Kmsraj51 की कलम से…..
♦ अज्ञान से प्रकाश की ओर। ♦
काव्य : गुरुदेव तुम्हें नमन।
जब जीवन में आये गुरुवर महक जाये चंदनथ,
मे से पल में हजारों-लाखों बहार लायें गुरुवर।
ज्ञान का विज्ञान की संज्ञा दे समझायें,
मूल्य समाज का खुद के आदर्श का बतलायें गुरुवर।
हर्ष का उल्लास का धर्म के आधार का जीवन के,
कार्य का स्वयं के उद्धार का डग बतलायें गुरुवर।
तिमिर अंधकार का प्रकाश के प्यार का सबक,
हम सब अज्ञानी को बतलायें गुरुवर।
मानव के कर्म का प्रकृति के संग के उपकार का,
क्षितिज से अनुराग का माँ के दुलार बतलायें गुरुवर।
♦ सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल` जी — जिला–सिंगरौली, मध्य प्रदेश ♦
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- “सतीश शेखर श्रीवास्तव `परिमल`“ जी ने, बहुत ही सरल शब्दों में सुंदर तरीके से इस कविता के माध्यम से समझाने की कोशिश की है — गुरु हमें जिंदगी में एक जिम्मेदार और अच्छा इंसान बनाने में हमारी सहायता करते हैं। वही हमें जीवन जीने का असली तरीका सिखाते हैं; और वही हमें जीवन के राह पर ता-उम्र सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। गुरु हमें अंधकार भरे जीवन से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाते हैं। गुरु एक दीपक की भांति होता है जो अपने शिष्यों के जीवन को प्रकार से भर देते हैं। विद्यार्थी जीवन में गुरु की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
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यह कविता (अज्ञान से प्रकाश की ओर।) “सतीश शेखर श्रीवास्तव ‘परिमल’ जी“ की रचना है। KMSRAJ51.COM — के पाठकों के लिए। आपकी कवितायें/लेख सरल शब्दो में दिल की गहराइयों तक उतर कर जीवन बदलने वाली होती है। मुझे पूर्ण विश्वास है आपकी कविताओं और लेख से जनमानस का कल्याण होगा।
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