगी। इसी प्रकार मैं कई राज्यों से जीतता आया हूँ। राजा ने कहा मैं तो नही परख सकूगा, दीवान बोले हम भी हिम्मत नही कर सकते क्योंकि दोनो बिल्कुल समान है। सब हारे कोई हिम्मत नही जुटा पाया।
हारने पर पैसे देने पडेगे इसका कोई सवाल नही, क्योकि राजा के पास बहुत धन है राजा की प्रतिष्ठा गिर जायेगी इसका सबको भय था। कोई व्यक्ति पहचान नही पाया, आखिरकार पीछे थोडी हलचल हुइ एक अंधा आदमी हाथ में लाठी लेकर उठा उसने कहा मुझें महाराज के पास ले चलो, मैंने सब बाते सुनी है और यह भी सुना कि कोई परख नही पा रहा है।
एक अवसर मुझें भी दो, एक आदमी के सहारे वह राजा के पास पहुचा। उसने राजा से प्रार्थना की मैं तो जन्म से अंधा हूँ, फिर भी मुझें एक अवसर दिया जाये, जिससे मैं भी एक बार अपनी बुद्धि को परखू और हो सकता है कि सफल भी हो जाऊ और यदि सफल न भी हुआ तो वैसे भी आप तो हारे ही है।
राजा को लगा कि इसे अवसर देने में क्या हरज है। राजा ने कहा ठीक है तो उस अंधे आदमी को दोनो चीजे छुआ दी गयी और पूछा गया इसमे कौन सा हीरा है और कौन सा काँच यही परखना है।
कथा कहती है कि उस आदमी ने एक मिनट में कह दिया कि यह हीरा है और यह काँच।
जो आदमी इतने राज्यों को जीतकर आया था, वह नतमस्तक हो गया और बोला सही है। आपने पहचान लिया धन्य हो आप। अपने वचन के मुताबिक यह हीरा मैं आपके राज्य की तिजोरी में दे रहा हूँ।
सब बहुत खुश हो गये और जो आदमी आया था। वह भी बहुत प्रसन्न हुआ कि कम से कम कोई तो मिला परखने वाला। वह राजा और अन्य सभी लोगो ने उस अंधे व्यक्ति से एक ही जिज्ञासा जताई कि तुमने यह कैसे पहचाना कि यह हीरा है और वह काँच।
उस अंधे ने कहा की सीधी सी बात है मालिक धूप में हम सब बैठे है। मैने दोनो को छुआ जो ठंडा रहा वह हीरा जो गरम हो गया वह काँच।
जीवन में भी देखना जो बात – बात में गरम हो जाये उलझ जाये वह काँच जो विपरीत परिस्थिति में भी ठंडा रहे वह हीरा है।
“खुद को कंकड़ पत्थर मत समझो।”
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NAVEEN KUMAR says
verygood
On 7/31/15, KMSRAJ51-Always Positive Thinker
Kmsraj51 says
thanks