Kmsraj51 की कलम से…..
ϒ हरियाली। ϒ
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हरियाली घर आंगन आये
दिल से आओ प्यार करें
गगन के पक्षी डाल डाल से
कलरव में गुणगान करें |
कोयल की माधुरी वाणी हो
कागा बैठा ध्यान करे
लेकर अभिलाषा मन दिल में
कोना – कोना ज्ञान भरें |
लछिमन चिड़िया ‘मंगल ‘ गाए
गाडी बैठे झाँक लगाए
लाल – गुलाबी नीली -पीली
धानी मानी वसन बनाये |
मूल भूत पाषाण शिलायें
उठकर खुद नाम लिखाएं
विविध यतन के दाना डालें
उँघे धरातल जाल विछाएँ |
नहीं कहीं कोलाहल हो
हरियाली का जाल बिछायें ||
– सुखमंगल सिंह ‘ मंगल ‘
वाराणसी

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