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♦ गुरु पूर्णिमा। ♦
हिंदू मान्यताओं के अनुसार गुरु पूर्णिमा का त्यौहार आषाढ़ माह में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। भारतीय संस्कृति में गुरु को भगवान से भी बढ़कर माना जाता है। संस्कृति में “गु” का अर्थ होता है अंधकार (अज्ञान) एवं “रु” का अर्थ होता है प्रकाश, ज्ञान गुरु हमें अज्ञान रूपी अंधकार से (ज्ञान) रूपी प्रकाश की ओर ले जाते हैं।
गुरु को महत्व देने के लिए महान गुरु वेदव्यास जी की जयंती पर गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इसी दिन भगवान शिव द्वारा अपने शिष्यों को ज्ञान दिया गया।
इस दिन कई महान गुरुओं का जन्म भी हुआ था, लोगों को ज्ञान की प्राप्ति हुई। इसी दिन गौतम बुद्ध ने धर्म चक्र का परिवर्तन किया था। इस दिन गुरु पूजन का विशेष महत्व होता है। हिंदू धर्म के अनुसार यह तिथि वेदव्यास की जयंती भी मनाई जाती है और विधिवत पूजन भी किया जाता है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार महर्षि वेद व्यास जी का भी जन्म हुआ था और इन्हें प्रथम गुरु का स्थान भी मिला है।
सारनाथ में गौतम बुद्ध अपने पहले 5 शिष्यो को पहला उपदेश देने के लिए गुरु पूर्णिमा मनाई जाती रही है। हिंदू और जैन धर्म में भी अपने शिक्षकों का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है। हिंदू धर्म का प्रमुख त्यौहार है गुरु ही शिष्य का मार्गदर्शन करते हैं और वही जीवन को पूर्ण बनाते हैं। भारतीय संस्कृति में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका मानी गई है। जीवन के विकास के लिए गुरु की अत्यधिक की आवश्यकता होती है।
गुरु के साथ रहकर प्रवचन आशीर्वाद अनुग्रह जैसे; गुरु जो मिल जाए तो उसका कृतार्थ जीवन भर रहता है। क्योंकि बिना गुरु के न आत्म दर्शन होता है न ही परमात्मा दर्शन इस दिन गुरु दीक्षा भी लेने का अवसर होता है।
गुरु हमें जिंदगी में एक जिम्मेदार और अच्छा इंसान बनाने में हमारी सहायता करते हैं। वही हमें जीवन जीने का असली तरीका सिखाते हैं; और वही हमें जीवन के राह पर ता-उम्र सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। जिस तरह से शिक्षक हमें शिक्षा और ज्ञान के जरिए बेहतर इंसान बनाने के लिए जो मेहनत करता है। वही स्थान गुरु का होता है।
गुरु हमें अंधकार भरे जीवन से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाते हैं। गुरु एक दीपक की भांति होता है जो अपने शिष्यों के जीवन को प्रकार से भर देते हैं। विद्यार्थी जीवन में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। गुरु विद्यार्थी को हर प्रकार के विषय से संबंधित ज्ञान देते हैं; और जीवन के अलग-अलग पड़ाव पर मुसीबतों से लड़ने के लिए प्रेरित करते हैं। गुरु के बिना किसी का कोई जीवन नहीं होता है गुरु ही शिष्य के व्यक्तित्व का विकास करने में अत्यधिक सहायक होते हैं।
♦ पूनम गुप्ता जी – भोपाल, मध्य प्रदेश ♦
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- “पूनम गुप्ता जी“ ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस लेख के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — गुरु हमें जिंदगी में एक जिम्मेदार और अच्छा इंसान बनाने में हमारी सहायता करते हैं। वही हमें जीवन जीने का असली तरीका सिखाते हैं; और वही हमें जीवन के राह पर ता-उम्र सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। गुरु हमें अंधकार भरे जीवन से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाते हैं। गुरु एक दीपक की भांति होता है जो अपने शिष्यों के जीवन को प्रकार से भर देते हैं। विद्यार्थी जीवन में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
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यह लेख (गुरु पूर्णिमा।) “पूनम गुप्ता जी” की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी लेख/कवितायें सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा। आपकी लेखन क्रिया यूं ही चलती रहे।
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