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Guru | गुरु।
गुरु शब्द है छोटा पर महत्व है बड़ा।
गर न हो गुरु तो समझो जीवन अधूरा पड़ा॥
सबसे पहले गुरु माँ बाप है होते।
जो अपनी संतान को संस्कारों की शिक्षा है देते॥
द्वितीय गुरु पाठशाला में शिक्षक है होते।
शाब्दिक और व्यावहारिक ज्ञान जो है देते॥
हमें लक्ष्य निर्धारित करना है सिखाते।
लक्ष्य भेदने का मंत्र भी जरूर है बताते॥
सुख – दुःख जब भी आए।
उनका सामना करने की लौ भी जगाए॥
आत्मसम्मान और आत्मबल का भी बोध हैं करवाते।
अभिमान न कभी आए इसका भी एहसास जरूर दिलाते॥
बड़ों का आदर सम्मान करना है सिखाते।
छोटों से प्यार करना भी जरूर बताते॥
गुरु का सम्मान जहाँ भी है होता।
जीवन उनका सफल हो जाता॥
आज गुरु को उतना सम्मान नहीं मिल पाता।
गुरु अपने आप को कोसता हुआ नजर है आता॥
गुरु का आदर सम्मान है जरूरी।
इनके अभाव में समझो सृष्टि है अधूरी॥
♦ विनोद वर्मा जी / जिला – मंडी – हिमाचल प्रदेश ♦
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- “विनोद वर्मा जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — इस कविता में कवि गुरु के महत्व को बताते हुए कहते हैं कि गुरु का स्थान जीवन में बेहद महत्वपूर्ण होता है। सबसे पहले माता-पिता को गुरु माना जाता है, जो बच्चों को संस्कारों की शिक्षा देते हैं। फिर शिक्षक विद्यालय में ज्ञान प्रदान करते हैं, जो शाब्दिक और व्यावहारिक होता है। गुरु हमें जीवन में लक्ष्य तय करना और उसे प्राप्त करने के तरीके सिखाते हैं। वे हमें आत्मसम्मान, आत्मबल, और विनम्रता का पाठ पढ़ाते हैं, साथ ही यह भी सिखाते हैं कि बड़ों का सम्मान और छोटों से प्यार कैसे करना चाहिए। कवि इस बात पर भी ध्यान दिलाते हैं कि आज के समय में गुरु को उतना सम्मान नहीं मिल रहा, जितना मिलना चाहिए। गुरु का आदर करना आवश्यक है, क्योंकि उनके बिना जीवन और सृष्टि अधूरी है।
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यह कविता (गुरु।) “विनोद वर्मा जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दों में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
आपका परिचय आप ही के शब्दों में:—
मेरा नाम विनोद कुमार है, रचनाकार के रुप में विनोद वर्मा। माता का नाम श्री मती सत्या देवी और पिता का नाम श्री माघु राम है। पत्नी श्री मती प्रवीना कुमारी, बेटे सुशांत वर्मा, आयुष वर्मा। शिक्षा – बी. एस. सी., बी.एड., एम.काम., व्यवसाय – प्राध्यापक वाणिज्य, लेखन भाषाएँ – हिंदी, पहाड़ी तथा अंग्रेजी। लिखित रचनाएँ – कविता 20, लेख 08, पदभार – सहायक सचिव हिमाचल प्रदेश स्कूल प्रवक्ता संघ मंडी हिमाचल प्रदेश।
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